Kargil Vijay Diwas: आसमान पर ड्रोन, जमीन पर रोबोटिक डाग-म्यूल की ताकत, जानें भारतीय सेना की यह तकनीक क्यों है खास?
कारगिल विजय दिवस के अवसर पर भारतीय सेना ने भविष्य की युद्ध चुनौतियों के लिए अपनी तैयारी का प्रदर्शन किया। DRDO द्वारा विकसित अत्याधुनिक ड्रोन रोबोटिक कुत्ते और म्यूल जैसे उपकरणों का प्रदर्शन किया गया जो दुश्मन की साजिशों को विफल करने में सक्षम हैं। इन तकनीकों का उपयोग हवाई निगरानी विस्फोटकों का पता लगाने और सैनिकों को खतरे से बचाने के लिए किया जा सकता है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। भविष्य की युद्ध चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो रही भारतीय सेना के बेड़े में अत्याधुनिक ड्रोन व रोबोटिक डाग, म्यूल दुश्मन की साजिशों को नाकाम बनाने में सक्षम हैं।
कारगिल विजय दिवस कार्यक्रम के पहले दिन अपने ड्रोन शो के दौरान अत्याधुनिक तकनीकों से लैस ड्रोन प्रदर्शित कर हवाई चुनौतियों का सामना करने में अपने सशक्त होने का संदेश दिया। हवाई निगरानी क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए ड्रोन शो में यूएवी प्रिसीजन गाइडेड म्यूनीशन ड्रोन, निगरानी करने वाले फस्र्ट पर्सन व्यू ड्रोन, एस्टीरिया एटी 15, स्विच आरपीए, रिमोटली पायलेटेड सिस्टम त्रिनेत्र ड्रोन व भार को उंचाई पर ले जाने में सक्षक ड्रोन का प्रदर्शन किया।
इस बीच ड्रोन प्रदर्शन के साथ भारतीय सेना ने विभिन्न परिचालन भूमिकाओं में इस्तेमाल किए जाने वाले रोबोटिक कुत्तों का भी प्रदर्शन किया। मल्टी-यूटिलिटी लेग्ड इक्विपमेंट (म्यूल) कहे जाने वाले ये रोबोटिक कुत्ते चुनौतीपूर्ण इलाकों में क्षमताओं को बढ़ाने, सैनिकों के लिए जोखिम कम करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
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प्रदर्शन के दौरान रोबोटिक कुत्तों का संचालन कर रहे सैनिकों ने दिखाया कि किस तरह से म्यूल विस्फोटकों का पता लगाने, उनके निपटारे के साथ सुरक्षा संबंधी कार्यों के लिए सुसज्जित हैं। इन रोबोटिक कुत्तों की मदद से भारतीय सेना अपने सैनिकों को खतरे में डाले बिना रासायनिक, जैविक, रेडियोलाजिकल व परमाणु युद्ध के वातावरण में चुनौतियों का सामना कर सकती है।
सेना के ड्रोन व रोबोटिक डाग म्यूल का प्रदर्शन पहले दिन का आकर्षण रहा। इस शो को बलिदानियों के परिजनों, युद्ध नायकों, सैन्य कर्मियों के साथ क्षेत्र के निवासियों ने भी देखा। सेना ने कारगिल विजय दिवस पर लद्दाख में अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने वाले हथियारों, उपकरणों के साथ ड्रोन व अन्य आधुनिक यंत्रों की प्रदर्शनी का आयोजन किया है।
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इस प्रदर्शनी में मानवरहित हवाई वाहनों में लॉजिस्टिक ड्रोन शामिल थे जिन्हें लगभग 4,000 मीटर की ऊँचाई पर संचालित किया जा सकता है। यह एक ऐसी तकनीक है जिसे स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।
कारगिल विजय दिवस में आयोजित इस प्रदर्शनी में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर में इस्तेमाल किए गए ड्रोन का भी प्रदर्शन किया। ड्रोन शो में रोबोटिक कुत्ते भी शामिल थे, जिनका उपयोग उबड़-खाबड़ इलाकों में गोला-बारूद जैसे भार ढोने के साथ-साथ नियंत्रण रेखा पर गश्त के लिए भी किया जा सकता है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कारगिल युद्ध के बाद से सेना में शामिल किए गए ड्रोन और अन्य तकनीकें निगरानी की प्रभावशीलता को बढ़ाने और दूरदराज के इलाकों में रसद पहुंचाने में मदद करेंगी। यही नहीं इस तकनीक के जरिए दुश्मनों पर प्रभावी ढंग से नज़र रखने के साथ समय पर आने पर कड़ा हमला करना भी संभव होगा। उन्होंने कहा कि ये तकनीकें लद्दाख क्षेत्र में दुर्गम इलाकों और कठिन मौसम की स्थिति में सैनिकों को होने वाली थकान और खतरों को कम करेंगी।
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