कितने सुरक्षित हैं स्कूल: असुरक्षित भवनों में भविष्य संवार रहे ग्रामीण छात्र, छतों से गिर रहा मलबा तो कहीं भवन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त
बसोहली के सरकारी स्कूलों की हालत चिंताजनक है। करोड़ों के फंड के बावजूद कई स्कूल भवन जर्जर हैं जिनमें बारिश में पानी टपकता है और फर्श भी ठीक नहीं हैं। नगरोटा प्रेहता और खरमेथ जैसे स्कूलों की हालत खस्ता है तो जानु में चहारदीवारी और मैदान तक नहीं हैं। विजय कुमार जेडइओ का कहना है कि रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी गई है और सुधार की उम्मीद है।

रीतू शर्मा, जागरण, बसोहली। शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये का फंड जारी होता है, इसके बावजूद सरकारी स्कूलों में ग्रामीण छात्र आज भी असुरक्षित स्कूल भवन में अपना भविष्य संवार रहे हैं। जब हल्की सी बारिश हो जाए तो बाहर पानी कम अंदर कक्षाओं में पानी ज्यादा टपकने लगता है।
क्षेत्र के दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में बनाई गई स्कूल भवनों को देखकर नहीं लगता है कि इनमें कोई पढ़ाई भी करता होगा। कहीं फर्श नहीं है तो कहीं छत पर जगह-जगह दुनिया के बने नक्शे और दीवारों के नाम पर केवल औपचारिकता।
आजादी के 77 वर्ष बाद भी कई सरकारें आई और कई जनप्रतिनिधि क्षेत्र में चुने गए, लेकिन स्कूलों की भवनों में सुधार ज्यादा देखने को नहीं मिला। स्कूलों की भनव और शिक्षक पूरे केवल सड़क से सटे गांवों में ही देखने को मिलेंगे।
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अगर मिडिल स्कूल नगरोटा प्रेहता की बात करें तो, इस स्कूल वन में कोई बैठ नहीं सकता। कुछ वर्ष पहले ही बने प्राइमरी स्कूल खरमेथ के कमरों की हालत भी खस्ता है। प्राइमरी स्कूल प्रेहता में स्कूल भवन हैस लेकिन चहारदिवारी तक नहीं है।
हाई स्कूल जानु की हालत यह है कि हां पर खेल खेल में छात्र जख्मी हो सकते हैं, क्योंकि न चहारदिवारी बनाई गई और न ही स्कूल मैदान को समतल किया गया। प्राइमरी स्कूल त्यून की वन देखने लायक है , क्योंकि वहां पर छत, फर्श दीवार सब एक जैसे दिखते हैं। यह तो शिक्षा विभाग के कुछ नमूने हैं। इनसे भी बदतर हालात उन स्कूलों की है, जहां पर सड़क तक की सुविधा नहीं है।
स्कूल में छात्रों को अपना भविष्य बनाना होता है। उस जगह को मंदिर से कम नहीं कहा जा सकता है, मगर सरकार की अनदेखी के कारण सरकारी स्कूलों की भवनों को इस प्रकार से बनाया गया कि एक या फिर दो साल में ही भवन खंडहर के रूप में तब्दील होने लगती हैं। इसे किस की लापरवाही कहेंगे। - अजीत सिंह, पूर्व नायब सरपंच, प्रेहता
सरकार द्वारा शिक्षा विभाग को करोड़ों रुपये का फंड उपलब्ध करवाया जाता है, पुरानी भवन की हालत ठीक है, मगर जो नई भवन बनाई गई है, उनकी हालत समय से पहले ही खराब हो गई। इस कारण अभिभावक भी सरकारी स्कूलों में बच्चों को असुरक्षित भवनों में पढ़ाई करवाने से संकोच करने लगे हैं। - शिव कुमार पाधा, सेवानिवृत्त लेक्चरार
मुझे थोड़ा ही समय हुआ है बसोहली आए हुए। प्रत्येक स्कूलों की रिपोर्ट बनाकर उच्चाधिकरियों को खस्ताहाल वन व असुरक्षित स्कूल भवन के प्रति लिखा गया है। उम्मीद है कि आने वाले समय में स्कूलों की भवनों में सुधार के लिए सरकार द्वारा फंड उपलब्ध करवाया जाएगा। - विजय कुमार, जेडइओ, बसोहली जोन
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