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    जम्मू-कश्मीर विधानसभा का चौथा सत्र सरकार के लिए बड़ी चुनौती, LG Sinha को भेजी सिफारिश, 13 अक्टूबर को शुरू होगा सत्र

    Updated: Tue, 23 Sep 2025 05:43 PM (IST)

    जम्मू कश्मीर विधानसभा का चौथा सत्र 13 से 20 अक्टूबर 2025 तक होगा। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में प्रदेश केबिनेट ने इसकी सिफारिश की है। यह सत्र हंगामेदार रहने की उम्मीद है जिसमें विपक्ष बाढ़ से निपटने जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाए गए विधायक मेहराज मलिक और आरक्षण जैसे मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगेगा।

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    सरकार को अपने एक वर्ष की उपलब्धियां भी बतानी होंगी। फाइल फोटो।

    नवीन नवाज, जागरण, श्रीनगर। जम्मू कश्मीर विधानसभा के चौथे सत्र को लेकर बना असमंजस मंगलवार को दूर होता नजर आया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में प्रदेश केबिनेट ने 13 से 20 अक्टूबर 2025 तक सत्र बुलाने की सिफारिश की है।

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    प्रस्तावित सत्र बेशक एक सप्ताह का रहेगा, लेकिन यह हंगामापूर्ण रहेगा क्योंकि प्रदेश सरकार को अपने एक वर्ष की उपलब्धियां बतानी होंगी। बाढ़ से उपजे हालात से निपटने और जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाए गए विधायक मेहराज मलिक के मुद्दे पर विपक्ष उससे जवाब तलब करेगा।

    सरकारी नौकरियों में आरक्षण और पंचायत व नगर निकायों के चुनावों का मुद्दा भी उठेगा, जिन पर सरकार को सिर्फ विपक्षा का ही नहीं अपने विधायकों का भी सामना करना पड़ेगा।

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    उमर सरकार का यह चौथा विधानसभा सत्र

    आपको बता दें कि 16 अक्टूबर 2024 को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में सत्तासीन हुई प्रदेश सरकार के लिए यह चौथा विधानसभा सत्र है। पहला सत्र बीते वर्ष नवंबर में संपन्न हुआ था। उसके बाद दूसरा सत्र जोकि बजट सत्र था, इसी वर्ष अप्रैल में संपन्न हुआ था। तीसरा सत्र मात्र एक दिन का था, जो पहलगाम हमले से उपजे हालात के मद्देनजर 28 अप्रैल को बुलाया गया था।

    प्रदेश केबिनेट ने आज सत्र बुलाए जाने की सिफारिश को उपराज्यपाल को भेजा है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा अब इस सिफारिश को अगर स्वीकारते हैं तो सत्र 13 अक्टूबर को ग्रीष्मकालीन राजधानी में ही होगा। वर्ष 2019 से पहले जब जम्मू कश्मीर और लद्दाख एकीकृत राज्य था, तो बजट सत्र शीतकालीन राजधानी जम्मू मेंं होता था।

    उसके बाद दूसरा सत्र सितंबर में ग्रीष्मकालीन राजधानी में ही बुलाया जाता था। कई बार तत्कालीन परिस्थितियों के आधार पर बजट सत्र भी श्रीनगर में ही आयोजित किया गया है।

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    छह महीने में कम से कम दो सत्र होना जरूरी

    जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुसार, उपराज्यपाल जब चाहें सत्र बुला सकते हैं, लेकिन छह महीने में कम से कम दो सत्र होने चाहिए। इसलिए 28 अक्टूबर तक सत्र बुलाया जाना जरुरी है,क्येांकि पिछला सत्र 28 अप्रैल को हुआ था।

    सत्र को लेकर बने असंजस के बीच ही गत दिनों विधानसभा सचिवालय ने भी विधि विभाग को एक एक पत्र लिखकर सूचित किया था कि 28 अक्टूबर तक सत्र बुलाया जाना जरुरी है और इस संदर्भ में आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने कीप्रक्रिया शुरु की जानी चाहिए।

    एक सप्ताह तक चलेगा विधानसभा सत्र

    आगामी प्रस्तावित सत्र बेशक लगभग एक सप्ताह तक चलेगा, लेेकिन यह काफी हंगामापूर्णरहेगा। इस सत्र में मानसून की बारिश से जान-माल के नुकसान और सरकारी व निजी संपत्ति को हुए नुकसान से जुड़े मुद्दे, साथ ही आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक मेहराज मलिक को जन सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लेने का मुद्दा सत्र में प्रमुखता से उठेगा।

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    आरक्षण नीति और राज्य का दर्जा बहाल करने, हाइवे की स्थिति , सेब व्यापारियों को हुए नुक्सान पर भी सरकार को सिर्फ विपक्ष का ही नहीं अपने सदस्यों के सवालों का भी सामना करना पड़ेगा।

    हम सभी सवालों का जवाब देने को तैयार: नेकां

    नेशनल कान्फ्रेंस के एक विधायक ने अपना नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा कि हमें मालूम है कि सत्र में हमारे विरोधी हमसे कई तीखे सवाल करेंगे, लेकिन हम सभी सवालों का सामना करने और जवाब देने के लिए तैयार हैं। हमारे पास छिपाने को कुछ नहीं है।

    मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में हमारी सरकार ने बीते एक वर्ष के दौरान लगभग हर चुनावी वादे को पूरा करने का प्रयास किया है। राज्य के दर्जे पर हमने प्रस्ताव लाया था, विपक्ष के कुछ सदस्यों ने भी इस संदर्भ मेंपस्ताव लाए थे,लेकिन वक्फ संशोधन बिल को लेकर सदन मे जो स्थिति रही,उसके कारण राज्य के दर्जे की बहाली का प्रस्ताव रद हो या था।

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    पीडीपी नेता बोले हमें सत्र का बेसब्री से इंतजार

    पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के विधायक वहीद उर रहमान परा ने कहा कि हम तो सत्र का इंतजार कर रहे हैं, सत्र में नेशनल कान्फ्रेंस केा बताना होगा कि वह क्यों अब तक राज्य का दर्जा, विशेष स्थिति बहाल करने के संदर्भ में कोई स्प्ष्ट निर्णय नहीं ले रही है।

    आरक्षण नीति को लेकर केबिनेट उपसमिति की रिपोर्ट क्यों लागू नहीं की जाती, यहां विधायक को जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बना लिया जाता है वह सरकार चुप रहती है,क्यों? हाइवे बंद हैं और मुख्मयं9ी खुदको असहायत बताते हैं, क्यों?