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    किश्तवाड़ त्रासदी में लापता लोगों के परिजनों ने उमर अब्दुल्ला पर निकाली भड़ास, CM बोले- मैं उनका गुस्सा समझ सकता हूं

    Updated: Sat, 16 Aug 2025 04:45 PM (IST)

    किश्तवाड़ के चिशौटी में बचाव कार्य का जायजा लेने पहुंचे मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा। लापता लोगों के परिजनों ने अपनी भड़ास निकाली जिस पर मुख्यमंत्री ने उन्हें शांत करने की कोशिश की और हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि बचाव अभियान में सभी उपलब्ध बल तैनात किए गए हैं और सरकार पीड़ितों के परिवारों के साथ है।

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    मृतकों की संख्या लगभग 60 है, जबकि 70 से 80 लोग लापता हैं।

    डिजिटल डेस्क, किश्तवाड़। जम्मू संभाग के जिला किश्तवाड़ के चिशौटी में जारी बचाव कार्य का जायजा लेने के लिए जब मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला मौके पर पहुंचे तो उन्हें लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। त्रासदी में लापता हुए लोगों के परिजनों ने अब्दुल्ला के सामने अपनी भड़ास निकाली। अब्दुल्ला ने उन्हें शांत करने की कोशिश की और कहा कि वह खुद चाहते हैं कि बचाव अभियान जल्द से जल्द पूरा हो।

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    मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने उन्हें पास के एक तंबू में उनकी शिकायतें सुनने के लिए आमंत्रित भी किया लेकिन उनमें से कुछ लोग आनाकानी करने लगे। जिसके बाद उमर अब्दुल्ला वहां से चले गए।

    वे जानना चाहते हैं कि उनके परिवार के सदस्य ज़िंदा बचेंगे या नहीं

    वापसी के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं उनका गुस्सा समझ सकता हूं। वे पिछले दो दिनों से अपने लापता परिवार के सदस्यों का इंतज़ार कर रहे हैं। वे जवाब चाहते हैं। वे जानना चाहते हैं कि उनके परिवार के सदस्य ज़िंदा बचेंगे या नहीं।"

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    मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों की मांग है कि अगर लापता लोग अब जीवित नहीं हैं, तो उनके शव जल्द से जल्द अंतिम संस्कार के लिए उन्हें सौंप दिए जाएं।

    हम फंसे हुए लोगों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं

    अब्दुल्ला ने कहा, "हमने यथासंभव सभी बल तैनात कर दिए हैं, चाहे वह एनडीआरएफ हो, एसडीआरएफ हो, सेना हो, जम्मू-कश्मीर पुलिस हो या सीआईएसएफ हो। हम फंसे हुए लोगों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। और जहाँ बचाव कार्य नहीं हो पा रहा है, वहाँ हम कम से कम शवों को निकालकर उनके परिवारों को सौंप देंगे।"

    "फिलहाल, यह वास्तव में राहत अभियान नहीं है। हम जहां तक हो सके लोगों को बचाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उसके बाद हमारा लक्ष्य शवों को यथासंभव सर्वोत्तम तरीके से निकालना होगा।"

    लापता लोगों की संख्या 70 से 80 के बीच

    उन्होंने कहा कि मृतकों की संख्या लगभग 60 है, जबकि लापता लोगों की संख्या 70 से 80 के बीच है। "संख्या में थोड़ा उतार-चढ़ाव होगा लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह संख्या 500 या 1,000 तक पहुंच पाएगी जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा है। फिलहाल यह 80 है और यह भी एक बड़ी संख्या है।"

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    उमर ने कहा कि जानकारी मांगने वाले लोगों का गुस्सा समझ में आता है। उन्होंने कहा कि अभी बचाव अभियान का मुख्य उद्देश्य मलबे में फंसे लोगों को ढूंढना है।

    गांव में एक समन्वित बचाव और राहत अभियान चल रहा है, जहां 70 से 80 लोगों के लापता होने की सूचना उनके परिवारों ने दी है। स्थानीय लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि सैकड़ों लोग अचानक आई बाढ़ में बह गए होंगे और विशाल पत्थरों, लकड़ी के लट्ठों और मलबे के नीचे दब गए होंगे।

    प्रभावित परिवारों से मुलाकात की

    उमर अब्दुल्ला आज सुबह कार से बादल फटने से प्रभावित चिशौटी पहुंचे, जो कि किश्तवाड़ जिले में मचैल माता मंदिर जाने वाले रास्ते में आखिरी मोटर योग्य गांव है। इसी दौरान उन्होंने कुछ ऐसे लोगों से मुलाकात की जो बचाव और राहत कार्यों से खुश नहीं थे।

    एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी द्वारा जानकारी दिए जाने और नुकसान का आकलन करने के बाद मुख्यमंत्री ने नदी के दोनों किनारों पर रहने वाले कई प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। नदी को लकड़ियों से बने एक अस्थायी पुल से जोड़ा गया है।

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    घरों, सरकारी इमारतों सहित कई संपत्ति को पहुंचा नुकसान

    14 अगस्त को दोपहर लगभग 12:25 बजे चसोटी में त्रासदी हुई, जिसमें एक अस्थायी बाज़ार, तीर्थयात्रियों के लिए एक सामुदायिक रसोई स्थल और एक सुरक्षा चौकी ध्वस्त हो गई। अचानक आई बाढ़ में कम से कम 16 घर और सरकारी इमारतें, तीन मंदिर, चार पनचक्कियाँ, एक 30 मीटर लंबा पुल और एक दर्जन से ज़्यादा वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए।

    25 जुलाई से शुरू होकर 5 सितंबर को समाप्त होने वाली वार्षिक मचैल माता यात्रा शनिवार को लगातार तीसरे दिन स्थगित रही। 9,500 फुट ऊंचे इस मंदिर तक 8.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर चिशौटी से शुरू होती है।