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    बड़ा सवाल! जम्मू-कश्मीर में चुनाव आयुक्त का पद खाली कैसे होगा पंचायतों का गठन?

    जम्मू-कश्मीर में पंचायत चुनाव अगस्त में होने की संभावना कम हो रही है क्योंकि प्रदेश चुनाव आयुक्त का पद एक महीने से अधिक समय से खाली है और नियुक्ति के लिए कोई सुगबुगाहट नहीं है। पंचायतों का कार्यकाल नौ जनवरी को समाप्त हो गया था और चुनाव लगातार टल रहे हैं।

    By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Sat, 12 Jul 2025 12:03 PM (IST)
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    जम्मू-कश्मीर में चुनाव आयुक्त का पद खाली कैसे होगा पंचायतों का गठन (File Photo)

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर में पंचायत चुनाव अगस्त में कराए जाने की संभावना क्षीण होती जा रही है, क्योंकि प्रदेश चुनाव आयुक्त (एसईसी) का पद लगभग एक माह से भी ज्यादा समय से रिक्त पड़ा है और उनके स्थानापन्न की नियुक्ति के लिए फिलहाल प्रशासनिक स्तर पर कोई सुगबुगाहट भी नहीं है। जम्मू-कश्मीर में अभी तक सिर्फ दो ही एसईसी ही रहे हैं।

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    पहले एसईसी केके शर्मा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद 14 जुलाई 2024 को बीआर शर्मा को एसईसी बनाया था। उनका कार्यकाल एक माह पहले समाप्त हो चुका है।

    जम्मू-कश्मीर में पंचायतों का कार्यकाल नौ जनवरी, 2024 को समाप्त हो गया था। उसके बाद से पंचायतों के चुनाव लगातार टल रहे हैं। पहले सुरक्षा कारणों से फिर संसदीय और विधानसभा चुनाव प्रक्रिया के चलते इन्हें टाला गया।

    इस दौरान पंचायतों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था की प्रक्रिया के लंबित होने और पंचायत हल्कों के परिसीमन के कारण पंचायत चुनाव नहीं कराए गए।

    संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो जम्मू-कश्मीर में पंचायत मतदाता सूचियों की पुनरीक्षण प्रक्रिया और ओबीसी के लिए आरक्षण की औपचारिकताएं भी पूरी की जा चुकी हैं। उम्मीद की जा रही थी कि जम्मू-कश्मीर में श्री अमरनाथ यात्रा के संपन्न होने के साथ ही पंचायत और शहरी निकायों के चुनाव कराए जाएंगे। लेकिन एसईसी के बिना यह मुश्किल है।

    इसके लिए सरकार जिम्मेदार: अनिल शर्मा

    ऑल जम्मू एंड कश्मीर पंचायत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि एसईसी जैसे महत्वपूर्ण पद का बीते एक माह से रिक्त होना मौजूदा सरकार की पंचायतों के गठन के प्रति गंभीरता को दर्शाता है। ऐसा लगता है कि मौजूदा सरकार यहां पंचायती राज व्यवस्था को नहीं देखना चाहती।

    इस मामले पर उपराज्यपाल व मुख्यमंत्री दोनों चुप हैं। जब आयोग का कोई प्रमुख नहीं होगा, तो इसका सीधा असर चुनावों पर पड़ेगा। आयोग द्वारा की गई विभिन्न कवायदों के कारण पहले ही काफी समय बरबाद हो चुका है। यह एसईसी का विशेषाधिकार है कि पंचायत चुनाव कैसे और कब कराए जाएं।