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    "हमें सब चलता है" की मानसिकता से छुटकारा पाना होगा, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में सिलेबस बदलने को लेकर बोले LG मनोज सिन्हा

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 10:41 AM (IST)

    उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि कॉलेजों व विश्वविद्यालयों के पुराने पाठ्यक्रम में क्रांतिकारी बदलाव लाना होगा ताकि भारत को ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदला जा सके। उन्होंने मानव पूंजी नवाचार और अनुसंधान में निवेश पर जोर दिया। केंद्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर में प्रशासनिक ब्लाक का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि विकसित भारत 2047 के लक्ष्य के लिए अकादमिक और छात्रों का योगदान महत्वपूर्ण है।

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    जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुधवार को कहा कि "हमें सब चलता है" की मानसिकता से छुटकारा पाना होगा और कॉलेजों व विश्वविद्यालयों के पुराने पाठ्यक्रम में क्रांतिकारी बदलाव लाना होगा, ताकि भारत को ज्ञान, अर्थव्यवस्था में बदला जा सके। हमारी शीर्ष प्राथमिकता मानव पूंजी, नवाचार और अनुसंधान में निवेश होनी चाहिए।

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    उपराज्यपाल ने केंद्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर और गांदरबल के तुलमुला परिसर में प्रशासनिक ब्लाक और एम्फीथिएटर का उद्घाटन किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत अगले दो दशकों में महत्वपूर्ण विकास के लिए तैयार है और विकसित भारत 2047 के अंतिम उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अकादमिक और छात्रों का महत्वपूर्ण योगदान आवश्यक है।

    उन्होंने कहा कि हमारा विकास माडल मानव पूंजी बनाने पर ध्यान केंद्रित करना होना चाहिए, जो आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान कर सके। उन्होंने छात्रों के लिए आकर्षक शिक्षा वातावरण प्रदान करने, महत्वपूर्ण सोच और जीवन कौशल, समस्या समाधान और नवाचार को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डाला। उपराज्यपाल ने कहा कि अंत: विषय पाठ्यक्रमों पर पर्याप्त ध्यान दिया जाना चाहिए।

    इन पाठ्यक्रमों से न केवल रचनात्मकता, नवाचार, सोच और कौशल का विकास होता है बल्कि छात्रों को उनके सामाजिक और नैतिक उत्तरदायित्वों के प्रति भी जागरूक किया जाता है। विश्वविद्यालय विकास का केंद्र है और छात्र इसके परिधि हैं। मानव विकास कभी भी यांत्रिक नहीं होता है। इसके लिए बेहतर विश्वविद्यालय, शिक्षक और शिक्षा वातावरण की आवश्यकता होती है।

    उन्होंने कहा कि तेजी से विकास और बदलती प्रौद्योगिकी के कारण हमें असाधारण गुणों वाले मानव संसाधनों की आवश्यकता है। उनमें आजीवन सीखने की क्षमता और समय के साथ बदलने की क्षमता होनी चाहिए, ताकि वे अपने कौशल को पुनः विकसित और उन्नत कर सकें। इस अवसर पर कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय के नव नियुक्त फैकल्टी के लिए 7-दिवसीय प्रवेश कार्यक्रम भी शुरू किया गया। इस अवसर पर वीसी प्रो. ए रविंद्र नाथ, डीआईजी राजीव पांडे उपस्थित थे।