जिला कठुआ के बनी में बारिश और भूस्खलन से मक्की की फसल बर्बाद, किसानों की पूरे साल की मेहनत पर फिरा पानी
कठुआ के बनी क्षेत्र में भारी बारिश और बाढ़ से मक्की की फसल बर्बाद हो गई है जिससे किसानों की आजीविका पर संकट आ गया है। किसान सरकार से मुआवजे और केसीसी ऋण माफी की मांग कर रहे हैं। फसल की बर्बादी से क्षेत्र में भूख और बेरोजगारी का संकट गहराने की आशंका है जिससे पलायन की नौबत आ सकती है।

संवाद सहयोगी, जागरण, बनी। कठुआ के पहाड़ी क्षेत्र बनी में किसानों की ज़िंदगी केवल मक्की की फसल पर ही टिकी रहती है। यहां का कठिन भू-भाग और ठंडा मौसम अन्य फसलों के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता, इसलिए सालभर में केवल एक ही बार मक्की की खेती होती है।
यही फसल किसानों के बच्चों की पढ़ाई, घर का खर्च, पशुओं का चारा और पूरे परिवार की आजीविका का सहारा होती है।किसान मई महीने में बीज बोते हैं और उम्मीद करते हैं कि अक्टूबर के अंत या नवंबर की शुरुआत तक फसल तैयार होकर घर की छत पर पहुंचेगी।
लेकिन इस वर्ष प्रकृति ने किसानों से उनका सहारा छीन लिया। भारी बारिश और बाढ़ ने न सिर्फ खेतों में पानी भर दिया बल्कि कई जगह मक्की की पूरी की पूरी बाड़ियां बह गईं। जहां फसल खड़ी रही, वहां भी पानी और तूफान से भुट्टे सड़ने लगे।अब किसानों के चेहरे मायूस हैं।
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इस बार घर कैसे चलेग गरीब किसान
हर गली, हर चौपाल में एक ही चर्चा है इस बार घर कैसे चलेग गरीब किसान, जो सालभर अपने बच्चों को एक ही फसल से पालते हैं, आज मजबूरी की बातें कर रहे हैं। कई परिवारों को चिंता है कि अगर अनाज नहीं मिला तो बच्चों को पेट भर भोजन पूरा करना मुश्किल होता है पढ़ाई-लिखाई का खर्च कैसे उठाएंगे।
सरकार को तुरंत कदम उठाने चाहिए। या तो उनका केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) का कर्ज माफ किया जाए, या फिर फसल के हुए भारी नुकसान की उचित मुआवजा राशि दी जाए। पहाड़ी क्षेत्रों में खेती का कोई और विकल्प नहीं होता, ऐसे में राहत मिलना बेहद ज़रूरी है।
जिला उपायुक्त राजेश शर्मा को भी किसानों ने सौंपा ज्ञापन
हाल ही में बनी का दौरा करने आए जिला उपायुक्त राजेश शर्मा को भी किसानों ने ज्ञापन सौंपकर अपनी पीड़ा बताई। किसानों ने प्रशासन से अपील की है कि हालात का तुरंत सर्वे करवाकर प्रभावित परिवारों को राहत दी जाए।
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किसानों की स्थिति देखकर साफ झलकता है कि इस साल बनी क्षेत्र में भूख और बेरोज़गारी का संकट गहराने वाला है। यहां का किसान खेत में मेहनत तो करता है, लेकिन उसके भविष्य का फैसला मौसम करता है।
समय पर राहत नहीं मिली तो पलायन की आ जाएगी नौबत
अगर समय पर राहत नहीं मिली, तो किसानों को रोज़गार और भोजन के लिए पलायन तक करना पड़ सकता है। किसान मक्की की फसल पर निर्भर है। अब जबकि यह भी हाथ से चली गई, तो हम अपने बच्चों को पेट भर रोटी और शिक्षा कैसे देंगे।
आज बनी की पहाड़ियों में हर किसान यही सोचते हुए नजर आता है कि उनकी एक साल की मेहनत, जो मिट्टी और पसीने से सिंची थी, अब सिर्फ बरसाती पानी में बहकर रह गई है।
पहाड़ी क्षेत्र बनी में उपजाऊ भूमि को भूस्खलन के कारण बुरी तरह से नुकसान पहुंचा है तो वही मक्की की फसल भी तबाहा हुईं है सरकार को चाहिए कि लोगों का कैसेसी माफ करें या उन्हें मुआवजा दिया जाए। काजल राजपूत, भारतीय जनता पार्टी
पानी चित्र बनी में लोकमत की फसल पर ही निर्भर रहते हैं और बारिश के कारण फसल बर्बाद होने से योग बहुत चिंतित है सरकार को चाहिए की बनी के किसानों की तरफ ध्यान दें और उचित मुआवजा दिया जाए। सुशील कुमार पूर्व सरपंच गति।
भारी बारिश के कारण बनी के लगभग सभी गांव में मक्की की फसल को नुकसान पहुंचा है तो कहीं पर भूस्खलन से भूमि क्षतिग्रस्त हुई है ऐसे किसान चिंतित हैं सरकार से चाहिए के किसानों को केसीसी माफ करें ताकि लोगों को राहत मिल सके। स्वामी राज समाज सेवक
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जिस किस्म की जे बारिश हुई है मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखी ऐसे में लोग बहुत डरे हुए थे लेकिन जैसे ही मौसम साफ हुआ है तो अब लोगों को मक्की की फसल की याद आ रही है जो पूरी तरह से तबाह हो गई है सरकार को चाहिए के लोगों को स्थित भरपाई पूरी करें। उत्तम चंद किसान सांदरुन
पहाड़ी क्षेत्र बनी यह भारी बारिश और भूस्खलन के कारण मक्की की फसल को नुकसान पहुंचा है इसके लिए विभाग के अधिकारियों को भी सूचित कराया गया है। सुरेंद्र कुमार, कृषि विभाग के एक्सटेंशन अधिकारी बनी
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