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    कश्मीर के सेब किसानों को भारी नुकसान, हाइवे में फंसे कई ट्रक वापस लौटे, पेटियों में सड़े सेब देख रो उठे किसान

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 01:32 PM (IST)

    जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के बार-बार बाधित होने से कश्मीर के सेब किसानों को भारी नुकसान हुआ है। राजमार्ग पर ट्रकों में लदे सेब सड़ गए जिससे किसानों की आजीविका खतरे में पड़ गई है। किसान सरकार से मुआवज़े और वैकल्पिक मार्गों की मांग कर रहे हैं ताकि उनकी उपज समय पर बाज़ारों तक पहुँच सके।

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    उत्पादकों का कहना है कि अगर सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो बागवानी क्षेत्र पूरी तरह से तबाह हो जाएगा।

    जागरण संवाददाता, श्रीनगर। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के लंबे समय तक बंद रहने के कारण कश्मीर के सेब किसानों को भारी नुकसान हुआ है। बारिश और भूस्खलन के हफ्तों से हाईवे पर फंसे ट्रकों में लोड किए गए सेब सड़ गए, जिससे किसानों की आजीविका अस्थिर हो गई है।

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    काजीगुंड और अन्य क्षेत्रों से सेब से लदे कई ट्रक वापस लौट आए, लेकिन जब तक उन्हें वापस जाने की अनुमति मिली, तब तक उनकी पूरी उपज सड़ चुकी थी। अपनी मेहनत को बर्बाद होता देख उत्पादकों की आंखों में आंसू आ गए।

    कश्मीर का बाहरी दुनिया से जुड़ने वाला एकमात्र बारहमासी राष्ट्रीय राजमार्ग लगातार बारिश के कारण हुए भूस्खलन और पत्थरों के गिरने के कारण पिछले तीन हफ़्तों से ज़्यादातर समय बंद रहा है।

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    उत्पादकों ने कहा कि बार-बार राजमार्ग बाधित होने से उनकी आजीविका अस्थिर हो गई है। प्रत्येक देरी से भारी वित्तीय झटका लगता है क्योंकि सेब बहुत जल्दी खराब हो जाते हैं और बाहरी मंडियों तक समय पर इनका पहुंचना जरूरी है।

    तत्काल हस्तक्षेप करे सरकार

    किसान और व्यापारी सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं, जिसमें पर्याप्त मुआवज़ा, बेहतर यातायात प्रबंधन, माल ढुलाई दरों पर सीमा और वैकल्पिक मार्गों का विकास शामिल है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कश्मीर की उपज समय पर बाज़ारों तक पहुंचे।

    शोपियां के एक उत्पादक मोहम्मद अलताफ ने रुंधी हुई आवाज में कहा, जब मैंने अपना ट्रक खोला तो यह एक हृदय विदारक दृश्य था। सेब की सभी पेटियां सड़ चुकी थीं। अलताफ ने कहा, अब मैं बर्बाद हो गया हूँ। यह मेरी कमाई का एक मात्र साधन था। प्रशासन ने जल्दी खराब होने वाले फलों से लदे ट्रकों को सुगम रास्ता देने का वादा किया था, लेकिन कई ट्रक काज़ीगुंड में ही फंस गए और आगे नहीं बढ़ पाए।

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    आठ दिनों बाद वापस लौट गए ट्रक

    पुलवामा के एक उत्पादक नजीर अहमद यतू ने कहा, हम काजीगुंड में दिन-रात इंतजार करते रहे, उम्मीद करते रहे कि सड़क खुल जाएगी, लेकिन कोई रास्ता नहीं खुला। आठ दिनों के बाद, हमारे पास लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। सेब गूदे में बदल गए थे। हमें कौन मुआवजा देगा? उत्पादकों ने कहा कि बार-बार राजमार्ग बाधित होने से उनका भारी नुकसान हुआ है।

    हमारी पूरी अर्थव्यवस्था चरमरा रही है

    शोपियां फल मंडी के एक व्यापारी याकूब वगे ने कहा, हर साल, हमें बताया जाता है कि सरकार विकल्पों पर काम कर रही है, लेकिन जब इस तरह का संकट आता है, तो हम असहाय रह जाते हैं। वगे ने कहा, हमारी पूरी अर्थव्यवस्था चरमरा रही है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो बागवानी क्षेत्र, जो लाखों परिवारों का समर्थन करता है, ध्वस्त हो जाएगा। इससे भी ज़्यादा दुखद बात यह है कि इस तबाही को रोका जा सकता था।

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    समय पर राजमार्ग को साफ करने में विफल रही सरकार

    कुलगाम के एक उत्पादक शब्बीर अहमद ने कहा, सरकार फलों के ट्रकों के लिए राजमार्ग को समय पर साफ़ करने में क्यों विफल रही? शब्बीर ने कहा, हम किसानों को हमेशा चुपचाप क्यों झेलना पड़ता है? यह अच्छी बात नहीं है सरकार को इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए। नुकसान की भरपाई के लिए भी प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है ताकि किसान भूखमरी की कगार पर न पहुंच जाएं।