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    ईंट भट्ठों में काम करने वालों के 800 बच्चों की जिंदगी में शिक्षा की लौ जला रहे प्रो. अजीत अंगराल

    Updated: Sat, 09 Aug 2025 03:12 PM (IST)

    सेवानिवृत्त प्रो. अजीत अंगराल ने झोपड़पट्टी और ईंट भट्ठों में काम करने वाले गरीब बच्चों को शिक्षित करने का संकल्प लिया। वे प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना के कंसलटेंट के रूप में कार्यरत हैं और बीमारी में भी छात्रों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने शिक्षा को रोजगार का साधन नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण का आधार माना है।

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    प्रोफेसर अंगराल ने अपने जीवन में लगभग आठ सौ गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान की है।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। झौंपड़ पट्टी और ईंट भट्ठों में काम करने वाले लोगों व गरीब परिवारों के बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए सेवानिवृत्त प्रो. अजीत अंगराल ने खुद को समर्पित कर दिया है।

    विद्यार्थियों का भविष्य संवारने का जनून, शिक्षण संस्थान में विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा के लिए अध्यापकों के बीच अनुशासन का जज्बा ही प्रो. अजीत अंगराल का जीवन का मकसद रहा है। कई अहम पदों काम करने के बाद सेवानिवृत्त हुए प्रो. अंगराल अब प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना के कंसलटेंट के रूप में काम कर रहे हैं।

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    बीमार होने के बावजूद बच्चों की कर रहे सहायता

    बीमारी में भी वह विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हैं। इससे कई विद्यार्थियों को योजना का लाभ मिला है वे देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रोफेसर अजीत अंगराल शिक्षा जगत की वह लौ हैं, जो दूसरों को रोशन करने के लिए स्वयं को तपाते रहे हैं। उनका जीवन विद्यार्थियों, शिक्षको समाज के हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणास्रोत है जो शिक्षा को केवल रोजगार का साधन नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का आधार मानते हैं। उनके योगदान को शब्दों में समेटना कठिन है, परंतु इतना निश्चित है कि उनका व्यक्तित्व और कार्य सदैव अमर रहेंगे।

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    शिक्षा के इस सच्चे योद्धा को नमन है। निर्धनता की बेड़ियों से जकड़े कई परिवारों के बच्चों को उन्होंने निशुल्क शिक्षा उपलब्ध करवाई। इसमें झौंपड़ पट्टी में रहने वाले लोगों के बच्चे भी शामिल थे। अंगराल ने पीएचडी करते हुए ही शिक्षा को अपने जीवन का परम उद्देश्य बना लिया। 

    समर्पित और प्रेरणादायक शिक्षक रहे हैं प्रोफेसर अंगराल

    प्रोफेसर अजीत अंगराल ऐसे ही एक समर्पित और प्रेरणादायक शिक्षक रहे हैं, जिन्होंने न केवल शिक्षा को प्राथमिकता दी, बल्कि इसे जन-जन तक पहुंचाने का कार्य भी अथक प्रयासों से किया। शिक्षा के प्रचार-प्रसार में समर्पित जीवन दिया। अपने घर पर बच्चों को बुलाकर पढ़ाने से शुरु हुआ सफर अभी थमा नहीं है।

    प्रोफेसर अंगराल जब स्वयं छात्र थे, तभी से उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझते हुए इसे समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने का संकल्प लिया। उन्होंने अपने पूरे जीवन को इसी लक्ष्य के लिए समर्पित कर दिया। जम्मू-कश्मीर में एमएएम कालेज, सांबा डिग्री कालेज और साइंस कालेज जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़े रहे और इन कालेजों को शिक्षा के मानचित्र पर एक नई पहचान दिलाई।

    बच्चों के लिए करियर काउंसिलर सैल की स्थापना की

    छात्रों के भविष्य को संवारने के उद्देश्य से उन्होंने करियर काउंसलिंग सेल की स्थापना की। जिससे छात्रों को सही मार्गदर्शन और करियर विकल्पों की जानकारी मिली। वह प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति के कोआर्डिनेटर भी है और अनेक विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ दिलवाया। उनका सदैव प्रयास रहा कि शिक्षा केवल किताबी न रहे, बल्कि बच्चों के व्यक्तित्व विकास में भी सहायक हो।

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    एनएसएस और राष्ट्रीय सेवा में निभाई भूमिका

    एनएसएस और राष्ट्रीय सेवा में अग्रणी भूमिका निभाई। प्रोफेसर अंगराल राष्ट्रीय सेवा योजना के न केवल अच्छे सेवक रहे, बल्कि बाद में कालेज स्तर पर एनएसएस कोआर्डिनेटर के रूप में भी कार्यरत रहे। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के सैकड़ों शिविरों का आयोजन किया और उनमें सक्रिय भागीदारी निभाई, जिससे हजारों छात्रों को सेवा, अनुशासन और नेतृत्व के गुण सिखाए।

    एक प्रेरणास्रोत वक्ता और सच्चाई के पक्षधर

    वे एक ओजस्वी वक्ता भी हैं। जिनके भाषण न केवल ज्ञानवर्धक होते हैं, बल्कि जीवन को दिशा देने वाले भी। सच्चाई और न्याय के लिए उनकी स्पष्टवादिता हमेशा उनकी पहचान रही है। इस समय जब वह बीमारी से जूझ रहे हैं। इस हालात में अपने जीवन की परवाह न करते हुए वह विद्यार्थियों को प्रेरित करने और मार्गदर्शन देने से पीछे नहीं हटते।

    कुछ समय पहले डायलिसिस के तुरंत बाद उन्होंने ऊधमपुर कालेज जाकर विद्यार्थियों को संबोधित किया। हालांकि इस दौरान उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें दोबारा अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। लेकिन स्वास्थ्य में सुधार होते ही वे फिर उसी स्थान पर पहुचे जहां समारोह आयोजित किया जा रहा था और वहां जा कर विद्यार्थियों को संबोधित किया।

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    विद्यार्थियों के लिए उनके घर के दरवाजे सदा खुले हैं

    प्रोफेसर अंगराल ने कई बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान की और हमेशा यह कहते रहे कि पढ़ने की इच्छा रखने वाले विद्यार्थियों के लिए उनके घर के दरवाजे उनके लिए सदा खुले हुए हैं। अपने जीवन में उन्होंने करीब आठ सौ गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी। तीन सौ से अधिक करियर काउंसलिंग कार्यक्रम के जरिए विद्यार्थियों को भविष्य बनाने की राह दिखाई।