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    प्रधानमंत्री आवास योजना में सरकारी लापरवाही से गरीबों को परेशानी; योजना को बना दिया मक्कड़जाल

    Updated: Tue, 30 Sep 2025 05:40 PM (IST)

    जम्मू में प्रधानमंत्री आवास योजना सरकारी बाबूओं की लापरवाही के कारण गरीबों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। वार्ड 31 और 32 में कई आवेदकों को योजना का लाभ पाने में दिक्कतें आ रही हैं जिससे उनके घर का सपना अधूरा होता दिख रहा है। 2018 से अब तक 500 से ज़्यादा आवेदन किए गए हैं जिनमें से कई अभी भी अटके हुए हैं।

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    लोगों की पीएमएवाई से उम्मीदें ज्यादा बढ़ी हैं।

    अंचल सिंह, जागरण, जम्मू। प्रधानमंत्री आवास योजना कुछ सरकारी बाबूओं की लापरवाही और गरीब लोगों को परेशान करने की फितरत के चलते आवेदकों के जी का जंजाल बन रही है। गरीब लोग बेबस महसूस कर रहे हैं। कइयों को किश्तें नहीं मिली तो नए आवेदक सरकारी बाबूओं के मक्कड़जाल में फंसकर तड़प रहे हैं।

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    शहर के वार्ड नंबर 31 और 32 के कुछ मामले सामने आए हैं जहां आवेदकों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ ले पाने में अड़चने आ रही हैं। नए आवेदकों को केस मंजूर करने में तैनात किए गए पटवारी, तहसीलदार, बीएलओ और नगर निगम के खिलाफवर्जी कर्मचारी सरकारी मक्कड़जाल में फंसा कर परेशान कर रहे हैं।

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    दोनों वार्डों में करीब 50 आवेदक ऐसे हैं जिन्हें डेढ़ से दो महीने हो चुके हैं लेकिन उनके केस को आगे नहीं बढ़ाया जा रहा। ऐसा पहली बार हो रहा है जबकि पिछले मामलों में एक ही जगह आवेदन करने के बाद औपचारिक जांच-पड़ताल की जाती थी और 15 से 20 दिन में केस मंजूर हो जाता था। अब इन कर्मचारियों की तैनाती से मामले फंसना शुरू हो गए हैं।

    पीएमएवाई की मदद अब बढ़ाकर करीब सवा तीन लाख कर दी है

    बरसात में कई लोगों के मकान ढह गए हैं। ऐसे में उन्हें पीएमएवाई से उम्मीदें ज्यादा बढ़ी हैं क्योंकि सरकार पहले 1.66 लाख रुपये मदद देती थी जिसे अब बढ़ाकर करीब सवा तीन लाख रुपये किया गया है।

    ऐसे में लोगों के दिनों में अपने आशियाना का सपना साकार होने की किरण उज्वल हुई थी लेकिन कर्मचारियों, अधिकारियों की लापरवाही पानी फेरने लगी है। लोग चाहते हैं कि सरकार इसमें पारदर्शिता लाते हुए समय निर्धारण करे। लोगों को पहले की तरह ही सही तीन-चार किश्तों में पैसे दिए जाएं।

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    सात साल में 500 आवेदन

    जम्मू शहर के वार्ड नंबर 31 और 32 में वर्ष 2018 से लेकर अभी तक 500 से ज्यादा लोगों ने पीएमएवाई के तहत मकान के लिए आवेदन कर चुके हैं। करीब 100 लोगों के तो मकान भी बन चुके हैं। उन्हें अपनी छत मिल चुकी हैं। 100 के करीब मामले ऐसे हैं जिनमें से किसी एक पहली तो किसी की दूसरी व तीसरी किश्त अटक चुकी है। इससे उनका अपनी छत होने का सपना अधर में लटक गया है।

    क्या कहते हैं लोग

    ‘पता नहीं अब कौन सी व्यवस्था आ गई है। आवेदन करने के कई दिनों बाद भी केस का अता-पता नहीं। सर्दियों से पहले मंजूरी मिल जाती तो अपने घर को बना पाते। पटवारी व अन्य कर्मचारी कभी कुछ तो कभी कुछ चक्कर डाल देते हैं।’ -संजय कुमार, निवासी गोल कालोनी

    ‘पहले व्यवस्था अच्छी थी। आवेदन करने के बाद टीम घर आती थी और सारी वैरिफिकेशन कर दो-तीन हफ्तों में केस को पास अथवा रद कर दिया जाता था। अब ऐसा नहीं हो रहा। लटकाया जा रहा है। शायद कुछ खाने-पीने की चाहत है।’ -सुमन डोगरा, निवासी पूरन नगर

    ‘आनलाइन व्यवस्था का मतलब जल्दी काम होना होता है। हो इसका उल्टा रहा है। कोई एक टीम मौके पर आए और सारी जांच-पड़ताल करे ताकि आवेदक को स्थिति स्पष्ट हो सके। लोगों को बीच में लटका कर परेशान न किया जाए। बहुत शिकायतें मिल रही हैँ।’ -धर्मवीर सिंह, पूर्व डिप्टी मेयर

    ‘पहले अच्छा था। पंद्रह दिन में पता चल जाता था कि आवेदक का केस मंजूर हुआ है या नहीं। अब आनलाइन होने के बाद पटवारियों, बीएलओ, नगर निगम, हाउसिंग बोर्ड के कर्मचारी जान-बूझ अड़चने ला रहे है। महीनों से केस लटके पड़े हैं। प्रधानमंत्री का नाम बदनाम करने की साजिश दिख रही है। सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।’ -सुच्चा सिंह उर्फ डीसी, पूर्व कारपोरेटर

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    क्या कहते हैं अधिकारी

    ‘पीएमएवाई के तहत लाभार्थियों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होने देंगे। संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे सही तरीके से वैरिफिकेशन करवा कर प्रक्रिया में तेजी लाएं। ज्यादा समय नहीं लगना चाहिए। संबंधितों को मामलों को सुलझाने के निर्देश दिए गए हैं।’ -मंदीप कौर, आयुक्त सचिव, आवास एवं शहरी विकास विभाग