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    नशे का शिकार हो रहे जम्मू-कश्मीर के युवा, डरा रहे सरकारी आंकड़े, सीमा पार से सप्लाई होती है ड्रग्स

    Updated: Tue, 22 Jul 2025 02:43 PM (IST)

    जम्मू और कश्मीर में नशीली दवाओं का सेवन एक गंभीर संकट बन गया है। 2023 में IMHANS कश्मीर में हर मिनट एक से ज़्यादा नशा करने वाले व्यक्ति भर्ती हुए। 2024 में भी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है कश्मीर में हर मिनट और जम्मू में हर तीन मिनट में एक मरीज नशे की चपेट में पाया गया।

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    अनुच्छेद-370 हटने के बाद युवाओं में नशे की लत बढ़ी है, जिससे पुलिस के लिए आतंकवाद-ड्रग्स दोनों बड़ी चुनौतियां हैं।

    डिजिटल डेस्क, जम्मू। जम्मू और कश्मीर मादक पदार्थों के सेवन के एक खतरनाक संकट से जूझ रहे हैं। आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 2023 में हालात इस कदर बदतर थे कि इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेस (IMHANS) कश्मीर में हर मिनट एक से ज़्यादा नशा करने वाले व्यक्ति भर्ती हुए जबकि जीएमी जम्मू के नशामुक्ति केंद्र में लगभग हर दो मिनट में एक व्यक्ति भर्ती किया गया।

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    इस तरह के चिंताजनक हालात वर्ष 2024 तक जारी रहे। 30 जून 2024 तक के आंकड़े बताते हैं कि आलम यह रहा कि कश्मीर में हर मिनट एक मरीज और जम्मू में हर तीन मिनट में एक मरीज नशे की जद में संलिप्त पाया गया।

    आपको बता दें कि अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद घाटी के हालात में काफी बदलाव हुआ है। आतंकवाद की मूवमेंट व पथरबाजी की घटनाएं भी कम हुई हैं। युवा दलगत राजनीति से निकल अब नई सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं परंतु कुछ युवा नशे की राह पर निकल पड़े हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में हिरासत में लिए गए एक तिहाई आरोपी नशाखोरी के मामलों से जुड़े हुए हैं।

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    जेलों में बंद 5,532 विचाराधीन कैदियों में से लगभग दो हजार कैदी नशीले पदार्थों से संबंधित अपराधों में शामिल हैं। इनमें करीब 1400 आरोपियों की उम्र 35 साल से कम है। ज्यादातर आरोपी दक्षिण कश्मीर के रहने वाले हैं।

    पुलिस अधिकारी ने बताया कि दक्षिण कश्मीर में ड्रग्स आसानी से मिल जाती हैं। आतंकवाद में शामिल होने वाले ज्यादातर युवा भी दक्षिण कश्मीर से हैं। इसलिए पुलिस के लिए आतंकवाद और ड्रग्स दोनों ही बड़ी चुनौतियां हैं क्योंकि इसने कई लोगों की जान ले ली है। ज्यादातर ड्रग्स पंजाब और सीमा पार से लाई जाती हैं।

    इसी बीच सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में नशे के बढ़ते मामलों से संबंधित संसद में एक लिखित उत्तर में ये आंकड़े बताए कि प्रदेश में सरकारी नशामुक्ति उपचार केंद्रों में भर्ती मरीजों के आधार पर पेश किए। आपको बता दें कि ये आंकड़े वह संख्या जाहिर करते हैं, जिन युवाओं को उनके परिजनों ने नशामुक्ति केंद्र में भर्ती करवाया। हालांकि यह संख्या इससे कई गुणा अधिक हो सकती है क्योंकि अधिकतर मामले सरकार के समक्ष आते ही नहीं है।

    आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत प्राथमिक नशामुक्ति केंद्र IMHANS कश्मीर में 2023 में 5,79,595 मरीज़ आए। यानी हर मिनट 1 मरीज भर्ती हुआ। वहीं वर्ष 2024 के पहले छह महीनों में 2,23,749 रोगियों का उपचार किया गया जो लगभग प्रति मिनट एक रोगी की गति बनाए रखता है।

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    इसी प्रकार जीएमसी जम्मू स्थित नशामुक्ति उपचार केंद्र में 2023 में 2,34,107 रोगी आए। इन आंकड़ों के हिसाब से औसतन हर 2.2 मिनट में एक रोगी के बराबर है। जनवरी और जून 2024 के बीच 1,04,002 रोगियों ने उसी केंद्र में उपचार प्राप्त किया। यानी हर 3 मिनट में एक रोगी को इस केंद्र में भर्ती किया गया।

    ये आंकड़े जम्मू-कश्मीर में आधिकारिक रूप से स्वीकृत 15 नशा मुक्ति केंद्रों में से केवल दो प्रमुख केंद्रों को दर्शाते हैं। यदि सभी केंद्रों के आंकड़े जुटाए जाएं और उन मरीजों को शामिल किया जाए जो इन केंद्रों तक पहुंचते भी नहीं हैं, तो यह कहा जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर में हालात चिंताजनक हैं।

    सरकार के उत्तर के अनुसार जम्मू-कश्मीर में 15 स्वीकृत नशा मुक्ति केंद्र हैं जिनमें कश्मीर में 10 और जम्मू में 5 हैं, इसके अलावा 9 गैर-सरकारी संगठनों द्वारा संचालित नशा मुक्ति केंद्र और पुलवामा में 1 एकीकृत पुनर्वास केंद्र हैं। सभी 20 जिलों में नशा मुक्त भारत अभियान प्रकोष्ठ भी हैं, जो जन संपर्क और अंतर-एजेंसी समन्वय के लिए जिम्मेदार हैं।

    जम्मू-कश्मीर सरकार पुलिस की मदद से प्रदेश में नशे का कारोबार चला रहे लोगों के खिलाफ अभियान चलाए हुए है। पिछले कुछ महीनों में सरकार ने ऐसे लोगों की संपत्ति कुर्क करने का अभियान भी शुरू किया है, जो नशे के कारोबार से धन अर्जित कर रहे हैं। इसमें इस कारोबार को कमजोर करने में काफी हद तक मदद मिल रही है। 

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