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    नेशनल कांफ्रेंस के अंधर घमासान, सकीना इट्टू और आगा सैयद रुहुल्लाह की जुबानी जंग के पीछे की क्या है कहानी?

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 12:53 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में सत्ताधारी नेशनल कान्फ्रेंस के नेताओं के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। शिक्षा मंत्री सकीना इट्टू ने सांसद आगा सैयद रुहुल्ला को संसद में कश्मीरियों की आवाज उठाने की सलाह दी जिस पर रुहुल्ला ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि सरकार अपने जनादेश को भूल गई है।

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    अगर यही स्थिति रही तो चुप रहने वाले जनप्रतिनिधियों को परिणाम भुगतना होगा।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। सत्ताधारी नेशनल कान्फ्रेंस के वरिष्ठ नेताओं में नीतिगत मतभेद अब छिपाए नहीं छिप रहे हैं। शिक्षामंत्री सकीना इट्टू को बागी सांसद आगा सैयद रुहुल्ला को संसद में कश्मीरियों की आवाज उठाने की सलाह देना उल्टा पड़ गया है।

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    आगा सैयद रुहुल्ला ने शिक्षा मंत्री की सलाह पर पलटवार करते हुए कहा कि जो लोग आज्ञा मानने के लिए झुक जाते हैं, वे अन्याय के खिलाफ लड़ने वालों की लड़ाई नहीं देख पाते। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे लोग संसद की कार्यवाही या आधिकारिक अपडेट नहीं देखते हैं, तो हम उन्हें भाषणों और हस्तक्षेप का रिकार्ड भेज सकते हैं।

    आपको बता दें कि श्रीनगर-बडगाम संसदीय क्षेत्र से सांसद निर्वाचित नेकां नेता आगा सैयद रुहुल्ला कश्मीर में शिया समुदाय के एक बड़े वर्ग के धर्मगुरू भी हैं। वह अनुच्छेद 370, स्वायत्तता, राज्य के दर्जे व अन्य मुद्दों पर पार्टी नेतृत्व की मौजूदा नीतियों से असहमत हैं।

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    उन्होंने एक बार नहीं कई बार बिना नाम लिए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला व पार्टी के अन्य नेताओं पर पार्टी के मूल राजनीतिक एजेंडे से भटकने का आरोप लगाया है। वह अनुच्छेद 370 और जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे की पुनर्बहाली के समर्थक हैं और पार्टी नेतृत्व पर इसके लिए स्पष्ट एजेंडे के साथ सघंर्ष करने को कहते हैं।

    यहां से शुरू हुआ विवाद

    गत मंगलवार को आगा सैयद रुहुल्ला मेहदी ने बिना मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का नाम लिए बगैर कहा कि सरकार अपने मूल जनादेश को भूल गई है। हाइवे बंद है और बार बार एलान के बावजूद सेब के ट्रकों को रोका जा रहा है, लोग परेशान हैं और सरकार चुप है। अगर यही स्थिति रही तो चुप रहने वाले जनप्रतिनिधियों को इसका परिणाम भुगतना होगा।

    जानबूझकर निशाना बनाने का लगाया आरोप

    सांसद ने कहा कि बागवानी, कृषि और संबद्ध क्षेत्र जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था का 75 प्रतिशत से अधिक हिस्सा बनाते हैं, और अकेले बागवानी का योगदान पर्यटन से सात गुना अधिक है। फिर भी, हाइवे को बाधित करके उत्पादकों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। यह सिलसिला विगत कुछ वर्षाें के दौरान हर मौसम में दोहराया जाता है, जब तक फल सड़ नहीं जाते, तब तक ट्रकों को रोका जाता है।

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    जनादेश की अवज्ञा करेंगे तो जनता बख्शेगी नहीं

    उन्होंने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी हमारी अर्थव्यवस्था की रक्षा करना है। अगर वे फलों के ट्रकों का सुचारू मार्ग भी सुनिश्चित नहीं कर सकते, तो वे जनता को दिए गए अपने जनादेश को पूरा नहीं कर रहे हैं। अगर जनादेश की अवज्ञा करेंगे तो जनता बख्शेगी नहीं, इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा।

    शिक्षा मंत्री ने सांसद को दिया जवाब

    शिक्षा मंत्री सकीना इट्टू से गत वीरवार को पत्रकारों ने आगा सैयद रुहुल्ला के बयान के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि आगा सैयद रुहुल्ला को संसद में अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। उन्हें संसद में लोगों की आवाज उठाने के लिए, जम्मू कश्मीर की नुमायंदगी करने के लिए चुना गया है। उनका काम यहां प्रदेश सरकार की आलोचना करना नहीं बल्कि संसद में जम्मू-कश्मीर के मुख्य मुद्दे उठाना है। वह यहां कश्मीरियों को बार बार नीचा दिखाए जाने के खिलाफ आवाज उठाएं।

    सांसद रुहुल्ला ने मंत्री को दिया जवाब

    सांसद आगा सैयद रुहुल्ला ने शिक्षा मंत्री की सलाह पर पलटवार करते हुए अपने एक्स हैडल पर लिखा है कि जो लोग आज्ञा मानने के लिए झुक जाते हैं, वे अन्याय के खिलाफ लड़ने वालों की लड़ाई नहीं देख पाते।" अगर ऐसे लोग संसद की कार्यवाही या आधिकारिक अपडेट नहीं देखते हैं, तो हम उन्हें भाषणों और हस्तक्षेप का रिकार्ड भेज सकते हैं।

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    जो लोग हमें सलाह दे रहे हैं, उन्हें...

    इसके आगे सांसद द्वारा संसद के भीतर-बाहर उठाए गए कई मुद्दों का भी जिक्र है। इनमें सेब और बागवानी क्षेत्र में संकट, हिरासत में लिए गए लोगों की रिहाई, वक्फ की ज़मीन पर कब्ज़ा, स्वास्थ्य सुविधाएं, सड़क और रेल परियोजनाएं और प्रधानमंत्री राहत कोष के माध्यम से रोगियों को वित्तीय सहायता शामिल है।

    इसमें एमपीलैडस के तहत पांच करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी करने और सोनमर्ग तक राजमार्ग के विस्तार पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से बातचीत का भी उल्लेख है। आगा सैयद रुहुल्ला ने आगे लिखा है कि जो लोग हमें सलाह दे रहे हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि वह जनादेश को भूल आराम कर रहे हैं, लेकिन हमें अन्यायपूर्ण सत्ता को चुनौती देने की कठिन जिम्मेदारी मिली।