एक फिल्म ने बदल दी स्कूलों की सोच, क्लास में कोई नहीं बैकबेंचर, जम्मू-कश्मीर में भी लागू करने पर हो रहा विचार
केरल में स्थानार्थी श्रीकुट्टन फिल्म से प्रेरित होकर कक्षाओं में यू-आकार की बैठने की व्यवस्था शुरू हुई। जम्मू-कश्मीर के शिक्षाविदों ने भी इसे अपनाने पर जोर दिया है जिससे छात्रों में समानता और समावेशिता का भाव जगेगा। शिक्षा मंत्री सकीना इट्टू ने कहा कि सरकार इस व्यवस्था को लागू करने की संभावनाओं पर विचार करेगी और इसके वित्तीय प्रभावों का आकलन करेगी।

राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। स्थानार्थी श्रीकुट्टन नामक मलयालम फिल्म में एक स्कूली कक्षा का एक दृश्य है, जिसमें सभी छात्र यू-आकार मे लगे डेस्क पर बैठे हैं। मतलब कोई भी पीछे नहीं बैठा है,कोई भी बैक-बेंचर नहीं हैं, सभी आगे हैं-सभी फ्रंट बेंचर हैं।
फिल्म का यह दृश्य इतना प्रभावकारी है कि कई सरकारी स्कूलों में विशेषकर केरल में कक्षाओं में छात्रों के बैठने की पारम्परिक व्यवस्था खत्म हो गई और सभी यू-आकार की बैठने की व्यवस्था को अपना रहे हैं।
जम्मू कश्मीर में भी विभिन्न शिक्षाविद्धों ने प्रदेश के शिक्षण सस्थानों में भी यही व्यवस्था अपनाने पर जोर देना शुरु कर दिया है। उनके मुताबिक, यह छात्रों में समानता और समावेशिता का भाव जगाएगी। इस्लामिक यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी (आईयूएसटी) के पूर्व कुलपति प्रो. मुश्ताक सिद्दीकी ने कहा कि यह एक अच्छा विचार है।
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हमारी जम्मू-कश्मीर सरकार को स्कूलों में यू-आकार की बैठने की व्यवस्था पर काम करना चाहिए। इससे शिक्षकों का छात्रों पर समान ध्यान सुनिश्चित होगा। उन्होंने बताया गोल मेज पर बैठने की व्यवस्था पहले आईआईएम में शुरू की गई थी।
उन्होंने कहा कि मैने आईयूएसटी के कुलपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, प्रबंधन और अन्य विभागों जैसे कुछ विभागों में गोल मेज पर बैठने की व्यवस्था शुरू करना चाहता था।। लेकिन तत्कालीन परिस्थितियाें के कारण नहीं कर पाया।
इस तरह की बैठने की व्यवस्था शिक्षकों को छात्रों के करीब लाती है।उन्होंने कहा कि अगर केरल ने ऐसा किया है, तो हमारी सरकार भी इस पर विचार कर सकती है क्योंकि इसका शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।"
घाटी के प्रसिद्ध शिक्षाविद्ध और प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन आफ जम्मू कश्मीर के अध्यक्ष जीएन वार ने कहा कि केरल में शुरु की गई पहल सराहणीय है। इस पर यहां भी काम होना चाहिए। लेकिन पहले हमें यह देखना होगा कि क्या वहां ऐसा माहौल है, यहां आप कई निजि स्कूलों में इस व्यवस्था को आसानी से लागू कर लेंगे, लेकिन क्या सरकारी स्कूलों में ऐसा हो पाएगा।
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हमारे कई सरकारी स्कूलों में कक्षाओं के लिए पर्याप्त कमरे नहीं हैं, डेस्क नहीं है और सरकार को चाहिए वह यू-आकार की व्यवस्था को लागू करते हुए, सभी सरकारी स्कूलों में आवश्यक ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध कराए। आज भी कई सरकारी स्कूलों में छात्र जमीन पर बैठते हैं और कई जगह छात्रों को बैठेने के लिए दरी या टाट तक नहीं मिलता।
श्रीनगर स्थित सरकारी मेडिकल कालेज (जीएमसी) में मनोचिकित्सा के प्रोफेसर डा अरशद हुसैन ने स्कूलों में यू-आकार की बैठने की व्यवस्था की वकालत करते हुए कहा कि छात्रों में एकरूपता की भावना पैदा करने से काफी मदद मिलेगी।
हालांकि हम हर छात्र की विशिष्टता का जश्न मनाते हैं, लेकिन एकरूपता की भावना पैदा करने से कम उम्र में भेदभाव की भावना से बचने में काफ़ी मदद मिलती है। कक्षाओं में यू-आकार की बैठने की व्यवस्था बच्चों को समानता का एहसास दिलाने के लिए शायद सही दिशा में की गई है।
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शिक्षा मंत्री सकीना इट्टू ने संपर्क करने पर कहा कि सरकार केरल द्वारा अपनाई गई नई यू-आकार की बैठने की व्यवस्था को यहां जम्मू कश्मीर में लागू करने की संभावनाओं पर विचार किया जाएगा। हम परियोजना का अध्ययन करेंगे और इसके वित्तीय प्रभावों का आकलन करेंगे। यह विचार अच्छा है, लेकिन इस पर ठीक से काम करने की ज़रूरत है और जब यह सही पाया जाता है तो इसके कार्यान्वयन पर विचार किया जाएगा।
जम्मू कश्मीर टीचर्स फोरम के प्रांतीय प्रधान कुलदीप सिंह बंदराल ने कहा कि यह एक अच्छा प्रयोग है और इसे यहां भी दोहराया जाना चाहिए। इसमें कोई बुराई नहीं है। इसमें संसाधनों की ज्यादा जरुरत नहीं है और जहां अभी संभव है, वहां इसे लागू किया जा सकता है।
कई बार अध्यापक खुले में कक्षाओं का आयोजन करते हैं और इसी तरह यू-आकार में बैठने की व्यवस्था को भी अपनाा जा सकता है और इसके प्रभाव का आकलन करते हुए इसे विस्तार दिया जा सकता है। यह बैक बेंचर की अवधारणा को समाप्त करते हुए सभी के भीतर समर्थ होने की भावना को पैदा करेगी।
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