'भारतीय एजेंटों से नाता तोड़ें, नहीं तो...' मीरवाइज उमर फारूक को आईएसआई की धमकी
कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों ने आईएसआई के इशारे पर मीरवाइज मौलवी उमर फारूक को धमकी दी है। धमकी का कारण मुख्यधारा की तरफ कदम बढ़ा रहे पूर्व अलगाववादियों को रोकना है। मीरवाइज को यह धमकी इत्तिहादुल मुसलमीन के चेयरमैन मौलाना मसरुर अब्बास अंसारी और हुर्रियत की कार्यकारी परिषद के सदस्य बिलाल गनी लोन द्वारा मुख्यधारा की कदम बढ़ाए जाने के मद्देनजर दी गई है।

नवीन नवाज, जागरण, श्रीनगर। कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ के इशारे पर वही किया जिसकी आशंका थी। उन्होंने कश्मीर के प्रमुख इस्लामिक धर्मगुरू और आल पार्टी हुर्रियत कान्फ्रेंस के उदारवादी गुट के चेयरमैन मीरवाइज मौलवी उमर फारूक को धमकी दी है।
मीरवाइज मौलवी उमर फारूक को यह धमकी मुख्यधारा की तरफ कदम बढ़ा रहे पूर्व अलगाववादियों को रोकने और कश्मीर बनेगा पाकिस्तान का नारा जिंदा रखने के लिए दी गई है। आपको बता दें कि मीरवाइज मौलवी उमर फारूक पर मंडरा रहे आतंकी खतरे को देखते हुए ही गत वर्ष केंद्र सरकार ने उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की है। मीरवाइज मौलवी उमर फारूक के पिता मौलवी फारूक अहमद को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ के इशारे पर ही मई 1990 में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने कत्ल किया था।
आतंकी संगठनों ने मीरवाइज मौलवी उमर फारूक को धमकी अपने एक आनलाइन मुखपत्र के जरिए दी है। इसमें उन्हें कहा गया है कि वह बिलाल गनी लोन, मसरूर अब्बास अंसारी व इन जैसे कुछ अन्य हुर्रियत नेताओं से दूर रखें। यह भारतीय एजेंट हैं। वह इनसे अपना नाता तोड़ें और इनके बहिष्कार के लिए कहें,अन्यथा समय आने पर काेई नरमी नहीं बरती जाएगी।
यह भी पढ़ें- Jammu : रूढ़ीवादी सोच को मात दे महिलाओं के लिए बनी मिसाल, जानें किस तरह ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बना रही रजनी देवी
मीरवाइज मौलवी उमर फारूक को यह धमकी इत्तिहादुल मुसलमीन के चेयरमैन मौलाना मसरुर अब्बास अंसारी और हुर्रियत की कार्यकारी परिषद के सदस्य बिलाल गनी लोन द्वारा कश्मीर में आजादी, पाकिस्तान विलय और जिहाद के सच्चाई को उजागर करते हुए, मुख्यधारा की कदम बढ़ाए जाने के मद्देनजर दी गई है।
आइएसआइ और उसके समर्थक आतंकी संगठनों के निशाने पर रहे हैं मौलवी फारूक
कश्मीर मामलों के जानकार मानते हैं, कश्मीर मुद्दे पर त्रिपक्षीय वार्ता और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के समर्थक रहे मीरवाइज मौलवी उमर फारूक हमेशा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ और उसके समर्थक आतंकी संगठनों के निशाने पर रहे हैं।
वर्ष 2003 में हुर्रियत के विभाजन का मुख्य कारण भी मीरवाइज मौलवी उमर फारूक और मौलाना अब्बास अंसारी ही थे जिन्होंने पहले अब्दुल गनी लोन के साथ मिलकर तत्कालीन भारत सरकार को चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने का संकेत दिया था,लेकिन आइएसआइ द्वारा अब्दुल गनी लोन की हत्या कराए जाने के बाद वह पीछे हट गए थे।
मीरवाइज ने तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदम्बरम के साथ कश्मीर समस्या के समाधान के लिए क्वाईट डिप्लोमेसी शुरू की थी,जिसे आतंकियों ने मीरवाइज मौलवी उमर फारूक केक करीबी फजल हक कुरैशी पर हमला कर, बंद करा दिया था।
यह भी पढ़ें- Ladakh: जंस्कार पहुंचे दलाई लामा, लोगों ने किया स्वागत; खराब मौसम के कारण दो दिन देरी से पहुंचे
आतंकी हिंसा का विरोध रहा मौलवी फारूक की हत्या का कारण
फजल हक कुरैशी ने वर्ष 2000 मे हिजबुल मुजाहिदीन और केंद्र सरकार के बीच वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। उन्होंने बताया कि मीरवाइज मौलवी फारूक अहमद की हत्या का कारण, उनका कश्मीर में आतंकी हिंसा का विरोध था।
वह दुनिया में कुछ मुस्लिम राष्ट्रों केा इस संदर्भ में पत्र लिखकर उन्हें कश्मीर में पाकिस्तान के अनावश्यक हस्ताक्षेप को रोकने और कश्मीर में विदेशी आतंकियों के आगमन पर रोक लगाने का प्रयास कर रहे थे।
बताया जा रहा है कि अगर वर्ष 2016 में कश्मीर में हिंसक प्रदर्शन नहीं हुए होते तो मीरवाइज मौलवी उमर फारूक के नेतृत्व वाली उदारवादी हुर्रियत केंद्र सरकार के साथ वार्ता के बाद नए एजेंडे के साथ आगे बढ़ चुकी होती।
अलबत्ता, मीरवाइज मौलवी उमर फारूक के नेतृत्व वाली हुर्रियत कान्फ्रेंस के कई नेता विभिन्न माध्यमों से केंद्र सरकार के साथ कथित तौर पर संपर्क में रहे हैं और उन्हें मुख्यधारा की सियासत में शामिल होने का यकीन दिलाया है। यह प्रक्रिया वर्ष 2022 की गर्मियों में नए सिरे से शुरु की गई थी और समयानुसार हुर्रियत नेताओं ने अपना रास्ता बदलने की बात की थी।
यह भी पढ़ें- Poonch school landslide: जम्मू-कश्मीर के पुंछ में प्राइमरी स्कूल में भूस्खलन से एक छात्र की मौत, कई घायल
अब अपने भाषणों को राजनीतिक मुद्दों से दूर रखते हैं मौलवी उमर
मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने खुद को विगत एक वर्ष के दौरान अपने भाषणों को राजनीतिक मुद्दों से यथासंभव अलग रखा है वह सामाजिक-क्षेत्रीय-धार्मिक मद्दो पर केंद्रित हैं। इसके अलावा गत संसदीय और विधानसभा चुनावों मं कई जगह उनके करीबी चुनावी गतिविधयािें में शामिल रहे हैं।
गत माह सामने आए राजनीतिक गठजोड पीपुल्स एलांयस फार चेंज जिसकी अगुआइ सज्जाद गनी लोन कर रहे हैं, में भी मीरवाइज की सहमति की बात की जा रही है।बीते तीन वर्ष के दौरान कई अलगाववादी नेता मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो चुके हैं या फिर राजनीति से किनारा कर खुदको सामाजिक गतिविधियों में सीमित कर चुके हैं।
कश्मीर मामलों के जानकार सलीम रेशी ने कहा कि अगर बिलाल गनी लोन चुपचाप मुख्यधारा में शामिल हो जाते तो शायद मीरवाइज मौलवी उमर फारूक को यह धमकी नहीं मिलती। बिलाल गनी लोन ने हुर्रियत की विफलता, आतंकी संगठनों द्वारा कश्मीर में की गई तबाही, पाकिस्तान की नाकामी और उसकी कमजाेरियों का पूरा चिट्ठा खोल दिया है।
उन्होंने लोगों को मुख्यधारा में आगे बढ़ने की सलाह देते हुए कहा कि वह भारत को भारत की निगाह से देखें। अगर मीरवाइज मौलवी उमर फारूक जामिया मस्जिद के मिंबर से मुख्यधारा को अपनाने वाले नेताओं के बहिष्कार का एलान करते हैं तो उसका असर होगा। इसलिए उन्हें ऐसा करने का आतंकी फरमान सुनाया गया है। इसे आप दूसरे शब्दों में देखें तो यह एक तरह से आतंकी संगठनों और उनके आकाओं ने अपनी पराजय स्वीकारी है।
यह भी पढ़ें- Landslide in Vaishno Devi: वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर भूस्खलन से 6 यात्री घायल और एक की मौत, कई के दबे होने की आशंका
कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद अब मरनासन्न है
कश्मीर मामलों के जानकार बिलाल बशीर ने कहा कि कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद अब मरनासन्न है। आम कश्मीरी के लिए आजादी ,जिहाद और कश्मीर बनेगा का पाकिस्तान का कोई मतलब नहीं रह गया है। इसे अब आतंकी संगठन और उनकी आका पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ भी परोक्ष रूप से स्वीकार कर रही है। उन्होंने कहा कि वह अपनी जमीन बचाने के लिए अब मीरवाइज मौलवी उमर फारूक को खुलेआम धमकाने लगे हैं।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ और कट्टरपंथी अलगावववदी व आतंकी संगठन हमेशा से चाहते रहे हैं कि जामिया मस्जिद पर उनका कब्जा हो, मीरवाइज हमेशा उनकी राह में कांटा रहे हैं। उन्होंने मीरवाइज मौलवी उमर फारूक को धमका कर अपने ताबूत में आखिरी कील ठोंक लिया है।मीरवाइज मौलवी उमर फारूक के मानने वालों क कश्मीर में एक बड़ी तादाद है।
उन्हें अपना धर्मगुरू मानने वाले न सिर्फ अलगाववादी खेमे में है बल्कि कश्मीर में राष्ट्रवाद की बात करने वाले कश्मीरी मुस्लिमों की एक बड़ी तादाद भी उनकी अनुयायी है। विभिन्न राजनीतिक संगठनों के नेता व कार्यकर्ता भी उनके धार्मिक समर्थक हैं। इस बीच, जम्मू कश्मीर पुलिस के सूत्रों ने बताया कि मीरवाइज मौलवी उमर फारूक की नजरबंदी जिसे लेकर यहां कई लोग राजनीति करते हैं, उसका मूल कारण उनकी सुरक्षा ही होता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।