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    'लद्दाख में अशांति के पीछे कोई बाहरी ताकत नहीं, हम भी उनके साथ खड़े'; फारूक ने केंद्र सरकार को घेरा

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 02:21 PM (IST)

    नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि लद्दाख में अशांति केंद्र सरकार की विफलता का नतीजा है जिसने लेह को छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने में आनाकानी की। उन्होंने कहा कि सरकार लद्दाख के लोगों के राजनीतिक सामाजिक और आर्थिक हितों की रक्षा करने में विफल रही है।

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    डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने चेतावनी दी कि लद्दाख में अशांति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने गुरुवार को कहा कि लद्दाख में हिंसा के लिए किसी बाहरी ताकत का हाथ होने की आशंका से इंकार करते हुए कहा कि लेह में जो हुआ, वह छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने में केंद्र की विफलता का नतीजा है।

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    केंद्र सरकार लद्दाख के लोगों के राजनीतिक-सामाजिक-आर्थिक व क्षेत्रीय हितों के संरक्षण की गारंटी देने से पीछे हट रही है। उन्हांने कहा कि लद्दाख में अशांति किसी बड़े खतरे का कारण बन सकती है। केंद्र सरकार को इससे सबक लेना चाहिए और लद्दाख के साथ साथ जम्मू कश्मीर के साथ किए गए वादों कोभी जल्द पूरा करना चाहिए।

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    आज यहां श्रीनगर में नवा-ए-सुबह में पत्रकारों से बात करते हुए डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि लद्दाख के लोग पिछले पांच सालों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। उनके नेता ने तो लेह से दिल्ली तक पैदल मार्च किया, फिर भी उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया।

    केंद्र ने हमेशा लद्​दाख वासियों की मांगों को टाला है

    केंद्र सरकार ने हमेशा उनकी मांगो को टाला है और उनके आंदोलन को समाप्त करने के लिए, उनका ध्यान बंटाने के लिए एक दिखावे की हाई पावर्ड कमेटी बनाई हे जो सिर्फ बैठकाें तक सीमित रहती और एक बैठक के बाद दूसरी बैठक के लिए लंबी तारीख डालती है। केंद्र सरकार के इसी रवैये के कारण लद्दाख के लाेगों में विशेषकर युवाओं में गुस्सा और निराशा बढ़ती जा रही थी,जिसके कारण बुधवार को वहां हिंसा भड़क गई।

    उम्मीदें पूरी न होने पर भड़के लद्​दाख वासी

    डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि लद्दाख के लोगों को यकीन दिलाया गया था कि उन्हें रोजगार मिलेगा, विकास होगा, उनकी सभ्यता और संस्कृति का संरक्षण होगा। इससे उनकी उम्मीदें बढ़ गई और जब वह पूरी नहीं हुई, वादे झूठे निकले तो लोग सड़कों पर आ गए। कार्यालयों में आग लगा दी गई, पुलिस गाड़ियां जला दी गईं और झड़पें हुईं। चार लोगों की जान गई, जबकि दर्जनों लोग गंभीर चोटों के साथ अस्पताल में भर्ती हैं।

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    लद्​दाख की अपेक्षा खतरनाक साबित हो सकती है

    नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष ने कहा कि आप लद्दाख की स्थिति की उपेक्षा नहीं कर सकते। यह खतरनाक साबित हो सकता है। यह एक संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्र है, जहां चीन ने पहले ही बहुत सी जमीन पर कब्जा कर लिया है। यहां कोई भी अशांति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। लेह में हिंसा के लिए किसी बाहरी ताकत के हाथ की आशंका को खारिज करते हुए डा फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि "मुझे यकीन है कि इन घटनाओं के पीछे कोई बाहरी ताकत नहीं है।

    यह स्थानीय लोगों की आवाज है

    यह पूरी तरह से स्थानीय लोगों की आवाज है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को लद्दाख से सबक लेना चाहिए, क्योंकि जम्मू-कश्मीर को भी परिसीमन और चुनाव के बाद राज्य का दर्जा देने का वादा किया गया था। उन्होंने लेह में जान गंवाने वालों पर दुख जताया, शोक संतप्त परिवारों को सांत्वना दी और सरकार से बिना किसी देरी के बातचीत के जरिए संकट का समाधान करने का आग्रह किया।

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