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    महबूबा मुफ्ती का केंद्र सरकार पर आरोप, बोली- हथियारों की खरीद में हो रहा जन कल्याणकारी धन का उपयोग

    Updated: Fri, 01 Aug 2025 04:15 PM (IST)

    पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने जम्मू में कहा कि विकास और रोजगार के लिए आवंटित धन का उपयोग हथियार खरीदने में किया जा रहा है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में स्कूलों और अस्पतालों की खराब स्थिति पर चिंता जताई क्योंकि धन का अधिकांश भाग हथियारों पर खर्च हो रहा है। उन्होंने पाकिस्तान के आर्थिक संकट और भारत की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा युद्ध की चाहत हमें पीछे धकेल रही है।

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    महबूबा ने जम्मू-कश्मीर में प्रगति के लिए पाकिस्तान के साथ शांति को आवश्यक बताया।

    डिजिटल डेस्क, जम्मू। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को कहा कि विकास, रोजगार, स्कूलों और कल्याण के लिए आवंटित धन का दुरुपयोग हथियार खरीदने में किया जा रहा है।

    उन्होंने पीडीपी की 26वीं स्थापना वर्षगांठ पर जम्मू में आयोजित एक जनसभा के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि संघर्ष और युद्ध वैश्विक हथियार उद्योगों को फायदा पहुंचाते हैं।

    जम्मू-कश्मीर जैसे क्षेत्रों को ऐसे उद्देश्यों के लिए जमीन बनाया जाता है। "अगर कोई बड़ा देश भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध चाहता है तो उसे बस कश्मीर या जम्मू में विस्फोट करना होगा। फिर युद्ध शुरू हो जाएगा और हथियार बेचे जाएंगे।"

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    मुफ्ती ने चीन, अमेरिका, इज़राइल और जर्मनी जैसे वैश्विक हथियार निर्माता देशों का नाम लेते हुए कहा कि यही वे देश हैं जो युद्ध के दौरान मुनाफा कमाते हैं। "वे हथियार तभी बेच सकते हैं जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हो।"

    राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति मौजूदा रुख गरीबी उन्मूलन और रोज़गार की कीमत पर आ रहा है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि "हम 80 करोड़ लोगों को मुफ्त भोजन देते हैं। हम रोजगार नहीं दे पा रहे हैं। उसी पैसे का इस्तेमाल बेरोजगारी और गरीबी दूर करने में कर सकते हैं।"

    पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि क्षेत्र के स्कूलों और अस्पतालों की स्थिति मौजूदा बदलाव को दर्शाती है। "स्कूलों में अध्यापक, पर्याप्त ढांचागत सुविधाएं नहीं हैं, अस्पतालों में न डॉक्टर हैं, न दवाइयां, जहां तक कि पंखे भी नहीं हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि ज्यादातर पैसा हथियारों पर खर्च किया जाता है।"

    उन्होंने पाकिस्तान के आर्थिक संकट का भी ज़िक्र किया और उसकी तुलना भारत की चुनौतियों से की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान कर्ज पर चलता है लेकिन हम एक बड़ा देश हैं। फिर भी युद्ध की चाहत हमें पीछे धकेलती है। जम्मू और कश्मीर के मुद्दे हमें पीछे धकेल रहे हैं।"

    महबूबा ने कहा कि उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद मानते थे कि जम्मू और कश्मीर में प्रगति सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तान के साथ शांति ज़रूरी है। "वह कहते थे कि जब तक शांति नहीं होगी, हम गरीबी से नहीं लड़ सकते या रोज़गार पैदा नहीं कर सकते। हम सभी को बिजली नहीं दे सकते।"

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    जम्मू-कश्मीर के प्राकृतिक संसाधनों से आेतप्रोत हमारा प्रदेश जिसमें शेष भारत के लिए बिजली उत्पादन करने वाला पानी और खनन किए जाने वाले खनिज भारी मात्रा में मौजूद हैं, के बावजूद हम आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं।"यहां के शिक्षित युवाओं को अवसर नहीं मिल रहे हैं। फिर भी, हम पिछड़े हैं।"

    क्षेत्रीय असंतुलन पर बोलते हुए महबूबा ने कहा कि राष्ट्रीय राजनीति में जम्मू की चिंताओं को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। हम रोज कश्मीर की बात करते हैं, यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय नेता भी कश्मीर की बात करते हैं लेकिन जम्मू के बारे में शायद ही कोई बात करता है। और जब वे करते भी हैं तो चुनावों के दौरान।"

    मुफ्ती ने 2018 से जम्मू में भाजपा और नेशनल कॉन्फ्रेंस के रिकॉर्ड पर भी सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि 2018 से भाजपा की दिल्ली और जम्मू-कश्मीर दोनों जगहों पर सरकार थी। इसने जम्मू के लिए क्या किया? "बेरोज़गारी और मुद्रास्फीति अभी भी उच्च स्तर पर है।"

    चुनावों के दौरान किए गए राजनीतिक वादों, जैसे मुफ़्त बिजली, सब्सिडी वाले सिलेंडर और रोजगार की गारंटी जैसे वादे अभी तक पूरा होने पर भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने पूछा कि एक साल बीत गया। उन वादों के लिए प्रदेश की जनता को और कितना इंतजार करना होगा? उन्होंने यह भी कहा कि सार्थक विकास के लिए जम्मू-कश्मीर में शांति आवश्यक है। ‘‘जब तक शांति नहीं होगी, स्थिति ऐसी ही रहेगी।’’ 

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