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Kashmiri Pandits: पनुन कश्मीर ने सरकार से कहा-कश्मीर पंडितों काे घाटी में नौकरियां देना घर वापसी नहीं

प्रधान विरेंद्र रैना ने कहा कि कठिन हालात में विस्थापन का दर्द झेल रहे कश्मीरी पंडितों को राहत के लिए सरकार ने घाटी में नौकरियां दी। इसे घाटी वापसी की दृष्टि से न देखा जाए। क्योंकि कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 10:29 AM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 10:29 AM (IST)
घाटी में स्थित मंदिरों के संरक्षण के लिए काम किया जाना चाहिए।

जम्मू, जागरण संवाददाता: पनुन कश्मीर ने कहा कि पैकेज के तहत नौकरियों पर लगे कश्मीरी पंडितों को घाटी वापसी से जोड़कर नही देखा जाए। यह नौकरियां कश्मीरी पंडितों को आर्थिक तौर पर राहत देने, उनके लिए रोजगार का रास्ता निकालने के लिए दी गई हैं। चंद कश्मीरी पंडितों के घाटी में नौकरी करने का मतलब कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी नही हैं।

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यहां आयोजित बैठक में पनुन कश्मीर के प्रधान विरेंद्र रैना ने कहा कि कठिन हालात में विस्थापन का दर्द झेल रहे कश्मीरी पंडितों को राहत के लिए सरकार ने घाटी में नौकरियां दी। इसे घाटी वापसी की दृष्टि से न देखा जाए। क्योंकि कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा है जिसे उच्च स्तर पर राजनीतिक तौर पर सुलझाया जाना है। विरेंद्र रैना ने मांग की कि पैकेज के अधीन घाटी में नौकरियों पर तैनात किए गए कश्मीरी पंडित युवा-युवतियों की सुरक्षा को यकीनी बनाया जाए।

घाटी में जब थोड़े से भी हालात खराब होते हैं तो वहां काम कर रहे पंडित कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना पैदा हो जाती है। यह सही बात नहीं है। वर्तमान में बने हालात उचित नही हैं। ऐसे में हम कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। केंद्र सरकार को फैसला लेना चाहिए।

वहीं दूसरी ओर कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी के मुद्दे पर चर्चा की जानी चाहिए और घाटी में कश्मीरी पंडितों के लिए अलग से कालोनी का निर्माण किया जाना चाहिए। कश्मीरी पंडित घाटी में अपने हिसाब से सम्मान के साथ वापस जाना चाहते हैं। इसके लिए केंद्र सरकार को रणनीति तैयार करनी होगी। वहीं मांग की कि घाटी में स्थित मंदिरों के संरक्षण के लिए काम किया जाना चाहिए।


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