Gharana Wetland: भारत-पाक सीमा पर शांति से घराना वेटलैंड को मिला बढ़ावा, अब पूरे साल दिख रही पक्षियों की रौनक
जम्मू के घराना वेटलैंड में इस बार गर्मियों में भी पक्षियों की रौनक बनी रही क्योंकि सीमा पर शांति है। वन्यजीव संरक्षण विभाग घराना वेटलैंड में ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास कर रहा है जिससे सालभर पक्षी बने रहें। वेटलैंड की तारबंदी से मानव और पशुओं की आवाजाही कम हुई है जिससे स्थानीय बतखों को विचरण करने और परिवार बढ़ाने का बेहतर अवसर मिला।

जागरण संवाददाता, जम्मू। भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे घराना वेटलैंड में इस बार गर्मियों में भी पक्षियों की कुछ हद तक रौनक बनी रही। सीमा पर शांति और यहां मिले वातावरण के कारण स्थानीय बतखों को विचरण करने और परिवार बढ़ाने का अच्छा अवसर मिला।
वन्यजीव संरक्षण विभाग इसी प्रयास में लगा हुआ कि घराना में ऐसा वातावरण तैयार किया जाए जिससे सालभर पक्षियों की रौनक यहां बनी रहे। ये प्रयास सफल होते नजर आ भी रहे हैं। घराना वेटलैंड की तारबंदी किए जाने के बाद वेटलैंड क्षेत्र से इंसान की आवाजाही थम गई है।
ग्रामीण लोगों की वेटलैंड में आवाजाही पर तो पाबंदी है ही, इसी के साथ घास चराई के लिए भी माल मवेशियों के वेटलैंड क्षेत्र में ले जाने की रोक लगाई हुई है। वहीं कुत्तों के झुंड व अन्य जानवर भी अब तालाब क्षेत्र से परे हो गए। इससे प्रवासी पक्षियों का सुख चैन तो बढ़ा है। इन गर्मियों में तो स्थानीय बतखों को भी बेहतर व सुरक्षित वातावरण मिला है।
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यही वजह है कि गुगरल बतखों की संख्या भी यहां बढ़ आई है। तकरीबन 50-60 गुगरल बतखें यहां पर विचरण कर रही है। गर्मियों में घराना वेटलैंड के दौरे प जाने वाले लोगों को पक्षियों की कुछ न कुछ रौनक जरूर मिली, जोकि पहले नहीं मिला करती थी।
सर्दियों में अक्टूबर से प्रवासी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है और अप्रैल तक प्रवासी पक्षी यहीं पर बने रहते हैं। मई से अक्टूबर आने तक घराना वेटलैंड पक्षियों से खाली खाली रहता रहा है। लेकिन इस बार इसमें कुछ बदलाव रहा हैं। यहां तक कि इनका परिवार लगातार बढ़ रहा है। यही कारण है कि घराना वेटलैंड में इस गर्मियों में स्थानीय जलीय पक्षियों की अच्छी संख्या दिखी।
आपको बता दें कि घराना वेटलैंड का कुछ हिस्सा पाकिस्तान में भी हैं। यह क्षेत्र बड़ी संख्या में उन प्रवासी पक्षियों की मेजबानी करता है जो मध्य एशिया, साइबेरिया और दुनिया के अन्य दूर-दराज के हिस्सों से यहां तक की उड़ान भरते हैं।
पहले सीमा पर तनाव के बीच ये प्रवासी पक्षी ही क्या स्थानीय पक्षी भी यहां अधिक दिन तक नहीं रूकते थे। रही-सही कसर आसपास के ग्रामीण पूरी कर देते थे। अब सीमा पर शांति और ग्रामीणों की दखल न होने की वजह से इस वेटलैंड में इस दौरान भी पक्षियों की उपस्थिति देखी जा सकती है।
पक्षियों पर अध्ययन कर रही रितिका भगत जिन्होंने घराना वेटलैंड का दौरा किया था, ने बताया कि घराना वेटलैंड की फिजां ही बदल रही है। यहां एक ओर लोगों के लिए पर्याप्त सुविधाएं जुटाई जा रही है तो वहीं वेटलैंड सुरक्षित हो गया है। अब कोई जीव वेटलैंड में घुस नहीं सकता क्योंकि वेटलैंड परिधि की पहले ही तारबंदी की हुई है।
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पक्षियों के घोंसले सुरक्षित हुए हैं और इसी से उनका परिवार बढ़ रहा है। इस तरह के उपाय का आने वाले समय में असर दिखेगा, स्थानीय पक्षियों की संख्या बढ़ जाएगी और गर्मियों में घराना की रौनक बढ़ती जाएगी।
वन्यजीव संरक्षण विभाग घराना वेटलैंड पर कड़ी नजर रख रहा है। इस बार गुगरल बतखों ने यहां पर अंडे दिए और उनसे पनपे बच्चे अब बड़े हो चुके। पिछले दो वर्ष से गुगरल बतखों की संख्या लगातार बढ़ रही है। गर्मियों में दूसरी स्थानीय बतखों की भी इस बार घराना वेटलैंड की अच्छी संख्या दिख रही है। इसलिए हमें लगता है कि आने वाले समय में लोग 12 मास ही घराना में पक्षियों की रंगत देख सकेंगे। -रौशन लाल शर्मा, रेंज आफिसर, वन्यजीव संरक्षण विभाग
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