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    भारतीय नर्सिंग परिषद की जम्मू कश्मीर में बड़ी कार्रवाई, प्रदेश के 13 नर्सिंग संस्थानों की मान्यता रद्द

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 05:18 PM (IST)

    भारतीय नर्सिंग परिषद (आईएनसी) ने जम्मू-कश्मीर के 13 नर्सिंग संस्थानों की मान्यता रद्द कर दी है जिससे छात्रों का भविष्य खतरे में है। आईएनसी अधिनियम 1947 की धारा 14 के तहत यह निर्णय लिया गया है। प्रशासन द्वारा अनियमितताओं को दूर करने में विफलता के कारण यह कार्रवाई हुई। छात्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं ताकि उनकी डिग्रियां भारतभर में मान्य हों और उनका भविष्य सुरक्षित रहे।

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    जम्मू-कश्मीर के 13 नर्सिंग संस्थानों की मान्यता रद्द।

    डिजिटल डेस्क, श्रीनगर, जागरण। भारतीय नर्सिंग परिषद (आईएनसी) ने जम्मू-कश्मीर के 13 नर्सिंग संस्थानों की मान्यता औपचारिक रूप से वापस ले ली है। इस आदेश के बाद इन संस्थानों में व्यावसायिक पाठ्यक्रम करने वाले सैकड़ों छात्रों के भविष्य को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो गई हैं।

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    आईएनसी अधिनियम 1947 की धारा 14 के तहत जारी इस मान्यता रद्दीकरण ने इन डिग्रियों की अखिल भारतीय वैधता को समाप्त कर दिया है, जिससे केंद्र शासित प्रदेश के नर्सिंग स्नातकों के लिए जम्मू-कश्मीर के बाहर नौकरी तलाशना लगभग असंभव हो गया है।

    इस महीने की शुरुआत में जारी एक अधिसूचना में आईएनसी ने कहा कि यह निर्णय जम्मू-कश्मीर प्रशासन को बार-बार याद दिलाने और पत्र-व्यवहार करने के बाद लिया गया है। हद तो यह है कि प्रशासन की ओर से इनका कोई जवाब नहीं मिला। शीर्ष नर्सिंग निकाय ने अनुशासनहीनता, अनियमितताओं और वैधानिक नियमों व विनियमों का पालन न करने को अपने निर्णय का मुख्य आधार बताया।

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    उल्लंघनों को दूर करने में नहीं दिखाई गंभीरता

    अधिसूचना में कहा गया, "बार-बार याद दिलाने के बावजूद, जम्मू-कश्मीर के अधिकारी उल्लंघनों को दूर करने में विफल रहे। इन परिस्थितियों में, परिषद के पास मान्यता वापस लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।"

    इस वापसी का मतलब है कि डिग्रियां जम्मू-कश्मीर में तो मान्य रहेंगी लेकिन यहां से प्रशिक्षित युवाओं को भारत के अन्य हिस्सों में नर्सिंग काउंसिल और संस्थानों द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा। इससे उन छात्रों में व्यापक चिंता फैल गई है जो दूसरे राज्यों और विदेशों में रोजगार के अवसरों की उम्मीद कर रहे थे।

    छात्रों ने सरकार से की तत्काल हस्तक्षेप की मांग

    जम्मू और कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में बड़ी संख्या में छात्रों ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया है। श्रीनगर में एक प्रदर्शनकारी नर्सिंग छात्र ने बताया, "हमने अपनी पढ़ाई में वर्षों की कड़ी मेहनत और पैसा लगाया है लेकिन अब हमारा करियर खतरे में पड़ गया है। सरकार की चुप्पी अस्वीकार्य है।"

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    प्रभावित छात्रों के माता-पिता भी प्रदर्शनों में शामिल हुए और चेतावनी दी कि सरकार की उदासीनता युवा पेशेवरों को निराशा में डाल सकती है। बारामूला के एक अभिभावक ने कहा, "यह सिर्फ़ डिग्रियों का मामला नहीं है; यह रोज़ी-रोटी का मामला है। अधिकारियों की निष्क्रियता हमारे बच्चों के सपनों को कुचल रही है।"

    प्रदेश के नर्सिंग संस्थानों पर भरोसा होगा कम

    अधिसूचना को सार्वजनिक हुए तीन सप्ताह से ज़्यादा हो गए हैं, फिर भी जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। इस लंबी चुप्पी ने छात्रों और उनके परिवारों के बीच निराशा को और गहरा कर दिया है।

    केंद्र शासित प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए मान्यता रद्द करने के व्यापक निहितार्थ हैं, क्योंकि इससे प्रदान की जा रही नर्सिंग शिक्षा की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर तुरंत सुधारात्मक उपाय नहीं किए गए, तो इससे जम्मू-कश्मीर के नर्सिंग संस्थानों की विश्वसनीयता पर भरोसा कम हो सकता है।

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    छात्रों ने की जल्द मसले को सुझाने की मांग

    नर्सिंग छात्रों ने सरकार से आग्रह किया है कि वह तुरंत आईएनसी के साथ बातचीत करे और मान्यता रद्द करने के आदेश में उठाई गई चिंताओं का समाधान करे। छात्रों ने कहा, "सरकार को परिषद द्वारा निर्धारित मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करके मान्यता बहाल करने के लिए निर्णायक कदम उठाने चाहिए। यह केवल एक प्रक्रियात्मक मुद्दा नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और हमारे युवाओं के पेशेवर भविष्य को सीधे प्रभावित करता है।"