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    जम्मू-कश्मीर के उद्यानों ने 5 वर्षों में कमाए 56.4 करोड़, फूलवानी से इस तरह हो रहा अर्थव्यवस्था में सुधार

    Updated: Sat, 19 Jul 2025 04:20 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर के उद्यान और पार्क आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण हो रहे हैं। पिछले पांच वर्षों में इनसे 56.4 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ है। 2024-25 में अप्रैल से नवंबर तक 19.40 करोड़ रुपये की कमाई हुई। कश्मीर में इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डन और जम्मू में बाग-ए-बाहु जैसे उद्यान पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।

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    फूलों की खेती से होने वाली आय भी बढ़ी है, जो उच्च-मूल्य वाली खेती की ओर बदलाव को दर्शाती है।

    डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर का फूलवानी क्षेत्र चुपचाप एक उल्लेखनीय आर्थिक उपलब्धि के रूप में उभर रहा है। प्रदेश में मौजूद सार्वजनिक उद्यानों और पार्कों ने पिछले पांच वर्षों में 56.4 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व अर्जित किया है।

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    जो कभी केवल एक मौसमी पर्यटक का आकर्षण माना जाता था, अब धीरे-धीरे सरकार के लिए आय का एक स्थायी स्रोत बन गया है। यही नहीं ये पार्क-उद्यान पर्यटन अर्थव्यवस्था, रोजगार के साथ शहरी सौंदर्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

    फूलवानी, उद्यान और पार्क विभाग के आधिकारिक आंकड़े इस परिवर्तन को दर्शाते हैं। 2020-21 में उद्यान से संबंधित स्रोतों जिसमें प्रवेश टिकट, फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की अनुमति और पौध सामग्री की बिक्री शामिल है, से कुल 2.49 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया।

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    उसके अगले वर्ष यह राजस्व बढ़कर 6.70 करोड़ रुपये हो गया। 2022-23 में यह वृद्धि दर तेज़ी से बढ़ी और 60.48 लाख लोगों ने जम्मू-कश्मीर के इन उद्यानों का भ्रमण किया जिससे 13.46 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ।

    इसी तरह 2023-24 तक पर्यटकों की संख्या बढ़कर 65.74 लाख हो गई और वार्षिक राजस्व 14.35 करोड़ रुपये हो गया। चालू वित्त वर्ष 2024-25 में यह वृद्धि दर मजबूती बनाए हुए है। अकेले अप्रैल और नवंबर 2024 के बीच ही विभाग ने 61.38 लाख पर्यटकों से 19.40 करोड़ रुपये कमाए। उम्मीद जताई जा रही है कि इस वित्तीय वर्ष के समापन तक रिकार्ड तोड़ राजस्व जुटाया जाएगा।

    अधिकारी इस निरंतर वृद्धि का श्रेय बेहतर बुनियादी ढांचे, केंद्रित रखरखाव, बेहतर पर्यटक सेवाओं, कार्यक्रम नियोजकों सहित अन्यों के बीच व्यापक रुचि को देते हैं।

    फूलवानी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमारे उद्यान केवल दृश्य स्थल नहीं बल्कि आर्थिक संपत्ति के रूप में विकसित हो रहे हैं। "वे अब पर्यटन को बढ़ावा देते हैं, रोज़गार पैदा करते हैं और फूलों के व्यापार तथा सजावटी पौधों की बिक्री के माध्यम से स्थानीय व्यवसायों को लाभ पहुंचाते हैं।"

    जम्मू और कश्मीर में कुल 276 उद्यान और पार्क हैं जो 10,620 कनाल से अधिक भूमि पर फैले हुए हैं। अकेले कश्मीर संभाग में 211 हरित क्षेत्र हैं, जो 8,629 कनाल में फैले हैं। इसी तरह जम्मू क्षेत्र में 1,970 कनाल में 65 उद्यान हैं। कश्मीर में इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डन, जो एशिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा है, के अलावा निशात, शालीमार, परी महल, वेरीनाग, अच्छाबल और दारा शिकोह गार्डन सहित आठ प्रसिद्ध मुगल उद्यान जैसे प्रतिष्ठित स्थल पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण बने हुए हैं। इसी तरह जम्मू में बाग-ए-बाहु, महाराजा हरि सिंह पार्क और भोर कैंप गार्डन, यहां खासकर त्योहारों और छुट्टियों के मौसम में काफी भीड़ उमड़ती है।

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    केंद्र शासित प्रदेश में व्यावसायिक फूलों की खेती में तेज़ी से वृद्धि हो रही है। फूलों की खेती के क्षेत्र में उल्लेखनीय गिरावट के बावजूद—2023-24 में 266.67 हेक्टेयर से इस वर्ष 140.21 हेक्टेयर तक फूलों की खेती से होने वाली आय लगभग दोगुनी हो गई है। 2023-24 में, व्यावसायिक फूलों की खेती से 19.42 करोड़ रुपये की कमाई हुई।

    नवंबर 2024 तक यह आँकड़ा बढ़कर 34.78 करोड़ रुपये हो गया, जो 79 प्रतिशत की आश्चर्यजनक वृद्धि दर्शाता है। अधिकारियों का कहना है कि यह उच्च-मूल्य वाली खेती की प्रथाओं की ओर बदलाव को दर्शाता है। वे बताते हैं कि किसान बेहतर गुणवत्ता वाली फूलों की किस्मों और आधुनिक तकनीकों को तेज़ी से अपना रहे हैं और क्षेत्रीय व राष्ट्रीय बाज़ारों तक अपनी पहुंच बढ़ा रहे हैं।

    एक अन्य अधिकारी ने कहा, "जम्मू और कश्मीर में व्यावसायिक पुष्प-कृषि क्षेत्र लचीलापन और अनुकूलनशीलता दोनों दिखा रहा है। उत्पादक अब मात्रा से आगे बढ़कर गुणवत्ता, ब्रांडिंग और मूल्यवर्धन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।" सरकार के केंद्रित प्रयासों, उत्पादकों के लिए प्रोत्साहन, पुष्प महोत्सव, सौंदर्यीकरण परियोजनाओं और पर्यटन एवं सांस्कृतिक विभागों के साथ घनिष्ठ सहयोग ने एक ऐसे क्षेत्र में रुचि को पुनर्जीवित करने में मदद की है जिसे कभी सीमित माना जाता था।

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    उद्यान अब केवल पर्यटकों के लिए दर्शनीय स्थल ही नहीं रह गए हैं बल्कि प्रदर्शनियों, शादियों और फिल्म शूटिंग के लिए भी इनका उपयोग बढ़ रहा है, जिससे आय और रोजगार के कई स्रोत बन रहे हैं।

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