पहलगाम हमले के बाद श्रीनगर एयरपोर्ट पर यात्रियों की संख्या में 54 प्रतिशत की गिरावट, जानिए क्या है इसका कारण?
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद श्रीनगर एयरपोर्ट पर यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट आई है जिससे एयरलाइंस को उड़ानें कम करनी पड़ी हैं। आंकड़ों के अनुसार हवाई अड्डे पर यात्रियों की संख्या लगभग आधी रह गई है। पर्यटन पर निर्भर क्षेत्रों पर भी इसका असर पड़ा है बुकिंग रद्द होने और कम बुकिंग की आशंका है।

जागरण संवाददाता, श्रीनगर। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद श्रीनगर एयरपोर्ट पर यात्रियों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है। इससे एयरलाइंस को अपने ऑपरेशन कम करने पड़ रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, श्रीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर फ्लाइट आवाजाही और यात्रियों की संख्या सिर्फ पांच महीनों में आधी रह गई है।
इस गिरावट के कारणों के बारे में बात करते हुए, एक वरिष्ठ एविएशन अधिकारी ने कहा कि एयरलाइन कंपनियों के पास अपने शेड्यूल कम करने के अलावा कोई चारा नहीं था। उन्होंने कहा कि कुछ ही समय में फ्लाइटों में 50 प्रतिशत की कमी से मांग में गिरावट का पता चलता है।
इस गिरावट का असर टूरिज्म पर निर्भर दूसरे सेक्टरों पर भी पड़ रहा है। होटल और ट्रैवल एजेंटों का कहना है कि हमले के बाद बड़ी संख्या में बुकिंग कैंसिल हुईं और सर्दियों के महीनों के लिए भी उन्हें कम बुकिंग्स की आशंका है।
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आंकड़े दर्शाते हैं मौजूदा हालात
आंकड़ों के जरिए कश्मीर की टूरिज्म इंडस्ट्री जो उक्त हमले के बाद से औंधे मुंह गिरी हुई हैं, की मुश्किलों का अंदाजा लगाया जा सकता है। 22 अप्रैल, 2025 को आतंकी हमले से पहले घाटी में पर्यटन उद्योग चरम पर था। तब श्रीनगर हवाई अड्डे पर 102 फ्लाइटें थीं जिनमें 19,140 यात्री थे। घटना के दिन 51 फ्लाइटों में 9235 यात्री आए और 51 फ्लाइटों में 9905 यात्री गए।
वहीं आज हालात यह हैं कि 28 सितंबर, 2025 तक फ्लाइट ट्रैफिक घटकर 50 रह गया गया। यात्रियों की संख्या घटकर 8822 रह गई जो 54 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है। डेटा से पता चलता है कि 25 फ्लाइटों में 4265 यात्री आए और 25 फ्लाइटों में 4557 यात्री गए। यानी सितंबर का ट्रैफिक अप्रैल के मुकाबले आधा भी नहीं था।
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शेड्यूल कम करने के अलावा कोई चारा नहीं
सिविल एविएशन के अधिकारियों का कहना है कि एयरलाइन कंपनियों के पास अपने शेड्यूल कम करने के अलावा कोई चारा नहीं था। एयरलाइन कंपनियां नुकसान में काम नहीं कर सकतीं। कम लोड फैक्टर ने श्रीनगर रूट पर ऑपरेशन कम करने को मजबूर किया है। कम कनेक्टिविटी का असर टूरिज्म पर निर्भर दूसरे सेक्टरों पर भी पड़ रहा है।
उबरने में समय और भरोसा लगेगा
एविएशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर जल्द ही लोगों का भरोसा नहीं लौटा तो कश्मीर टूरिज्म के लिए दूसरा पीक सीजन मानी जाने वाली पतझड़ में भी टूरिस्टों की संख्या कम रह सकती है। एक वरिष्ठ टूरिज्म अधिकारी ने कहा, नंबर झूठ नहीं बोलते। आधे खाली लाउंज और कम फ्लाइटें इस बात का सबूत हैं कि हम मुश्किल हालात से निपटने की कोशिश कर रहे हैं। इस गिरावट से उबरने में समय और भरोसा लगेगा।
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