शांति दूत लेकर आया हमले का संदेश: पाकिस्तान से कबूतर के जरिए आई चेतावनी, आईईडी ब्लास्ट की धमकी, सुरक्षा एजेंसिया अलर्ट
जम्मू में बीएसएफ ने सीमा के पास एक संदिग्ध कबूतर पकड़ा जिसके पैर में एक पर्ची बंधी थी। पर्ची पर उर्दू और अंग्रेजी में संदेश लिखे थे जिनमें कश्मीर हमारा है वक़्त आ गया है और जम्मू स्टेशन आईईडी ब्लास्ट शामिल थे। सुरक्षा एजेंसियों ने कबूतर और पर्ची को जब्त कर लिया है और जांच शुरू कर दी है।

दलजीत सिंह, जागरण, आरएसपूरा। जम्मू में सुरक्षा बलों को उस समय बड़ी सफलता हाथ लगी जब उन्होंने सीमा क्षेत्र में एक संदिग्ध कबूतर को पकड़ा। यह घटना 18 और 19 अगस्त की दरमियानी रात लगभग 9 बजे की है। सीमा सुरक्षा बल की 07 बटालियन, अंतर्गत काठमारिया बीओपी के नजदीक फॉरवर्ड डिफेंस पोस्ट -69 क्षेत्र में गश्ती दल को यह कबूतर संदिग्ध हालत में दिखा।
पैर से बंधी पर्ची बरामद
जांच के दौरान सुरक्षाबलों ने कबूतर के पैर से एक पर्ची बरामद की, जो रबर बैंड से कसकर बंधी हुई थी। पर्ची साधारण कागज़ की थी, जिसका आकार लगभग 21 सेंटीमीटर लंबा और 6 सेंटीमीटर चौड़ा था। इसमें नीली स्याही से हाथ से लिखावट की गई थी।
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पर्ची पर लिखे संदेश
बरामद पर्ची में उर्दू और अंग्रेज़ी में खतरनाक संदेश लिखे हुए थे, जिनमें "कश्मीर हमारा है" (उर्दू में) "वक़्त आ गया है, आ जाएगा" (उर्दू में) "जम्मू स्टेशन आईईडी ब्लास्ट" (अंग्रेज़ी में)।
सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट
इस सनसनीखेज़ बरामदगी के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने मामले को गंभीरता से लिया है। कबूतर और पर्ची दोनों को जब्त कर लिया गया है। खुफिया एजेंसियाँ इसे सीमा पार से आतंकी संगठनों द्वारा संदेश भेजने की एक नई (दरअसल पुरानी) साज़िश मान रही हैं। सूत्रों के अनुसार, आतंकी संगठन तकनीकी निगरानी से बचने के लिए अब कबूतर जैसी पारंपरिक विधियों का सहारा ले सकते हैं। “जम्मू स्टेशन आईईडी ब्लास्ट” का उल्लेख सीधे तौर पर रेलवे स्टेशन को निशाना बनाने की ओर इशारा करता है, जिसको देखते हुए जम्मू रेलवे स्टेशन और आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था और भी कड़ी कर दी गई है।
उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट
बीएसएफ अधिकारियों ने बरामदगी की पूरी जानकारी उच्च मुख्यालय को भेज दी है। स्थानीय पुलिस, रेलवे सुरक्षा बल और खुफिया एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया है। फिलहाल जांच एजेंसियाँ पर्ची की लिखावट, स्याही और कागज़ के स्रोत का पता लगाने में जुटी हैं ताकि यह मालूम हो सके कि यह संदेश कहां से आया और किसके लिए भेजा गया था।
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अतीत में भी हुई थीं कोशिशें
आपको बता दें कि इससे पहले भी जम्मू-कश्मीर में कबूतरों के जरिए संदेश भेजे जाने के मामले सामने आ चुके हैं। कई बार कबूतरों के पंखों या पैरों में बंधे कोड वर्ड्स और नंबर बरामद हुए हैं। यह घटना एक बार फिर साफ़ करती है कि आतंकवादी संगठन अपनी साज़िशों को अंजाम देने के लिए हर संभव तरीका आजमाते रहते हैं।
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