जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के वो पांच बयान जिन्होंने मचा दिया था बवाल
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक अपने कार्यकाल में विवादों में रहे। उन्होंने राज्यपाल रहते हुए आरोप लगाया था कि उन्हें दो फाइलों पर हस्ताक्षर करने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी जिसमें आरएसएस से जुड़े एक नेता और एक उद्योगपति शामिल थे। उन्होंने कश्मीरी नेताओं और अधिकारियों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए।

राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक लोगों के बीच काफी पापुलर थे। हालांकि जब तक जम्मू-कश्मीर के वह राज्यपाल रहे, उनका नाता विवादों के साथ जुड़ा रहा। एक बार उन्होंने ऐसा बयान दिया कि पूरे देश में सनसनी मच गई। राज्यपाल रहते उन्होंने यह आरोप लगाया था कि उन्हें दो फाइलों पर हस्ताक्षर करने के लिए 300 करोड़ रुपयों की रिश्वत आफर हुई थी ।
रिश्वत आफर करने का आरोप उन्होंने एक आरएसएस से जुड़े बड़े नेता और एक देश के बड़े उद्योगपति पर लगाया था। राज्यपाल के पद पर रहते हुए सत्यपाल मलिक ने कहा था कि जब वह नहा कर बाहर निकले तो एक बड़ा नेता उनके घर उनसे मिलने के लिए आया था।
वह चाहता था कि एक फाइल पर मैं हस्ताक्षर कर दूं और इसके बदले में उन्हें 150 करोड़ रुपये मिलेगा। लेकिन उन्होंने साफ मना कर दिया था। उन्होंने बाद में यह भी कहा था कि इसकी जानकारी उन्होंने प्रधानमंत्री को भी दी थी।
यह भी पढ़ें- फैक्स मशीन खराब है! सत्यपाल मलिक के कार्यकाल से जुड़ी वो घटना, जिसने बदल दिया जम्मू-कश्मीर का नक्शा
सड़े हुए आलू हैं देश के कुछ अमीर : सत्यपाल मलिक देश के एक अमीर वर्ग को सड़े हुए आलू जैसा बता चुके हैं। उन्होंने कहा कि इन लोगों में समाज के प्रति कोई भी संवेदनशीलता नहीं है और यह किसी को दान नहीं देते। कोई धार्मिक काम नहीं करते। उन्होंने कहा था कि वह इन्हें इंसान नहीं बल्कि सड़ा हुआ आलू के समान मानते हैं। हालांकि उन्हाेंने किसी का नाम नहीं लिया था।
कश्मीरी नेताओं को आड़े हाथ लेते रहे सत्यपाल मलिक : सत्यपाल मलिक हमेशा कश्मीर के नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ खुलकर बोले हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि कश्मीर के सभी नेता इतने अमीर हैं और आलीशान बंगले बनाए हुए हैं लेकिन लोगों के बारे में कुछ नहीं सोचते हैं। वह कहते थे कि इन नेताओं के घरों में कालीन बिछे हुए हैं।
यहां भ्रष्टाचार इतना है कि एक फाइल एक टेबल से दूसरे टेबल तक पहुंचने में महीनों लग जाते हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर बैंक में हुई नियुक्तियों में धांधली होने की बात भी कही थी। मलिक ने कहा था जम्मू कश्मीर में मेरा तजुर्बे का भंडार भरता जा रहा है। दो-चार साल में किताब लिख दूंगा। उन्होंने कहा कि किताबें तो मैंने पांच छह हजार पढ़ी, लेकिन काम अपनी जाट मानसिकता से करता हूं।
यह भी पढ़ें- कैसा संयोग! सत्यपाल मलिक के कार्यकाल में आज ही हटा था Article 370, निधन के बाद जम्मू-कश्मीर के नेताओं का आया रिएक्शन
रहबर-ए-तालीम को कर दिया था बंद : सत्यपाल मलिक ने अपने कार्यकाल के दौरान पिछले कई वर्षों से चली जा रही रहबर-ए-तालीम योजना को भी समाप्त कर दिया था। इस योजना के तहत अध्यापकों को पांच वर्ष के लिए मात्र तीन हजार रुपये वेतन दिया जाता था।
उन्होंने अहम फैसला लेते हुए इस योजना को बंद कर दिया और जितने भी अध्यापक थे स्थायी कर दिया था। इससे कम से कम 30000 रहबर-ए-तालीम शिक्षकों को लाभ पहुंचा था। लेकिन अगले कई वर्षों के लिए अध्यापकों के पद निकलना बंद हो गए। 2018 से लेकर आज तक अध्यापकों के पदों के लिए कोई भर्ती नहीं हुई है।
यह भी लगाया था आरोप : सत्यपाल मलिक ने श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में एक और बहुत बड़ा खुलासा किया था। उन्होंने कहा था कि मुझ पर माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर की नियुक्ति के लिए दबाब बनाया गया था।
यह भी पढ़ें- एसएमजीएस जम्मू अस्पताल में स्वास्थ्य जांच को आई किशोरी निकली गर्भवती, पाक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज
कुछ लोग इसके लिए आए थे और वह यह मुद्दा लेकर प्रधानमंत्री के पास पहुंच गए थे। प्रधानमंत्री ने उनसे कहा था कि अगर 19, 20 का अंतर हो तो देख लेना। उन्होंने कहा कि वह विश्वविद्यालय का वाइस चांसलर बिहार से एक काबिल शिक्षाविद् वैज्ञानिक को लाए थे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।