पहलगाम में फिर लौटने लगी पर्यटकों की रौनक, पर देशी-विदेशी सैलानियों ने अभी भी इससे बना रखी है दूरी
कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में पर्यटकों की रौनक लौटने लगी है लेकिन यहाँ ज़्यादातर स्थानीय लोग ही आ रहे हैं। बैसारन घटना के बाद विदेशी पर्यटक अभी भी दूरी बनाए हुए हैं। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने स्थिति सामान्य करने के लिए कैबिनेट बैठक भी की पर विदेशी पर्यटकों का आगमन नहीं हो पाया। होटल व्यवसायियों का कहना है कि इससे कारोबार पर भारी असर पड़ा है।

जागरण संवाददाता, श्रीनगर। कश्मीर के पर्यटन स्थलों पर एक बार फिर रौनक लोटने लगी है। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन पहलगाम में भी इन सैलानियों से गुलजार है परंतु यहां आने वालों में अधिकतर संख्या स्थानीय लोगों की है। बैसारन घटना के बाद से देशी-विदेशी पर्यटक अभी भी इससे दूरी बनाए हुए हैं।
आपको बता दें कि केंद्र व स्थानीय प्रशासन के कड़े प्रयासों के बाद बैसारन घटना से उतपन्न हुई स्थिति से घाटी अब काफी हद तक उभर रही है। पर्यटक अब धीरे-धीरे घाटी का रुख कर रहे हैं लेकिन पहलगाम अपने देशी विदेशी पर्यटकों की अभी भी राहें ताक रहा है।
हालांकि पर्यटकों का मनोबल बढ़ाने, सामान्य स्थिति तथा शांति का संदेश देने के लिए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में पहलगाम में कैबिनेट बैठक भी बुलई थी। बावजूद इसके भी पहलगाम अभी देशी विदेशी पर्यटकों के बिना सूना सूना ही नजर आ रहा है।
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होटल व्यवसायी भी हैं परेशान
पर्यटकों का पहलगाम न आना स्थानीय होटल व्यवसायियों पर काफी भारी पड़ रहा है। कई होटल व्यवसायियों ने पुष्टि की है कि बाहरी पर्यटकों के पहलगाम न आने से व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ है। एक होटल व्यवसायी सरजील अहमद ने कहा कि हमारे होटल लगभग खाली पड़े हैं। राहत की बात बस इतनी है कि स्थानीय लोग यहां आ रहे हैं, लेकिन उनके खर्च करने का तरीका अलग है। स्थानीय पर्यटकों के जरिए बाहरी मेहमानों की अनुपस्थिति की भरपाई नहीं हो पाती।
सरकारी प्रयासों का नहीं दिख रहा प्रभाव
दुकानदारों और व्यापारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा शांति और सामान्य स्थिति का संदेश देने के लिए पहलगाम में कैबिनेट बैठक बुलाने के बाद इस गर्मी की शुरुआत में पर्यटन में सुधार के संकेत दिखने लगे थे। इस कदम ने कई हितधारकों को आश्वस्त भी किया और एक सकारात्मक पर्यटन सीजन की उम्मीद भी जगाई थी। लेकिन अभी तक जमीनी स्तर पर इसका कोई विशेष प्रभाव देखने को नहीं मिल रहा है। तनवीर अहमद नामक एक और स्थानीय दुकानदार ने कहा कि अमरनाथ यात्रा शुरू होते ही यहां पर्यटकों की आमद कम होने लगी।
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यात्रा समाप्त होने पर भी नहीं आए पर्यटक
तनवीर ने कहा, हम सोच रहे थे कि यात्रा समाप्त होने के बाद पर्यटकों की यहां आमद रफ्तार पकड़ेगी। लेकिन एेसा नही हुआ। यात्रा के समापन के बाद यहां पर्यटक की संख्या में जरूर बढञोतरी हुई अलबत्ता केवल स्थानीय पर्यटकों ने ही यहां का रुख किया जबकि देशी विदेशी पर्यटक यहां की राहें अभी भूले हुए हैं। तनवीर ने कहा, अब यह जगह लगभग पूरी तरह से स्थानीय पर्यटकों पर निर्भर है।
कारोबार में आई भारी गिरावट
कुछ होटल व्यवसायियों ने स्वीकार किया कि उनके व्यवसाय में भारी गिरावट आई है। उन्होंने यह भी कहा कि पर्यटकों की कमी ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को गंभीर झटका दिया है, जो मौसमी आवक पर बहुत अधिक निर्भर करती है। मौजूदा मंदी के बावजूद, पहलगाम स्थानीय परिवारों, छात्रों और युवाओं के समूहों से गुलजार रहता है, जो इस शांत घाटी में छुट्टियां बिताना पसंद करते हैं। स्थानीय लोगों ने इस पर्यटनस्थल को प्रभावी रूप से जीवंत बनाए रखा है लेकिन हितधारकों का कहना है कि पर्यटन-संचालित अर्थव्यवस्था के विकास और स्थिरता के लिए देशी-विदेशी पर्यटकों की उपस्थिति बहुत महत्वपूर्ण है।
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