सोजनी और सोनपाह... सहेजे हैं कश्मीर की सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत, जानें क्या है यह प्राचीन हस्तकला
कश्मीर के सोनपाह गाँव जिसे शिल्प गाँव घोषित किया गया है सोजनी कढ़ाई की सदियों पुरानी कला के लिए प्रसिद्ध है। लगभग पांच हजार की आबादी वाले इस गाँव के चार हजार लोग हस्तकला से जुड़े हैं। सरकार इसे विकसित करने के लिए 10 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। सोजनी कढ़ाई जो पश्मीना शालों पर की जाती है यहाँ की एक महत्वपूर्ण विरासत है।

नवीन नवाज, जागरण, श्रीनगर। सोनपाह- कश्मीर घाटी में जिला बडगाम में पीरपंजाल की तलहट्टी में बसा सिर्फ एक गांव नहीं है। यह घाटी की सदियों पुरानी सांस्कृतिक धड़क है, जो न सिर्फ सोजनी कढ़ाई की विशिष्ट कला को सहेजे हुए है बल्कि उसे संरक्षण और प्रोत्साहण देते हुए लगातार आगे बढ़ा रहा है।
लगभग पांच हजार लोगों की आबादी वाले इस गांव में लगभग चार हजार सोजनी व अन्य हस्तकलाओं से जुढ़े हुए हैं। गांव में एक नहीं 22 ऐसे कारीगर हैं जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सृजनशीलता और कुशलकारीगरी से सम्मानित हो चुके हैं।
स्थानीय कारीगरों को सदियों पुरानी हस्तकला को सहेजते देख,सरकार ने अब इसे शिल्प गांव घेाषित कर दिया है। शिल्प गांव के रूप में इसे विकसित करने लिए 10 करोड़ रूपये की राशि भी खर्च की जा रही है।
अत्यंत जटिल है सोजनी कढ़ाई
सोजनी कढ़ाई अत्यंत जटिल है। यह कारीगरों की एकाग्रता, उनके संयम के साथ साथ सुई-कारी में उनकी रचनात्मकता का प्रतीक है। यह पश्मीना शाल और ऊनी कपड़ों पर नाज़ुक डिज़ाइनों में उकेरी गई यह कारीगरी सदियों से कश्मीर का गौरव रही है। सोनपाह में, यह शिल्प केवल एक आर्थिक गतिविधि नहीं, बल्कि एक जीवनरेखा और विरासत है, जिसका पालन बड़े-बुज़ुर्ग करते हैं, बच्चों को देते हैं, और समुदाय द्वारा पहचान और आजीविका दोनों के रूप में संजोया जाता है। बारीक सुइयों और रेशमी धागों का उपयोग करके, कारीगर मुलायम पश्मीना कपड़े पर फूल, पैस्ले, बेल जैसी सममित आकृतियां बनाते हैं। इन कलाकृतियों को पूरा होने में महीनों लग सकते हैं।
प्रोत्साहन को 4.5 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी
सोनपाह और उसके आसपास के छात्र, युवा कारीगर और महिलाएँ विशेष रूप से इस शिल्प में संलग्न हैं, अक्सर स्कूल के बाद या सर्दियों के महीनों में घरेलू आय में वृद्धि के लिए सिलाई का काम करती हैं। इस पीढ़ीगत जुड़ाव ने गाँव में एक गहरी जड़ें जमाए कारीगरी पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा दिया है, जिससे सोज़नी एक पेशा और समुदाय-व्यापी जुनून दोनों बन गया है।
इस क्षमता को पहचानते हुए, सरकार ने पारंपरिक कौशल को संरक्षित करने, पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय कारीगरों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में एकीकृत करने के लिए एक पहल के तहत सोनपाह को एक शिल्प गाँव के रूप में नामित किया है।
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संबधित अधिकारियों ने बताया सोनपाह को शिल्प ग्राम के रूप में विकसित करने के लिए राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम की बुनियादी ढांचा और प्रौद्योगिकी सहायता योजना के तहत केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय द्वारा 4.5 करोड़ के केंद्रीय हिस्से की पहली किस्त भी जारी कर दी गई है। यह परियोजना कश्मीर के हस्तशिल्प और हथकरघा विभाग द्वारा क्रियान्वित की जाएगी और धनराशि केंद्रीय कुटीर उद्योग निगम (सीसीआई) के माध्यम से प्रदान की जाएगी।
सोजनी के उस्ताद हैं गुलाम मुस्तफा
सोनपाह निवासी गुलाम मुस्तफा मीर को सोजनी का उस्ताद माना जाता है। वह पिछले सात दशकों से इसमें जुटे हुए हैं और उन्हें एक नही अनेक सोजनी कारीगर तैयार किए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे इलाके में ज्यादातर लोग किसान हैं और सदियोंमें जब कोई काम नहीं होता तो वह सोजनी, कालीन बुनाई, लकड़ी की नक्काशी का काम करते हैं। हमारे गांव में ज्यादा सोजनी का ही काम होता है। वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके मीर को ।
उन्हें 2013 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा दिसंबर 2015 में वस्त्र मंत्रालय द्वारा आयोजित शिल्प गुरु पुरस्कार समारोह और वर्ष 2012-14 के लिए मास्टर क्राफ्ट पर्सन्स को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।उन्होंने फरवरी 2017 में सूरजकुंड हरियाणा में शिल्प मेले, दिसंबर 2018 में दिल्ली में मास्टर क्रिएशन प्रोग्राम (दिल्ली हाट) में भी भाग लिया । उनके बेटे मोहम्मद मकबूल को 2012 में तत्कालीन ममुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने और वर्ष 2021 में उनके भाई गुलाम हसन मीर को सोज़नी कला में उनके योगदान के लिए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा सम्मानित किया गया।
वह स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में आयोजित 'नमस्ते स्टॉकहोम' नामक भारतीय हस्तशिल्प प्रदर्शनी में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले पाँच कलाकारों में वे भी शामिल थे। इसी वर्ष 26 जनवरी को जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित सोजनी कढ़ाई के कारीगर मुख्तार अहमद बट भी सोनपाह के रहने वाले हैं।
मुख्तार अहमद ने बताया कि 2012 में उन्हें राज्य पुरस्कार और 2017 में सोज़नी कारीगरी के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 26 जनवरी, 2025 को, जम्मू-कश्मीर सरकार ने उनके लिए कला और शिल्प में उत्कृष्टता के लिए एक पुरस्कार की घोषणा की, जिसमें 51,000 रुपये का नकद पुरस्कार और एक प्रशस्ति पत्र शामिल है।
शिल्प ग्राम का दर्जा मिलने से सोजनी को मिलेगा प्रोत्साहन
शिल्प ग्राम का दर्जा हमारे गांव के कारीगरों का, कश्मीर के हस्तशिल्प का सम्मान और प्रोत्साहण है। हमारे गांव कारीगरों को सोज़नी शिल्प में उनके योगदान के लिए 20 राज्य और राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
मेरे भाई भाई को भी राष्ट्रीय और राज्य दोनों पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा, उनके परिवार के एक सदस्य को शिल्प गुरु पुरस्कार मिला है, जबकि दो अन्य को हस्तशिल्प क्षेत्र में राजकीय सम्मान से सम्मानित किया गया है। बट ने बताया कि वह वर्ष 2016 में ब्रिक् हस्तशिल्प कारीगर कार्यक्रम भाग ले चुके।
वर्ष 2022 में शिल्प गुरु के पुरस्कार से सम्मानित होने वाले बशीर बट ने कहा कि शिल्प ग्राम का दर्जा मिला है और सोनपाह शिल्पग्राम नजर आना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे गांव के अधिकांश लड़के -लड़कियां दिन में बेशक कालेज जाते हैंद्वसकूल जाते हैं,लेकिन वह रात को सोजनी का काम करते हैं और अपनी आजीविका कमाने के साथ साथ हमारे पुरखों के इस हुनर को आगे बढ़ा रहे हैं।
सुविधाओं का किया जाएगा विकास
दूधपथरी और तोसा मैदान जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के रास्ते, सोनपाह स्थित शिल्प पर्यटन गांव आने वाले पर्यटकों और कला प्रेमियों को जीवंत शिल्पों का प्रत्यक्ष मूल्यांकन करने का एक शानदार अवसर प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत, विभाग डिज़ाइनर द्वार, भित्ति चित्र, लाइव शिल्प प्रदर्शनों सहित सांस्कृतिक और इंटरैक्टिव क्षेत्र; प्रदर्शन-सह-बिक्री काउंटरों के लिए सामान्य कार्य स्थल, बुनियादी ढाँचा विकास, सामुदायिक सुविधाएँ और बाज़ार व ब्रांडिंग तक पहुंच जैसी सुविधाओं काे विकसित किया जाएगा।
कश्मीर जैसे प्राकृतिक स्थल के लिए शिल्प पर्यटन गांवों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, प्रवक्ता ने कहा कि ये कार्य सोनपाह को एक आधुनिक पर्यट केंद्र में बदल देंगे और साथ ही इसकी समृद्ध सांस्कृतिक और शिल्प विरासत को संरक्षित रखेंगे।
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मुख्तार अहमद बट ने कहा कि शिल्प ग्राम का दर्जा मिलने से सोजनी को प्रोत्साहण मिलेगा। यहां पय्रटक भी आएंगे और खरीददार भी। आम लोग जो सोजनी से परिचित नहीं हैं, उन्हें इसे समझने का मौका मिलेगा।
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