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    5 अगस्त पूरे देश के लिए 'काला दिन', महबूबा बोली- राज्य के विशेष दर्जें को समाप्त करना संवैधानिक मूल्यों पर व्यापक हमले की शुरूआत

    Updated: Tue, 05 Aug 2025 05:23 PM (IST)

    पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 5 अगस्त पूरे देश के लिए काला दिन है क्योंकि इस दिन जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करना संवैधानिक मूल्यों पर हमला था। उन्होंने आरोप लगाया कि विरोध प्रदर्शन करने से उन्हें रोका गया। मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को एक प्रयोगशाला बना दिया गया है जहाँ लोगों को अधिकारहीन किया जा रहा है।

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    चेतावनी दी कि अगर भारत नहीं जागा तो यह पूरे देश में फैल जाएगा।

    डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को कहा कि 5 अगस्त पूरे देश के लिए "काला दिन" है। इस दिन जम्मू-कश्मीर राज्य के विशेष दर्जे को खत्म करना देश के संवैधानिक मूल्यों पर "एक व्यापक हमले की शुरुआत" थी।

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    पीडीपी प्रवक्ता ने यह भी दावा किया कि 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को "एकतरफा और असंवैधानिक" तरीके से हटाए जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं समेत उनकी अध्यक्ष को पार्टी कार्यालय श्रीनगर से बाहर निकलने से रोक दिया गया।

    विरोध रैली निकालने से रोकने पर हताष महबूबा मुफ्ती ने एक्स पर पोस्ट कर अपने गुस्से को जाहिर किया। उन्होंने लिखा कि "5 अगस्त सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए एक काला दिन है। इस दिन संविधान को विदेशी हाथों से नहीं बल्कि हमारे लोकतंत्र के केंद्र में एक क्रूर बहुमत द्वारा ध्वस्त किया गया था।"

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    उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को "असंवैधानिक" तरीके से हटाना कोई अंत नहीं था, "यह संवैधानिक मूल्यों पर एक व्यापक हमले की शुरुआत थी।"

    महबूबा ने यह भी आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर को एक प्रयोगशाला में बदल दिया गया। यहां के लोगों को अधिकारहीन कर दिया गया, उसकी जमीनें छीन ली गईं, उसकी जनसांख्यिकी को निशाना बनाया गया। जिसे कई लोग स्थानीय मुद्दा मानते थे, वह सभी के लिए एक चेतावनी थी।"

    “आज यह चेतावनी पूरे देश में फैल रही है। बिहार (एसआईआर) में लाखों लोगों के मताधिकार से वंचित होने का खतरा है। तमिलनाडु से लेकर कश्मीर तक गैर-स्थानीय मतदाताओं को बड़े पैमाने पर जोड़ा जा रहा है। ऐसा कर जनसांख्यिकीय हेरफेर और चुनावी विकृतियों का रास्ता खोला जा रहा है।

    “अगर भारत अभी नहीं जागा तो जम्मू-कश्मीर में जो शुरू हुआ बहुत जल्द वह पूरे देश को परिभाषित करेगा।” अपने नेताओं पर लगाए गए प्रतिबंधों की आलोचना करते हुए पीडीपी अध्यक्ष ने कहा, “कश्मीर में लोकतांत्रिक असहमति को दबाना आम बात हो गई है।”

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    आपको बता दें कि सुबह पीडीपी नेता और कार्यकर्ता पार्टी कार्यालय में इकट्ठा हुए और अनुच्छेद 370 को हटाए जाने की छठी वर्षगांठ पर इसके विरोध में एक विरोध मार्च निकालने की कोशिश की। इससे पहले कि ये कार्यकर्ता अपनी अध्यक्ष के नेतृत्व में सड़कों पर उतरते पुलिस ने उन्हें बाहर नहीं निकलने दिया। इसके बाद पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यालय में ही विरोध प्रदर्शन किया।

    अनुच्छेद 370 को गैरकानूनी तरीके से हटाया गया

    इसी बीच पत्रकारों से बात करते हुए पीडीपी नेता इल्तिजा मुफ़्ती ने कहा, "5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को गैरकानूनी तरीके से हटाया गया और जम्मू-कश्मीर का संविधान और झंडा हमसे छीन लिया गया।"

    "यही वह बदलाव है जो पिछले छह सालों में हुआ है। हम एक जनप्रतिनिध पार्टी हैं और अनुच्छेद 370 हटने के छह साल बाद भी हमें विरोध प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं दी जा रही है। छह साल पहले हमें नजरबंद कर दिया गया था और जम्मू-कश्मीर के आम लोगों और राजनीतिक दलों को भी नजरबंद कर दिया गया था।" छह साल बाद भी कोई बदलाव नहीं आया है।

    हमें यहां पीडीपी कार्यालय के अंदर जानवरों की तरह रखा गया

    "हमें यहां पीडीपी कार्यालय के अंदर जानवरों की तरह रखा गया है। यहां सीआरपीएफ का एक विशाल दल वाहन के साथ तैनात कर दिया गया और हमें आगे बढ़ने नहीं दिया गया। हमने उनसे कहा कि हम शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं। लेकिन हमें इजाज़त नहीं दी गई। यहां कुछ भी नहीं बदला है।"

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    इल्तिजा मुफ़्ती ने सरकार से सवाल किया कि यहां भारतीय संविधान के किस भाग का पालन किया जा रहा है? "हमें बोलने और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के मौलिक अधिकार से वंचित किया जा रहा है। न केवल हमारा विशेष दर्जा, झंडा और संविधान बल्कि हमारी आवाज भी छीनने की कोशिश की जा रही है।