बेसहारा मवेशियों की समस्या से जूझ रहा जम्मू, सड़कों पर कभी भी हो सकता है हादसा; जिम्मेदारी किसकी?
जम्मू शहर में सड़कों पर घूमते मवेशी दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। नगर निगम की सख्ती के बावजूद मवेशी मालिक इन्हें खुला छोड़ देते हैं। निगम मवेशियों को पकड़कर जुर्माना वसूलता है लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। शहर के कई इलाकों में मवेशियों की समस्या बनी हुई है जिससे लोगों के लिए खतरा पैदा हो गया है।

जागरण संवाददाता, जम्मू। शहर की सड़कों पर यहां-वहां घूम रहे मवेशी जिंदगी को खतरे में डाल रहे हैं। नगर निगम की सख्ती के बावजूद इन मवेशियों को खुले में छोड़ दिया जाता है। यह बेजुबान सड़कों पर कहीं भी खड़े हो जाते या फिर बैठ जाते हैं जो हादसों का सबब बनते हैं और जिंदगियां खतरे में पड़ जाती हैं।
मौजूदा समय में भी शहर की अधिकतर सड़कों पर इन मवेशियों को देखा जा सकता है। यह बेजुबान अपनी मजबूरी तो नहीं बता पाते लेकिन साफ है कि यह कोई आवारा मवेशी नहीं हैं। आसपास ही कुछ डेयरी, एक-दो मवेशी रखने वाले जगह की तंगी के चलते अधिकतर समय इन्हें खुला ही छोड़ते हैं।
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यह स्थिति तब है जब नगर निगम की टीमें मवेशियों को पकड़ने के बाद मालिक से जुर्माना वसूलती है। मवेशियों के यह मालिक बेशर्म हो चुके हैं जो इनका अच्छे से भरन-भोषण तो कर नहीं पा रहे, आम लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल रहे हैं। डिवीजनल कमिश्नर कार्यालय के नजदीक सड़क पर तो सुबह-शाम यह मवेशी सड़क पर बैठे दिखते हैं।
हर रोज पकड़ते हैं 5-7 मवेशी
जम्मू नगर निगम ने हर रोज शहर से 5 से 7 मवेशियों को सड़कों से पकड़ता है। फिर मवेशी के मालिक को बुलाकर जुर्माना कर मवेशी को सशर्त सुपुर्द कर दिया जाता है। अफसोस की बात है कि बार-बार जुर्माना होने के बावजूद यह लोग सुधरेन का नाम नहीं ले रहे। हालांकि निगम ने बार-बार पकड़े जाने वाले मवेशी का जुर्माना बढ़ाना शुरू किया है।
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इन क्षेत्रों में ज्यादा मवेशी
शहर की पाश कालोनी गांधीनगर के कुछ क्षेत्रों में भी इन मवेशियों को देखा जा सकता है। ग्रीन बेल्ट पार्क, पनामा चौक, त्रिकुटा नगर एक्सटेंशन, नानक नगर के कुछ हिस्से, डिग्याना, सतवारी-आरएसपुरा मार्ग, तालाब तिल्लो, बोहड़ी, पौनी चौक, बन तालाब मार्ग, आरएसपुरा मार्ग, चौआदी मार्ग, नरवाल बाईपास के आसपास की मुख्य सड़कों पर इन्हें आम देखा जा सकता है।
शहर में एकमात्र बाड़ा
शहर में जम्मू नगर निगम के पास फिलहाल डोगरा हाल में एक कैटलपांड (मवेशी बाड़ा) है। इसमें 70 से 80 मवेशियों को रखा जा सकता है। चूंकि मवेशियों के खिलाफ क्रूरता का कानून यहां लागू हैं तो निगम इसका भी ध्यान रखता है। लिहाजा, मवेशियों को ठूस-ठूस कर न रखा जाए, को ध्यान में रखते हुए रोजाना 5-6 मवेशी भी उठाए जाते हैं।
वहीं नगरोटा के जगती में अब एक नया कैटलपांड बनाया गया है जहां 350 मवेशियों के रखने की क्षमता है। यह फिलहाल निर्माणाधीन है। मौजूदा समय में यहां 250 के करीब मवेशी हैं। पकड़े गए मवेशी को पहले डोगरा हाल कैटलपांड में रखा जाता है।
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7 दिन तक मवेशी को यहां रखा जाता है। अगर कोई मालिक आता है तो जुर्माना कर मवेशी लौटा दिया जाता है। दस दिन बाद मवेशी को नगरोटा में शिफ्ट कर दिया जाता है। हर साल करीब 5 लाख रुपये जुर्माने से निगम के खाते में आ जाते हैं।
यह है जुर्माना
जुर्माना/प्रतिदिन चारा खर्च
- छोटा मवेशी 200 रुपये 20 रुपये
- मध्यम मवेशी 400 रुपये 40 रुपये
- बड़ा मवेशी 600 रुपये 60 रुपये
क्या कहते हैं लोग
‘हम यहां सुबह सैर को आते हैं तो बहुत से मवेशी सड़क पर दिखते हैं। सड़कें खाली होने के चलते वाहन बहुत तेज गति में आते हैं। ऐसे में अचानक कोई मवेशी सामने आ जाए तो हादसा तो होगा ही।’ -ममता गिल, निवासी वाल्मीकि कालोनी
‘नगर निगम को इन मवेशियों के मालिकों पर सख्ती करनी चाहिए। अगर जगह नहीं है तो वे इन्हें बेच दें। सड़कों पर खूले में छोड़ कर लोगों की जिंदगी को दांव पर लगाना कहां का इंसाफ है। कार्रवाई हो।’ -गारू भट्टी, निवासी वाल्मीकि कालोनी
‘हालांकि सुबह इन गायों को खाना आदि देने के लिए भी लोग आते हैं लेकिन अगर इन्हें सड़कों पर खुला नहीं छोड़ा जाएगा तो लोग इनके वाडे में जाकर खाना-भूसा आदि देंगे। यह गलत बात है। इन्हें सड़कों पर छोड़ना मौत को बुलावा है।’ -योगेश धर, जम्मू।
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कई लोग नहीं करते परवाह
‘हम बार-बार मवेशियों को सड़कों से उठाते हैं। मालिकों को जुर्माने भी किए जाते हैं। बावजूद इसके कई बार दोबारा इन मवेशियों को सड़कों पर खुले में छोड़ जाता है। हमने मवेशियों के कान काट कर निशान लगाने की प्रक्रिया भी जारी रखी है। बार-बार पकड़े गए मवेशियों की जुर्माना राशि बढ़ाई जाती है। जगह की तंगी समझ में आ रही है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्ती बढ़ाई गई है।' -दिव्या शर्मा, म्यूनिसिपल वेटरनरी आफिसर, जम्मू
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