Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कितने सुरक्षित हैं स्कूल: टपकती छत, गिरता प्लास्टर, असुरक्षित कमरों में 'भविष्य' असुरक्षित; 20 बच्चों तक सिमटा मिडिल स्कूल टांडा

    Updated: Fri, 08 Aug 2025 02:17 PM (IST)

    जम्मू कश्मीर के मीरां साहिब जोन में स्थित सरकारी मिडिल स्कूल टांडा की हालत खस्ता है। असुरक्षित कमरों और जर्जर इमारत में बच्चे शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। बरसात में छत टपकती है और प्लास्टर गिरता रहता है जिससे बच्चों की परेशानी बढ़ जाती है। स्कूल में शौचालय की हालत भी खराब है।

    Hero Image
    अभिभावकों ने कितने सुरक्षित हैं स्कूल के मुद्दे पर सरकार से स्कूल भवन की मरम्मत करवाने की मांग की है।

    जैंबल चौधरी, जागरण, मीरां साहिब। एक तरफ सरकार सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए अभियान चला रही है। लोगों को बेहतर सुविधाएं मुहैया करवाने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन मीरां साहिब जोन का सरकारी मिडिल स्कूल टांडा हकीकत बयां कर रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ग्रामीण बच्चे तीन असुरक्षित और बदहाल कमरों में पढ़ाई के लिए मजबूर हैं। बरसात में हालात और भी खराब हो जाते हैं। जहां छत टपकती है वहीं, प्लास्टर भी गिरता रहता है। इसके अलावा बारिश में मुख्य गेट पर जलभराव रहता है, जिसमें से होकर बच्चों को मजबूरन आवागमन करना पड़ता है। इमारत की हालत भी काफी खराब है। इस कारण स्कूल में बच्चों की संख्या कम होकर 20 तक सिमट गई है।

    मीरां साहिब जोन का गवर्नमेंट मिडिल स्कूल टांडा कभी सात कमरों का था। रखरखाव के अभाव व मरम्मत नहीं होने के कारण अब यह सिर्फ चार कमरों का रह गया है। स्कूल के तीन कमरे असुरक्षित घोषित हो चुके हैं, जबकि चार अन्य की हालत कुछ बेहतर नहीं है।

    यह भी पढ़ें- भारत रक्षा पर्व: कलाइयों पर सजा स्नेह का बंधन तो नम हो गईं सीमा प्रहरियों की भी आंखें, वंदे मातरम से गूंजी सुचेतगढ़ आक्ट्राय पोस्ट

    इनमें एक कमरे में हेडमास्टर का कार्यालय चलता है, जबकि तीन में ही आठ कक्षाएं चल रही हैं। इन कमरों की छत से भी प्लास्टर गिर रहा है। बरसात में इन कमरों की छत से पानी टपकता है, जिससे बच्चों की परेशानी दोगुनी हो जाती है।

    जरा सी बारिश में मुख्य गेट में पानी जमा हो जाता है, जिसके चलते बच्चों को पानी से गुजरकर स्कूल में जाना पड़ता है। बदहाल स्कूल भवन के चलते साल-दर बच्चों की संख्या में कमी आ रही है। मौजूदा समय में तीन कमरों में आठ कक्षाओं के 20 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और पांच शिक्षक हैं।

    स्कूल के शौचालय की हालत भी खराब है। अभिभावकों ने सरकार से स्कूल भवन की मरम्मत करवाने और नए शौचालय बनाने की मांग उठाई है।

    स्कूल में कमियां

    • -शौचालय पूरी तरह से खस्ता हाल
    • -स्कूल के तीन कमरों का गिर रहा प्लास्ट
    • -छत का लेंटर उखड़ रहा है
    • -मुख्य गेट के जलभराव होता है

    यह भी पढ़ें- जम्मू नगर निगम की मुहिम; पहले शिकायत दर्ज होगी, फिर सूची बनेगी और 24 घंटे में जगमगाएंगी स्ट्रीट लाइट

    सरकारी स्कूलों में अगर सरकार बच्चों को पूरी सुविधा दे तो सरकारी स्कूलों में भी बच्चों की तादाद बढ़ सकती है। निजी स्कूलों का मुकाबला कर सकते हैं। स्कूल के इमारत जर्जर और बदहाल शौचालय के कारण बच्चों की संख्या हर साल कम हो रही है। यह चिंताजनक है। इस संबंध में सरकार को सुध लेने की जरूरत है।

    -रामलाल, पूर्व पंच

    आज सरकारी स्कूलों में केवल बाहरी प्रदेशों से आए हुए श्रमिकों के बच्चे या गुर्जर समुदाय के बच्चे ही ज्यादातर पढ़ने नजर आते हैं। लोकल बच्चों की तादाद पहले से ही कम है। अगर सरकार समय रहते स्कूल की इमारत को ठीक करवा, बच्चों को बाथरूम व मैदान की सुविधा मिले तो सरकारी स्कूलों के बच्चे आगे बढ़ सकते हैं।

    -बिशन दास, अभिभावक

    स्कूल के कुछ कमरों को असुरक्षित घोषित किया गया है, वहां पर बच्चों की क्लासें नहीं लगतीं। जो नए कमरे हैं, वहां पर ही बच्चों की पढ़ाई होती है। जो समस्याएं हैं, उनके बारे में शिक्षा विभाग के अधिकारियों को अवगत करवाया गया है।

    -संदीप कौर, इंचार्ज

    मीरां साहिब जोन में अधिकतर स्कूलों की इमारत की हालत खस्ता है और समस्याएं भी हैं। इस बारे में विभाग के उच्च अधिकारियों को अवगत कराया गया है। उम्मीद है कि जल्द समस्याओं को दूर कर दिया जाएगा। -बरथाना शर्मा, जोनल शिक्षा अधिकारी  

    यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर के सात हजार विद्यार्थियों को परीक्षा परिणाम की प्रतीक्षा, काउंसिल पर टिकी निगाहें