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    कितने मजबूत हैं कश्मीर के रेलवे ब्रिज? टेस्टिंग का तरीका देख हो जाएंगे हैरान; देखें इंजीनियरिंग का अद्भुत कारनामा

    Updated: Sat, 28 Dec 2024 02:59 PM (IST)

    कश्मीर के रेलवे पुलों की मजबूती का परीक्षण एक अद्भुत इंजीनियरिंग करतब है। अंजी खड्ड पर बने देश के पहले केवल स्टे ब्रिज का लोड टेस्ट किया गया। 32 रैक वाली मालगाड़ी और 57 डंपरों को पुल पर चढ़ाकर इसकी मजबूती जांची गई। इस पुल की लंबाई 473.25 मीटर और चौड़ाई 15 मीटर है। पुल के मध्य में 193 मीटर ऊंचा एकल तोरण बना है।

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    देश के पहले केवल स्टे ब्रिज के लोड टेस्ट के लिए ब्रिज पर खड़े डंपर और मालगाड़ी lजागर

    संवाद सहयोगी, रियासी। रेलवे की महत्वपूर्ण कटड़ा-बनिहाल खेलखंड पर कटड़ा से रियासी स्टेशन के बीच अंजी खड्ड पर बने देश के पहले केवल स्टे ब्रिज का शुक्रवार को लोड टेस्ट किया गया। कंकर-बजरी से लदे 32 रैक वाली मालगाड़ी और नौ टन वजनी 57 डंपरों को पुल पर चढ़ा कर दो घंटे तक खड़ा रखा गया।

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    रेलवे के उच्च अधिकारियों, इंजीनियरों और विशेषज्ञों की उपस्थिति में एक साथ सैकड़ों टन वजन इस पुल डालकर इसकी मजबूती की जांच की गई।

    25 दिसंबर को किया गया ट्रायल

    पुल की मजबूती के इस आकलन को देखने वालों की आंखें फटी की फटी रह गई। संगलदान से रियासी स्टेशन तक इंजन और मालगाड़ी चलाने के पहले ही कई सफल ट्रायल हो चुके हैं, जबकि कटड़ा-रियासी रेलखंड पर 25 दिसंबर को पहली बार इंजन और फिर लोडेड मालगाड़ी चलाने का ट्रायल किया गया था, जिसमें पहले तो कटड़ा से इंजन 20 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से रियासी स्टेशन पहुंचा और फिर 30 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से वापस कटड़ा लौटा।

    फोटो: अंजी खड्ड पर बने देश के पहले केवल स्टे ब्रिज साइट का नजाराl जागरण

    32 रैक वाली मालगाड़ी रियासी पहुंची

    उसके बाद इस रेलखंड के ट्रैक की दबाव क्षमता की जांच के लिए लोडेड 32 रैक वाली मालगाड़ी कटड़ा से रियासी स्टेशन पहुंची, जिसमें कंकर-बजरी लदी हुई है।

    उसका कुल वजन 3300 टन बताया गया है। मालगाड़ी के साथ दो इंजन और ब्रेक के दो विशेष कोच भी जुड़े हैं। दूसरे दिन भी मालगाड़ी रियासी स्टेशन पर ही खड़ी रखी गई।

    तीसरे दिन शुक्रवार को अंजी खड्ड पर बने देश के पहले केवल स्टे ब्रिज का लोड टेस्ट करने के लिए मालगाड़ी रियासी स्टेशन से चली और उसको केबल स्टे ब्रिज पर जाकर खड़ा कर दिया गया।

    57 डंपरों को पुल पर खड़ा किया गया

    इतने से ही पुल की भार क्षमता की जांच पूरी नहीं हुई। रेलवे लाइन के साइड में बने 15 फीट चौड़ी जगह पर डंपरों की कतार पहुंचने लगी। एक-एक कर 57 डंपरों को भी पुल पर खड़ा कर दिया गया। प्रत्येक डंपर का वजन नौ टन था। प्रत्येक डंपर का वजन एक समान करने के लिए कुछ डंपरों में कुछ माल लादा गया था।

    फोटो: जम्मू संभाग के रियासी जिला में अंजी खड्ड पर बने देश के पहले केवल स्टे ब्रिज के लोड टेस्ट के लिए ब्रिज पर मालगाड़ी की बगल में खड़े होते डंपर

    दो घंटे के बाद एक-एक कर सभी डंपरों को पुल से वापस उतार लिया गया और मालगाड़ी को दो भागों में बांट कर एक इंजन एक ब्रेक कोच और उसके साथ 19 रैक को रियासी की तरफ पुल की छोर पर दूसरे इंजन के साथ एक ब्रेक कोच और 13 रैक को कटड़ा की तरफ दूसरे छोर पर लगभग दो घंटे तक खड़ा रखा गया।

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    इंजीनियरों तथा विशेषज्ञों की नजरें पुल और केबल की जांच पर टिकी रही। लोड टेस्ट के पहले चरण को पूरा कर मालगाड़ी वापस रियासी लौट गई। बताया जा रहा है कि शनिवार को दूसरे चरण में फिर से इसी तरह का लोड टेस्ट किया जाएगा।

    कैसा है यह पुल

    इंजीनियरिंग के चमत्कारों से रियासी-कटड़ा रेलखंड को जोड़ने वाले अंजी खड्ड पर बने केवल स्टे ब्रिज की लंबाई 473.25 मीटर और चौड़ाई 15 मीटर है। पुल के मध्य में स्टील सरिया और कंक्रीट का 193 मीटर ऊंचा (पायलन) एकल तोरण बना है। तोरण पर बंधी 96 केवल के सहारे यह पुल टिका हुआ है।

    फोटो: जम्मू संभाग के रियासी जिला में अंजी खड्ड पर बने देश के पहले केवल स्टे ब्रिज के लोड टेस्ट के लिए ब्रिज पर खड़े डंपर और मालगाड़ी

    पहले बन रहा था आर्च ब्रिज बाद में बदला गया डिजाइन

    अंजी पुल का निर्माण कार्य वर्ष 2008 में शुरू हुआ था, तब इसका निर्माण आर्च पर होना था। निर्माण में आ रही दिक्कतों को देखते हुए वर्ष 2012 में निर्माण कर रही कंपनी काम को बीच में छोड़कर लौट गई थी। जटिल भौगोलिक संरचना को देखते हुए आर्च के डिजाइन को रद कर जहां केबल स्टे ब्रिज बनाने का विचार किया गया।

    विदेशी निर्माण कंपनी एमएस इटालफेर के डिजाइनर ने अंजी खड्ड पर केवल स्टे ब्रिज बनाने का सुझाव दिया। वर्ष 2015 में श्रीधरन कमेटी ने इस साइट का दौरा कर जायजा लिया और फिर उनके सुझाव के बाद ही नए सिरे से केबल स्टे ब्रिज के निर्माण का निर्णय लिया गया गया। 2017 में अंजी खड्ड पर केबल स्टे ब्रिज का निर्माण कार्य शुरू हुआ, जिसका जिम्मा हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी को सौंपा गया।

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