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    कितने सुरक्षित हैं स्कूल: मिडिल स्कूल पलोटा के छह कमरों में से तीन दयनीय हालत के चलते बंद, तीन में ही लग रहीं 11 कक्षाएं

    Updated: Mon, 04 Aug 2025 01:10 PM (IST)

    सांबा जिले के रामगढ़ जोन में स्थित सरकारी मिडिल स्कूल पलोटा की इमारत जर्जर हालत में है। तीन कमरों में 11 कक्षाओं के बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं। स्कूल को कारगिल बलिदानी सिपाही गुरदीप सिंह सोनी का नाम दिया गया है लेकिन बुनियादी ढांचे की अनदेखी हो रही है। स्थानीय लोगों और स्कूल प्रबंधन ने प्रशासन से स्कूल के जीर्णोद्धार की मांग की है।

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    बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए स्कूल ढांचागत सुविधाओं में सुधार की मांग की गई है।

    भूषण कुमार, जागरण, रामगढ़। सरकारी स्कूलों में अच्छी पढ़ाई के दावों के बीच सांबा जिले के रामगढ़ जोन का सरकारी मिडिल स्कूल पलोटा अपनी हालत पर आंसु बहा रहा है। वहीं, 11 कक्षाओं के बच्चे तीन कमरों में पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं।

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    स्कूल की इमारत जर्जर है, जिसकी न तो मरम्मत हो रही है और न ही उसे तोड़कर दोबारा निर्माण करवाया जा रहा है। स्कूल में कुल छह कमरे और एक कार्यालय है। इसमें से तीन कमरों की हालत जर्जर है और अब प्रबंधन बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए शेष तीन कमरों में ही स्कूल को चला रहा है।

    यह स्कूल नर्सरी से लेकर आठवीं तक है और अब परेशानी यह है कि इन्हीं तीन कमरों में 11 कक्षाएं चल रही है। एक तरफ नर्सरी के बच्चे पढ़ रहे होते हैं और उसी कमरे में कभी सातवीं तो कभी आठवीं कक्षा के विद्यार्थी भी पढ़ने की कोशिश करते हैं।

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    अब न तो नर्सरी, एलकेजी या यूकेजी के बच्चे खेल-खेल में कुछ सीख पा रहे और न ही बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। स्कूल में करीब 30 बच्चे हैं, जो डेढ़ साल से तीन कमरों में पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं।

    स्कूल को मिला है बलिदानी का नाम

    सरकारी मिडिल स्कूल पलोटा को कारगिल बलिदानी सिपाही गुरदीप सिंह सोनी का नाम देकर एक नई पहचान दी गई थी। तीन दशक पहले बने इस स्कूल के तीन कमरें पूरी तरह से खंडहर हो चुके है। कमरों की छतों से मलबा गिरता रहता है और खिड़कियां दरवाजे भी टूट चुके हैं। दीवारों में बड़ी दरारें आ गई हैं, जिससे कभी भी हादसा हो सकता है। हालांकि, इन कमरों में अब बच्चों को पढ़ाया नहीं जाता लेकिन इसी परिसर में बच्चों की मौजूदगी खतरे का एहसास करवाती है।

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    स्कूल में हालांकि बिजली-पानी, शौचालय जैसी मूल सुविधाएं है और छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय भी है। स्कूल की चारदिवारी भी है और खेलने के लिए मैदान भी, लेकिन पढ़ाई के लिए उपयुक्त ढांचा नहीं। कारगिल बलिदानी का नाम दिए जाने के बावजूद आज तक प्रशासन या शिक्षा विभाग का इसकी जर्जर हालत पर नजर नहीं पड़ी है।

    सरकारी मिडिल स्कूल पलोटा की जर्जर इमारत की अनदेखी के लिए बलिदानी स्मारक समिति केंद्र सरकार को जिम्मेदार मानती है। अगर समय पर सरकारी स्कूलों के जर्जर बुनियादी ढांचे की मरम्मत या देखभाल की जाए, तो यह कभी बर्बाद नहीं होंगे। यह वही सरकारी मिडिल स्कूल है, जहां से कारगिल बलिदानी सिपाही गुरदीप सिंह सोनी जैसे सपूत ने शिक्षा हासिल की और देशसेवा का जज्बा पैदा किया। सरकार को चहिए कि उनके नाम पर बने इस स्कूल को बेहतर शिक्षा केंद्र बनाए। -कैप्टन स. बलजीत सिंह

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    आज सरकारी स्कूलों की अनदेखी हो रही है। केंद्र सरकार स्कूल प्रबंधन को विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए हर प्रयास करने के आदेश जारी करती है, लेकिन स्कूलों के बुनियादी ढांचों के विस्तार और विकास पर सरकार का कोई ध्यान नहीं जाता। अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा का ज्ञान देने के मकसद से भेजते हैं, लेकिन पर्याप्त सुविधाएं न मिलने से उनका भविष्य उज्जवल कैसे बनेगा। लिहाजा बलिदानी के नाम पर बनाए इस मिडिल स्कूल जर्जर कांप्लेक्स का जीर्णोद्धार हो। - पूर्व प्रधान सूबेदार स. हरजीत सिंह

    स्कूल के जर्जर कांप्लेक्स के जीर्णोद्धार को लेकर स्कूल प्रबंधन व विलेज एजुकेशन सोसायटी सदस्यों ने मिलकर प्रस्ताव भी पारित किया था। जिला प्रशासन व उच्च विभागीय अधिकारियों से इसके नवनिर्मांण की पेशकश की थी, लेकिन प्रशासन ने सिर्फ विभागीय व आरएंडबी अधिकारियों को मौका देखने तक ही अपनी कार्रवाई को सीमित रखा। सरकार इस बलिदानी के नाम पर बने स्कूल के जर्जर कांप्लेक्स का नए सिरे से निर्माण करे। -मदन लाल, पूर्व वार्ड पार्षद

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