कश्मीर घाटी में मौसम की बेरुखी सेब फसलों पर पड़ रही भारी, किसानों कर रहे फसल बीमा योजना की मांग
दक्षिण कश्मीर के शोपियां में सेब उत्पादक प्राकृतिक आपदाओं से परेशान हैं। ओलावृष्टि फसल रोगों और सूखे के बाद अब तेज हवाओं ने सेबों को गिरा दिया है। किसान फसल बीमा योजना की मांग कर रहे हैं ताकि उनकी आजीविका सुरक्षित रहे। वे सरकार से उचित मुआवजे और योजनाओं के कार्यान्वयन का आग्रह कर रहे हैं क्योंकि उनका अस्तित्व खतरे में है।

जागरण संवाददाता, श्रीनगर। पहले ओलावृष्टि, फिर फसल रोगों और लंबे समय तक सूखे की मार झेलने के बाद अब दक्षिण कश्मीर के शोपियां में फल उत्पादकों को तेज हवाओं के कारण नया नुकसान उठाना पड़ा है। अधिकतर किसानों के सेब के बागों को काफी नुकसान पहुंचा है।
शोपियां के चित्रगाम गांव के मालदेरा, हेफ्खुरी और उसके आस-पास के इलाकों के स्थानीय लोगों ने कहा कि बार-बार आने वाली प्राकृतिक आपदाओं ने बागवानों को परेशान कर दिया है। अब कई लोग अपनी आजीविका की रक्षा के लिए एक व्यापक फसल बीमा योजना के तत्काल कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं।
चित्रगाम के एक उत्पादक अब्दुल रशीद भट ने कहा, हर साल, यह एक नई आपदा होती है। इस बार तेज़ हवाओं ने कटाई के मौसम से पहले ही सेबों को गिरा दिया है।
उन्होंने कहा कि हम पहले ही कीटनाशकों और उर्वरकों पर हज़ारों खर्च कर चुके हैं। अब हम क्या करें? क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला सेब उद्योग लगातार मौसम की अनिश्चितताओं और पौधों की बीमारियों के प्रभाव से जूझ रहा है।
फल उत्पादकों ने कहा कि एक मजबूत बीमा प्रणाली की कमी हर गुजरते मौसम के साथ उनके अस्तित्व को कठिन बना रही है।
एक अन्य स्थानीय उत्पादक अब्दुल रजाक परे ने कहा, जब भी नुकसान होता है, सरकार हमें मुआवज़े के तौर पर बस कुछ पैसे देती है। यह हमारे ज़ख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। हम उचित फसल बीमा के ज़रिए सुरक्षा चाहते हैं।
उत्पादकों ने कहा कि उन्हें आपदाओं के दौरान राहत प्रदान करने वाली सरकारी योजनाओं से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन उनका आरोप है कि ये योजनाएँ सिर्फ़ कागज़ों तक ही सीमित हैं।
तीन दशकों से सेब की खेती कर रहे निसार अमहद लोन ने कहा, हम प्रशासन से जम्मू-कश्मीर के सभी बागवानी क्षेत्रों में फसल बीमा योजना तुरंत लागू करने का आग्रह करते हैं। इसके बिना, हमारा उद्योग बर्बाद हो जाएगा। प्रभावित उत्पादकों ने बागवानी विभाग और प्रशासन से स्थिति और बिगड़ने से पहले तत्काल कदम उठाने की अपील की है।
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एक अन्य बागवान ने कहा कि यह हमारी रोज़ी-रोटी है। हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह हमारी बार-बार की गई गुहार को अब और नज़रअंदाज़ न करे।
बागवानों ने इसे अपने अस्तित्व का प्रश्न बताते हुए कहा कि एक ही साल में उनके बाग ओलावृष्टि, नई बीमारियों, लंबे समय तक सूखे और अब तेज़ हवाओं की मार झेल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इन हालात में हमारा अस्तित्व खतरे में है।उन्होंने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, बागवानी मंत्री जाविद डार और बागवानी विभाग के अधिकारियों से इस मामले पर गौर करने और फसल बीमा योजना को लागू करने के लिए तत्काल प्रयास करने का अनुरोध किया।
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