जम्मू की छात्रा प्रिया चौधरी ने झोपड़-पट्टी के बच्चों को शिक्षा देने का जिम्मा उठाया, जानें उनकी प्रेरणा
जम्मू की छात्रा प्रिया चौधरी जो ग्रेजुएशन के दूसरे साल में हैं गरीब बच्चों को शिक्षा देने का नेक काम कर रही हैं। वह इन बच्चों को बुनियादी शिक्षा उपलब्ध कराती हैं जिनमें से कई कभी स्कूल नहीं गए। हेल्पिंग हैंड्स संस्था के साथ मिलकर प्रिया हफ्ते में कक्षाएं लगाती हैं और बच्चों को मुफ्त स्टेशनरी और पुस्तकें भी देती हैं।

राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। स्वयं की पढ़ाई को जारी रखने के बीच ही जरूरतमंद बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने का जज्बा किसी मिसाल से कम नहीं है।
प्रिया चौधरी जो स्वयं ग्रेजुएशन के दूसरे साल की छात्रा है, वह पढ़ाई से समय निकाल कर जरूरतमंद ऐसी बच्चों को शिक्षा दे रही है जो स्कूल नहीं जाते है और ऐसे बच्चों को बुनियादी शिक्षा के बारे में भी कुछ पता नहीं है।
जम्मू की छात्रा प्रिया चौधरी केमिस्ट्री विषय के साथ केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू में पढ़ाई का रही है। आयु महज बीस वर्ष के करीब है। जब उन्हें पता चला कि शहर के पंजतीर्थी इलाके में झोपड़-पट्टी में रहने वाले कई बच्चे कभी स्कूल गए ही नहीं है।
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जरूरतमंद बच्चों को शिक्षित करने का जिम्मा उठाया
उन बच्चों को बुनियादी शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए एक संस्था हेल्पिंग हैंड्स आगे आई जिसमें कालेज व विश्वविद्यालय जाने वाले विद्यार्थियों ने जरूरतमंद बच्चों को शिक्षित करने का जिम्मा उठाया।
प्रिया चौधरी का कहना है कि वहां पर करीब अस्सी बच्चे है जिनकी हम सप्ताह में सिलसिलेवार तरीके से कक्षाएं लगाते है। उनको पढ़ाने के लिए जाते है। बच्चों को बेसिक चीजों से शिक्षा उपलब्ध करवाने की शुरुआत की गई।
निशुल्क स्टेशनरी, पुस्तकें भी उपलब्ध करवा रहे
बच्चों को निशुल्क स्टेशनरी, पुस्तकें भी उपलब्ध करवा रहे हैं। जब मैं स्कूल जाती थी तो उस समय से मैंने बच्चों को पढ़ाना शुरु किया था। उस समय छोटे बच्चों ट्यूशन की जरूरत होती तो मैं पढ़ा देती थी। इसमें मुझे अच्छा लगता था।
अगर हम शिक्षित हो रहे हैं तो यह हमारा फर्ज है कि शिक्षा को आगे भी बांटे। मेरे अभिभावकों ने मुझे मना नहीं किया बल्कि प्रोत्साहित किया। इसलिए तो मैं नियमित तौर पर झोपड़-पट्टी में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए जाती है।
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पिछले दो सालों से पढ़ा रही प्रिया
हालांकि मैंने स्वयं भी पढ़ना होता है लेकिन फिर से समय निकाल लेती हूं। करीब दो साल का समय प्रिया को पढ़ाई करवाते हुए हो गया है। संस्था के प्रधान सौरव शर्मा का कहना है कि हम समाज सेवा की बात तो करते है लेकिन शिक्षा से बढ़ी कोई समाज सेवा नहीं है।
आज के समय में भी झोपड़-पट्टी में रहने वाले कई लोग अपने बच्चों को पढ़ाई नहीं करवाते है हालांकि सरकारी स्कूलों में शिक्षा निशुल्क है लेकिन जागरूकता के अभाव में अभी ऐसा ही चल रहा है।
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