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    Kishtwar Cloudburst: चशाेती में कुदरत का कहर: पहचान का इंतजार कर रहे शवगृह में पड़े शव, लंबी हो रही प्रतीक्षा

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 12:10 PM (IST)

    जम्मू संभाग के किश्तवाड़ में बादल फटने से 68 लोगों की मौत हो गई और 80 से अधिक लापता हैं। बचाव दल शवों को निकालने में जुटे हैं लेकिन कई शवों की पहचान नहीं हो पाई है। राजकीय मेडिकल कॉलेज जम्मू में लाए गए 16 शवों में से 4 की पहचान अभी तक नहीं हो पाई। आशंका है मृतकों के परिवार के सदस्य भी मलबे में दबे हो सकते हैं।

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    पहचान न होने पर गैर सरकारी संगठन अंतिम संस्कार करेंगे।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। एक ओर जहां जम्मू संभाग के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले कई परिवार जहां अपने परिजनों को सकुशल लौटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

    वहीं कुछ ऐसे मृतक भी हैं जिन्हें लेने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा। इन शवों की पहचान तक नहीं हो पा रही है। अंतिम संस्कार के लिए प्रतीक्षा लंबी होती जा रही है और अपनों के मिलने की उम्मीदें भी धुंधली पड़ती जा रही हैं।

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    हम बात कर रहे हैं आठ दिन पहले जम्मू संभाग के किश्तवाड़ जिले के चशोती में बादल फटने की घटना का। इस घटना में 68 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं जबकि अस्सी से अधिक लापता है। अभी भी बहुत से लोगों के मलबे के ढेर के नीचे दबे होने की आशंका है।

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    जम्मू-कश्मीर पुलिस, सेना, सीआरपीएफ, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ व स्वयं संगठनों के जवान शवों को निकालने के लिए अभियान चलाए हुए हैं। लेकिन कुछ शव ऐसे भी हैं जिनकी अभी तक पहचान नहीं हो पाई है। वहीं कुछ ऐसे हैं जिनके शरीर के कुछ भाग ही मिल पा रहे हैं। दृश्य हृदय विदारक है।

    राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू में आठ दिनों में कुल 16 लोगों के शव लाए गए। इनमें से 12 शवों की पहचान तो हो गई लेकिन चार शव अभी भी पहचान का इंतजार कर रहे हैं। इनके पास से कुछ भी ऐसा नहीं मिल पाया है जिससे इनकी पहचान हो सके।

    वहीं अपनों को ढूंढ रहे कई लोग भी राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू के शवगृह में पहुंचे, लेकिन किसी ने भी इन शवों की पहचान नहीं की। यह भी आशंका जताई जा रही है कि कहीं इनके परिवार के अन्य सदस्य भी मलबे के ढेर में तो नहीं दब गए हैं या फिर पानी के बहाव में दरिया में तो नहीं बह गए हैं।

    इन तमाम आशंकाओं के बावजूद अभी प्रतीक्षा की जा रही है और अंतिम संस्कार के लिए कोई भी योजना नहीं बनाई गई है। हालांकि यह मत यह भी है कि अगर कुछ दिनों में कोई भी नहीं आता है तो गैर सरकारी संगठन सेवा समिति के माध्यम से इन परिवाराें का अंतिम संस्क्ार कर दिया जाए।

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    जीएमसी जम्मू के चिकित्सा अधीक्षक डा. वीरेंद्र त्रिसल का कहना है कि 16 में से चार शवों की पहचान नहीं हुई है। पुलिस भी इनके परिजनों का पता लगा रही है। जैसे ही पहचान होगी, शवों को अंतिम संस्कार के लिए उनके परिजनों को सौंप दिया जाएगा।

    वहीं जीएमसी के शवगृह में पांच लोगों के शरीर के अंग भी पड़े हुए हैं। इस भीषण त्रासदी में कई शव क्षत-विक्षप्त हो गए हैं और उनके शरीर के अंग ही अब खोदाई में मिल रहे हैं। इन अंगों को भी संभाल का रखा गया है ताकि इनका भी आदर-सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया जाए।

    एक और घायल का निधन

    जीएमसी जम्मू के आइसीयू में भर्ती रजो देवी का भी एक दिन पहले बुधवार रात को निधन हो गया। इसे मिलाकर जीएमसी जम्मू में इलाज करवा रहे दो लोगों की मौत हुई है। कुल 76 घायल इलाज के लिए पहुंचे थे। इनमें से 32 को छुट्टी दे दी गई। अन्य का इलाज जारी है। 

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