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    Ladakh Protest: KDA ने की न्यायिक जांच की मांग, बोले- 'लोगों को जानने का हक, गोलीबारी का आदेश किसने दिया'

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 11:58 AM (IST)

    कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (केडीए) ने लेह में हुई गोलीबारी की न्यायिक जांच की मांग की है। केडीए नेता असगर करबलाई ने लेह में पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाना अनुचित था। करबलाई ने कहा कि लद्दाख के लोग राज्य का दर्जा छठी अनुसूची में शामिल किए जाने नौकरी की सुरक्षा और आरक्षण की गारंटी के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।

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    लेह गोलीबारी की घटना पर कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस ने की न्यायिक जांच की मांग।फाइल फोटो।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने गुरुवार को लेह में हुई गोलीबारी की घटना की न्यायिक जांच की मांग की है। पूर्व विधायक और केडीए के वरिष्ठ नेता असगर करबलाई ने कहा कि लद्दाख के लोगों को यह जानने का पूरा अधिकार है कि सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश किसने दिया।

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    करबलाई ने लेह में पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि यह बर्बर और अनुचित था। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाना किसी भी परिस्थिति में सही नहीं हो सकता।

    उन्होंने केंद्र सरकार पर लद्दाखियों की पुरानी मांगों को नजरअंदाज कर उन्हें धोखा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों से लद्दाख चार सूत्रीय एजेंडे के लिए प्रदर्शन कर रहा है जिसमें राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची में शामिल किया जाना, नौकरी की सुरक्षा और आरक्षण की गारंटी शामिल है।

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    उन्होंने अफसोस जताया कि सरकार लेह में लोगो को दबाने के लिए अनुचित बल प्रयोग कर रही है। लोगों को परेशान किया जा रहा है, युवाओं को पीटा जा रहा है। यह अस्वीकार्य है। पूर्व मंत्री असगर करबलाई ने कहा कि लेह मे बुधवार को हुई हिंसा की सभी निंदा करते हैं। कोई भी लद्दाखी हिंसा का समर्थक नहीं है।

    12 लोग अभी भी अस्पताल में भर्ती

    लेह में गोली लगने से चार लोगों की मौत हुई है। लद्दाख के लोगों को यह जानने का पूरा अधिकार है कि सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश किसने दिया। उन्होंने कहा, "चार निर्दोष आम नागरिकों की जान चली गई और 12 अन्य लोग अभी भी अस्पतालों में गंभीर हालत में हैं।

    सरकार ने अफसोस जताने के बजाय, लोगों को गिरफ्तार कर जेलों में बंद करना शुरु कर दिया है। प्रदर्शनकारियों और उनके परिवारों को परेशान करना बंद करें। बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। लद्दाख की शांति को खराब न करें।"

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    केंद्र सरकार पर लगाया आरोप

    उन्होंने केंद्र सरकार पर लद्दाखियों की पुरानी मांगों को नजरअंदाज कर उन्हें धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि 2019 में हमारे राजनीतिक और लोकतांत्रिक अधिकार छीन लिए गए। हमारी जमीन और नौकरियां असुरक्षित हो गईं। गृह मंत्रालय के साथ कई दौर की बातचीत के बावजूद, कुछ ठोस नहीं हुआ, सिर्फ झूठे आश्वासन दिए गए।

    उन्होंने बताया कि 27 मई से लद्दाख की लीडरशिप और गृह मंत्रालय के बीच कोई संपर्क नहीं हुआ। लद्दाख के लोग बेबस हो गए हैं। सभी जानते हैं कि हम शांति में विश्वास करते हैं, फिर भी 14 दिन की भूख हड़ताल के बाद, जिसमें दो बुजुर्ग बेहोश हो गए, केंद्र चुप रहा। हिंसा होने के बाद ही गृह मंत्रालय ने प्रतिक्रिया दी और छह अक्टूबर को बातचीत का आश्वासन दिया। यह चुप्पी और देरी लद्दाखियों की सहनशीलता की परीक्षा ले रही है।

    लेह पुलिस की कार्रवाई की भी निंदा की

    लेह में पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए करबलाई ने कहा कि यह बर्बर और अनुचित था। उन्होंने कहा कि "प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाना किसी भी परिस्थिति में सही नहीं हो सकता। आज तक, कोई नहीं जानता कि गोली चलाने का आदेश किसने दिया। हम लेह में मारे गए चार आम नागरिकों की शहादत को कभी नहीं भूलेंगे। उनका खून व्यर्थ नहीं जाएगा।

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    लद्दाख न्याय की मांग करता रहेगा। गृह मंत्रालय से हत्याओं की निष्पक्ष जांच का तुरंत आदेश देने और प्रदर्शनकारियों और उनके परिवारों के साथ हो रहे कथित उत्पीड़न को रोकने का अनुरोध करते हुए करबलाई ने कहा कि हम शांति चाहते हैं, खून-खराबा नहीं। सरकार को ज़िम्मेदारी से काम करना चाहिए और दमन के बजाय असली बातचीत के लिए रास्ते खोलने चाहिए।"