एपीपी अनु चाढ़क के खिलाफ जेजेबी की टिप्पणी को उच्च न्यायालय ने बताया अनुचित व हानिकारक, कार्रवाई पर रोक के निर्देश
जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने सांबा किशोर न्याय बोर्ड द्वारा एपीपी अनु चाढ़क के खिलाफ की गई टिप्पणी को रद्द कर दिया है इसे अनुचित बताया। न्यायमूर्ति संजय धर ने कहा कि बोर्ड की टिप्पणी अनावश्यक थी क्योंकि चाढ़क की अनुपस्थिति समय-सारिणी के टकराव के कारण थी। न्यायालय ने यह भी कहा कि लोक सेवकों के विरुद्ध प्रतिकूल टिप्पणियां बिना आवश्यकता व साक्ष्य के नहीं की जा सकतीं।

डिजिटल डेस्क, जागरण, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय ने सांबा स्थित किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) द्वारा असिस्टेंट पब्लिक प्रॉसिक्यूटर (एपीपी) अनु चाढ़क के खिलाफ की गई टिप्पणी को रद्द कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि यह टिप्पणी अनुचित और अभियोजक की पेशेवर प्रतिष्ठा के लिए हानिकारक है।
न्यायमूर्ति संजय धर ने अभियोजक अनु चाढ़क द्वारा दायर एक याचिका पर यह आदेश दिया। चाढ़क ने किशोर न्याय बोर्ड के 8 सितंबर के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उनके आचरण की निंदा की गई थी और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की गई थी। सांबा के अतिरिक्त विशेष मोबाइल मजिस्ट्रेट की अदालत में एपीपी के रूप में तैनात अनु चाढ़क को जेजेबी का अस्थायी प्रभार भी दिया गया है।
यह भी पढ़ें- कश्मीर पुलिस को मिली बड़ी सफलता, कुख्यात ठग जुबैर गिरफ्तार; कई वारंट और अदालती निर्देशों के बावजूद था फरार
चाढ़क को अपने आचरण के लिए माफी मांगनी चाहिए
जेजेबी ने चाढ़क के खिलाफ की गई टिप्पणियों में कहा था कि उन्होंने अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में लापरवाही बरती है। बोर्ड ने यह भी कहा था कि चाढ़क को अपने आचरण के लिए माफी मांगनी चाहिए और यह भी सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसी लापरवाही फिर न हो।
बोर्ड की चाढ़क पर टिप्पणी अनावश्यक
वहीं उच्च न्यायालय ने जेजेबी की टिप्पणियों से असहमति जताते हुए कहा कि लोक सेवकों के विरुद्ध प्रतिकूल टिप्पणियां यूं ही नहीं की जा सकतीं। उनकी टिप्पणी आवश्यकता व साक्ष्य पर आधारित होनी चाहिए। न्यायमूर्ति धर ने कहा कि बोर्ड उनकी अनुपस्थिति के कारणों का पता लगाने में विफल रहा।
समय-सारिणी में टकराव के कारण हुआ ये सब
यह सब समय-सारिणी में टकराव के कारण हुआ। उन्होंने आगे कहा कि चूंकि ज़मानत मामले में अभियुक्त हिरासत में नहीं था, इसलिए मामले की सुनवाई स्थगित की जा सकती थी। अदालत ने यह भी कहा, "सिर्फ़ इसलिए कि कोई लोक अभियोजक मामले पर बहस करने में असमर्थ रहा है या उसने संक्षिप्त विवरण तैयार करने के लिए समय मांगा है, आलोचना करने की ज़रूरत नहीं है।"
यह भी पढ़ें- किश्तवाड़ बना आकांक्षी कृषि जिला, प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के तहत मिला यह दर्जा
टिप्पणियों को हटाने के दिए निर्देश
जेजेबी की टिप्पणियों को मामले के निर्णय के लिए अनावश्यक बताते हुए उच्च न्यायालय ने उसे हटाने का आदेश दिया और निर्देश दिया कि चाढ़क के विरुद्ध कोई कार्रवाई न की जाए।
इस आदेश से चाढ़क को बड़ी राहत मिली है। उन्हें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में आसानी होगी। उच्च न्यायालय के इस आदेश से यह भी स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका लोक सेवकों के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।