Jammu Kashmir में अब खुलेआम आतंक-अलगाववाद के खिलाफ उठा रही आवाज, LG Sinha बोले- यह बदलाव नहीं तो और क्या है?
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंक और अलगाववाद के खिलाफ लोग खुलकर आवाज उठा रहे हैं। शिक्षा महिला सशक्तिकरण और आर्थिक विकास के क्षेत्र में सुधार हुआ है। कुछ ताकतें अभी भी विकास में बाधा डाल रही हैं जिनसे सावधान रहने की आवश्यकता है। पिछले पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था दोगुनी हो गई है क्योंकि बेहतर कानून-व्यवस्था और पारदर्शी शासन स्थापित किया गया है।

राज्य ब्यूरो,जागरण, श्रीनगर। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को जम्मू कश्मीर के संपूर्ण परिदृश्य में उल्लेखनीय बदलाव का दावा करते हुए कहा कि सबसे महत्वपूर्ण यह कि ज़मीनी स्तर पर लोगों की सामूहिक मानसिकता में सकारात्मक परिवर्तन आया है। लोग अब खुलेआम आतंक और अलगाववाद के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। यह बदलाव नहीं है तो और क्या है।
इससे वे लोग जिनकी रोजी रोटी अलगाववाद, आजादी के नारे और सांप्रदायिकता के नाम पर चलती थी, परेशान हैं। यह तत्व लोगों को गुमराह करने के लिए भ्रामक सूचनाएं फैला रहे हैं, ऐसे तत्वों से आमजन को सावधान रहना चाहिए और इन तत्वों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई होगी।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर विकास और आर्थिक खुशहाली के पथ पर अग्रसर है। शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और आर्थिक विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय बदलाव आया है और इसे जमीनी स्तर पर महसूस किया जा सकता है।
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आज दक्षिण कश्मीर के शोपियां में एक जनसभा को संबोधित करते हुए, उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि एक समय था जब यहां कुछ ताकतें विकासोन्मुखी कार्यक्रमों में आम लोगों को शामिल होने से रोकती थी। आज यह ताकतें लगभग समाप्त हो गई हैं, लेकिन फिर भी कुछ तत्व प्रयास कर रहे हैं। उनसे सभी को सावधान रहना चाहिए।
उन्होंने आर्मी गुडविल स्कूलों का उदाहरण देते हुए कि कि एक समय था जब लोगों से कहा जाता था कि वे अपने बच्चों को आर्मी गुडविल स्कूलों में न भेजें। उनमें डर और अविश्वास पैदा करने के लिए कहानियां गढ़ी जाती थीं। लेकिन मैं आपसे पूछता हूँ—अगर हमारे बहादुर सैनिक हमारी सीमाओं की रक्षा कर सकते हैं, तो वे हमारे बच्चों को शिक्षित करने में मदद क्यों नहीं कर सकते?"
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पिछले पांच वर्षों में इस तरह के दुष्प्रचार का आधार कम हो गया है, और आज, आर्मी गुडविल स्कूल अवसर के प्रतीक के रूप में उभरे हैं, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं और दूर-दराज़ के क्षेत्रों में भी छात्रों को ज़िम्मेदार, प्रतिस्पर्धी नागरिक बनाते हैं।
महिला सशक्तिकरण के विषय पर बात करते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में हज़ारों महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) बनाए हैं । यह स्वयं सहायता समूह ग्रामीणों क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में सक्रिय रूप से बदलाव ला रहे हैं।
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महिलाएं आत्मनिर्भर हो, महिला सशक्तिकरण व ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिकी की एक नयी कहानी लिख रही हैं। उन्होंने बागवानी, सिलाई, खाद्य प्रसंस्करण और कृषि-व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में महिलाओं के बढ़ते नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा, "वे अब नौकरी चाहने वाली नहीं हैं - वे नौकरी देने वाली हैं।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम), उम्मीद और तेजस्विनी जैसी प्रमुख योजनाओं का हवाला देते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि यह मंच केवल वित्तीय साधन नहीं हैं, बल्कि परिवर्तन के वाहक हैं। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और ऋण सहायता के माध्यम से, महिलाएं न केवल व्यवसाय शुरू कर रही हैं, बल्कि आर्थिक स्वतंत्रता और सामाजिक आत्मविश्वास भी प्राप्त कर रही हैं।
उन्होंने स्थानीय स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों के साथ बातचीत का हवाला देते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि उनके चेहरों पर दिख रहा आत्मविश्वास सब कुछ बयां कर देता है - उन्हें खुद पर और भविष्य पर विश्वास है।
व्यापक आर्थिक परिदृश्य पर टिप्पणी करते हुए, उपराज्यपाल ने कहा कि पिछले पाँच वर्षों में जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था दोगुनी हो गई है। उन्होंने इस सफलता का श्रेय बेहतर कानून-व्यवस्था, पारदर्शी शासन और विकास प्रक्रिया में बढ़ती जनभागीदारी को दिया।
उन्होंने कहा कि यह वृद्धि केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है। यह बेहतर सड़कों, स्कूलों, डिजिटल बुनियादी ढाँचे और आजीविका में परिलक्षित होती है। हमें उम्मीद है कि यह विकास दर आगे भी जारी रहेगी।"
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