मीरवाइज को फिर नहीं दी जामिया मस्जिद में नमाज़ पढ़ने की 'इजाजत', बोले- 'बार-बार नजरबंदी को बुनियादी अधिकारों पर हमला'
श्रीनगर में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने कहा कि उन्हें लगातार तीसरे शुक्रवार को भी जामिया मस्जिद में सामूहिक नमाज़ पढ़ने से रोका गया है। मीरवाइज ने सोशल मीडिया पर अपनी नज़रबंदी की जानकारी दी और इसे बुनियादी अधिकारों पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि अधिकारियों द्वारा उन्हें धार्मिक कर्तव्यों से रोका जा रहा है और इस सत्तावादी व्यवहार के लिए कोई जवाबदेही नहीं है।

डिजिटल डेस्क, जागरण, श्रीनगर। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें श्रीनगर की जामिया मस्जिद में सामूहिक नमाज़ पढ़ने से फिर से रोक दिया गया है।
मीरवाइज ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "पुलिस ने अभी-अभी सूचित किया है कि आज फिर, लगातार तीसरे शुक्रवार को, मुझे नज़रबंद कर दिया गया है और मुझे जामा मस्जिद जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।"
What law, if laws govern us, sanctions such an assault on my basic rights and turns worship into a crime?— .@MirwaizKashmir on his house arrest on Fridays. pic.twitter.com/NKRwJuk7Kt
— Mirwaiz Manzil-Office of Mirwaiz-e-Kashmir (@mirwaizmanzil) September 26, 2025
मीरवाइज, जो कश्मीर के प्रमुख मौलवी भी हैं और इस भव्य जामिया मस्जिद में जुमे का खुतबा देते हैं, ने बार-बार नज़रबंदी को बुनियादी अधिकारों पर हमला बताया।
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उन्होंने आगे कहा, "अगर कानून हमें नियंत्रित करते हैं, तो कौन सा कानून बुनियादी अधिकारों पर इस तरह के हमले की अनुमति देता है और इबादत को अपराध बना देता है?
हफ़्ते दर हफ़्ते, शुक्रवार को या किसी भी दिन, अपनी मर्ज़ी से, अधिकारी मुझे मेरे घर में बंद कर देते हैं, मेरी आज़ादी पर अंकुश लगाते हैं, और मुझे मेरे धार्मिक कर्तव्यों को पूरा करने से रोकते हैं, इस सत्तावादी व्यवहार के लिए कोई जवाबदेही नहीं।"
हुर्रियत अध्यक्ष ने कहा कि जिन लोगों का कर्तव्य "अधिकारियों को जवाबदेह ठहराना है, वे या तो उनसे सवाल करने की हिम्मत नहीं करते या फिर ज़हमत नहीं उठाते"।
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उन्होंने कहा, "इन बार-बार लगाए गए प्रतिबंधों और मानवाधिकारों व जनभावनाओं के प्रति अधिकारियों की अवमानना की कड़ी निंदा करता हूँ।"
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