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    जम्मू स्मार्ट सिटी को झटका, 3.4 करोड़ रुपये की लागत के 58 वे-फाइंडिंग साइनेज तोड़े, आरटीआइ में खुलासा

    Updated: Mon, 11 Aug 2025 01:11 PM (IST)

    आरटीआई कार्यकर्ता बलविंद्र सिंह ने खुलासा किया कि जम्मू स्मार्ट सिटी परियोजना में सतवारी-कुंजवानी सड़क चौड़ीकरण के दौरान 3.4 करोड़ रुपये के वे-फाइंडिंग साइनेज तोड़े गए। जम्मू स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (जेएससीपीएल) ने बिना एनओसी के साइनेज लगाए। बलविंद्र सिंह ने उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

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    सड़क चौड़ीकरण में करोड़ों के साइनेज तोड़े।

    जागरण संवाददाता, जम्मू। सतवारी-कुंजवानी सड़क के चौड़ीकरण के दौरान 3.4 करोड़ की लागत से बनाए गए वे-फाइंडिंग साइनेज तोड़े गए हैं। यह खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता बलविंद्र सिंह की ओर से दायर आरटीआइ में हुआ है।

    प्रेसवार्ता में बलविंद्र ने बताया कि जम्मू स्मार्ट सिटी के एसीईओ से प्राप्त आरटीआइ के जवाब में जम्मू स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (जेएससीपीएल) के कामकाज में एक बेहद चिंताजनक खामी उजागर हुई है। महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी मिशन के तहत जेएससीपीएल ने 2020 में जम्मू भर में 682 वेफाइंडिंग साइनेज लगाने का काम शुरू किया और 31 दिसंबर 2022 को 10.20 करोड़ की लागत से काम पूरा कर लिया।

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    प्रशासनिक उदासीनता का एक बेहद चिंताजनक प्रदर्शन करते हुए 58 प्रमुख वेफाइंडिंग साइनेज जिनकी कीमत 3.4 करोड़ है, को हाल ही में सतवारी-कुंजवानी सड़क के चौड़ीकरण के दौरान ध्वस्त कर दिया गया।

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    इन 58 साइनेज में तीन बड़े साइनेज, जिनमें से प्रत्येक की कीमत 35.50 लाख थी और तीन अन्य जिनमें से प्रत्येक की लागत 7.50 लाख थी, शामिल थे। उन्होंने कहा कि ये साइनेज भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से एनओसी प्राप्त किए बिना ही लगाए गए थे।

    सिंह ने बताया कि आम नागरिकों को सड़कों के पास निर्माण करने से पहले राजस्व, नजूल, लोक निर्माण विभाग, पीडीडी और एनएचएआई जैसे विभागों से एनओसी लेना अनिवार्य है। वहीं, जेएससीपीएल ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। उस कार्यशाला के निरीक्षण के लिए एक आरटीआइ दायर की थी, जहां कथित तौर पर तोड़े गए साइनेज रखे हुए थे, लेकिन जेएससीएल ने उन्हें अनुमति नहीं दी।

    उन्होंने स्वयं डंपिंग स्थल का पता लगाया और तस्वीरों के माध्यम से हटाए गए साइनेज की स्थिति का दस्तावेजीकरण किया। उन्होंने उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री से किसी ईमानदार एजेंसी से उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। 

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