जम्मू-कश्मीर के भुला दिए गए आतंकवाद पीड़ितों को मिला न्याय, एलजी सिन्हा ने मारे गए 250 नागरिकों के परिवारों को सौंपे नियुक्ति पत्र
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने श्रीनगर में आतंकवाद पीड़ितों के 250 परिवारों को नियुक्ति पत्र सौंपे। ये परिवार उत्तरी मध्य और दक्षिणी कश्मीर के हैं जिन्होंने पिछले तीन दशकों में आतंकवाद में अपनों को खो दिया। नियुक्ति पत्र प्राप्त करने वालों ने सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया। मनोज सिन्हा ने कहा कि प्रशासन आतंकवाद पीड़ितों के लिए सम्मान और सुरक्षित आजीविका सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पीड़ितों के लिए न्याय और सम्मान की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा श्रीनगर स्थित शेर-ए-कश्मीर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र (SKICC)में आतंकवाद पीड़ितों के 250 परिवारों को नियुक्ति पत्र सौंपे।
इन 250 परिवारों में से 158 को सीधे उपराज्यपाल से नियुक्ति पत्र मिले जबकि शेष परिवारों को आने वाले दिनों में जिला स्तर पर नियुक्ति पत्र सौंपे जाएंगे। सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र हासिल करने के लिए मंच पर आ रहे आतंकवाद पीड़ितों के परिजनों के चेहरे के भाव यह स्पष्ट कर रहे थे कि सालों बाद ही सही परंतु आज उनकी परेशानियों का अंत हुआ है। किसी ने उपराज्यपाल के माथे को चुमा तो किसी ने उनके हाथ को। कई युवाओं ने जहां उनके पांव को छुकर आशीर्वाद लिया तो बुजुर्गों ने उनकी लंबी आयु की कामना की।
प्रशासन मदद के लिए हमेशा प्रतिबद्ध
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी पूरे सम्मान के साथ इन परिवारों को विश्वास दिलाया कि आगे भी प्रशासन उनकी मदद के लिए हमेशा प्रतिबद्ध है। पिछले तीन दशकों में आतंकवादी हिंसा में अपने प्रियजनों को खोने वाले ये लाभार्थी घाटी के विभिन्न क्षेत्रों - उत्तरी कश्मीर के बारामूला, बांडीपोरा, कुपवाड़ा; मध्य कश्मीर के बडगाम, गांदरबल, श्रीनगर और दक्षिण कश्मीर के पुलवामा, शोपियां और अनंतनाग से थे।
कुछ नियुक्त व्यक्तियों ने उपराज्यपाल से पत्र प्राप्त करते हुए अपने भावनात्मक अनुभव भी साझा किए। एक लाभार्थी जिसकी आंखों में आंसू थे, ने कहा, "मैं केवल छह महीने का था जब मेरे पिता आतंकवाद का शिकार हो गए थे। हमारे परिवार के सदस्य हमें अकेला छोड़ गए थे। जब मनोज सिन्हा साहब ने घोषणा की कि 30 दिनों के भीतर हमें नौकरी दी जाएगी और आज जब हमें नौकरी मिल रही है तो ऐसा लग रहा है जैसे मेरे पिता फिर से जीवित हो गए हों।
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एक अन्य नियुक्त व्यक्ति ने आभार व्यक्त करते हुए कहा, "हमने वर्षों तक हर दरवाजा खटखटाया लेकिन किसी ने हमारी मदद नहीं की। आज इस सहायता ने हमें भविष्य के लिए नई आशा दी है।
दशकों तक चुपचाप दर्द और कठिनाइयों को सहा
इन परिवारों की अपार पीड़ा को समझते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने उन्हें प्रशासन की ओर से निरंतर सहायता का आश्वासन दिया। इन परिवारों ने दशकों तक चुपचाप दर्द और कठिनाइयों को सहा है। उनके साथ खड़े रहना और उन्हें न्याय, मान्यता और सार्थक पुनर्वास प्रदान करना हमारा नैतिक कर्तव्य है।
आपको बता दें कि यह आतंकवाद पीड़ितों के परिजनों के लिए की जा रही कई पहलों का एक हिस्सा है। इससे पहले उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 13 जुलाई को बारामूला में 40 नियुक्ति पत्र वितरित किए गए थे जबकि 28 जुलाई को जम्मू में 80 परिवारों को नौकरी प्रदान की गई थी।
उपराज्यपाल ने दोहराया कि प्रशासन जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का दंश झेलने वालों के लिए सम्मान और सुरक्षित आजीविका सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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कश्मीर के ये परिवार तीन दशकों से सह रहे थे पीड़ा
आपको बता दें कि उत्तर, मध्य और दक्षिण कश्मीर के ये परिवार पिछले तीन दशकों में आतंकवाद के क्रूर कृत्यों में अपनों को खोने के बाद अकल्पनीय कष्ट झेल रहे थे। पीड़ितों में अधिकतर वे परिवार शामिल थे, जिनके घरों के मुख्य कमाने वालों को जैश-ए-मोहम्मद (JeM), हिजबुल मुजाहिदीन (HM), लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और घाटी में सक्रिय अन्य आतंकी समूहों ने निशाना बनाकर मार डाला।
शारीरिक क्षति के अलावा इन परिवारों ने गहरे भावनात्मक आघात, आर्थिक तंगी और सामाजिक अलगाव से भी संघर्ष किया है। वर्षों तक उनके दर्द को ज्यादातर अनदेखा किया गया। सहानुभूति और संस्थागत समर्थन प्राप्त करने के बजाय उन्हें अक्सर हाशिये पर धकेल दिया गया। यही नहीं समाज द्वारा भुला दिया गया और व्यवस्था द्वारा अनदेखा कर दिया गया।
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उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने अपने बयान में कहा, "आतंकवाद के ज़ख्म गहरे हैं। लेकिन प्रशासन यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि देश के लिए बलिदान देने वालों को अब भुलाया न जाए।"
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