पाकिस्तान जाने वाली चिनाब नदी का रोका पानी, अब इसका क्या करेगा भारत? पढ़ें रिपोर्ट
भारत ने पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया है। भारत ने चिनाब नदी का पानी रोका दिया है अब इस पानी के इस्तेमाल से बिजली उत्पादन होगा। सिंधु जल संधि के बाद भारत अब अपनी जरूरत के अनुसार पानी का इस्तेमाल करेगा। जम्मू-कश्मीर में पनबिजली परियोजनाओं से प्रदेश में बिजली उत्पादन बढ़ेगा और पाकिस्तान की सिंचाई योजनाओं पर असर पड़ेगा।
राहुल शर्मा, जम्मू। पहलगाम हमले के बाद एक्शन मोड में आई सरकार ने पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका दे दिया। भारत ने चिनाब नदी पर बगलिहार और सलाल जलविद्युत परियोजनाओं पर जलप्रवाह को रोककर पाकिस्तान को साफ संकेत दिया कि सिंधु जल संधि निलंबित होने के बाद हम अपनी आवश्यकता के अनुसार बूंद-बूंद पानी का इस्तेमाल करेंगे।
इसके साथ ही सरकार ने अब आधा दर्जन से अधिक जलविद्युत परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के लक्ष्य पर काम करना आरंभ कर दिया है। इन परियोजनाओं से अगले दो वर्ष में उत्पादन आरंभ होना था पर केंद्र सरकार इसे अतिशीघ्र पूरा करना चाहती है।
अगर यह लक्ष्य पूरा हो जाता है एक बार इनके बैराज में जम्मू-कश्मीर से जाने वाली नदियों के पानी की हम बूंद-बूंद इस्तेमाल कर सकेंगे और साथ ही प्रदेश में बिजली उत्पादन में इजाफा हो सकेगा।
पाकिस्तान की घेराबंदी में जुटी केंद्र सरकार ने पहले सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया था। उसके बाद अब रविवार को चिनाब नदी का जलप्रवाह बाधित कर वाटर स्ट्राइक की। नतीजा यह हुआ कि सोमवार सुबह तक चिनाब नदी में जलप्रवाह लगभग थम गया। पहली बार हुआ कि चिनाब नदी सूखी दिखाई दी।
इससे पाकिस्तान में चिनाब पर बने पावर प्रोजेक्ट काफी हद तक प्रभावित हुए। हालांकि एक बार हमारे जल भंडार भर जाने के बाद पाकिस्तान को फिर से पानी जाना शुरू हो चुका है।
जम्मू-कश्मीर को इसका तात्कालिक लाभ यह हुआ कि यहां कि बगलिहार, सलाल और दुलहस्ती परियोजनाओं में उत्पादन क्षमता के 80 प्रतिशत से अधिक पहुंच गया।
बगलिहार और सलाल के गेट बंद
सामान्य परिस्थितियों में इस मौसम में यह 50 प्रतिशत से अधिक चला जाता है। चिनाब में जल प्रवाह रोकने से पूर्व सरकार ने पहले से तैयारी कर ली थी। बगलिहार व सलाल परियोजनाओं के पहले पूरे गेट खोल दिए गए ताकि इसमें वर्षों से जमा कचरा साफ हो सके और बैराज की जल भंडारण की क्षमता बढ़ सके। इसके बाद सभी गेट बंद कर दिए गए।
पाकिस्तान में बाढ़ न आ जाए, इस कारण पूर्व में इन बैराज के सभी गेट एक साथ नहीं खोले जाते थे। शनिवार को चिनाब अखनूर में 30 फीट की ऊंचाई तक बह रही थी और वहीं सोमवार सुबह तक जलप्रवाह दो से तीन फीट तक आ पहुंचा। अब बैराज भरने के बाद पानी फिर से पाकिस्तान की ओर बहना आरंभ हो गया है।
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तीन गुणा हो जाएगा उत्पादन
चिनाब पर लगभग आधा दर्जन पनबिजली परियोजनाओं पर कार्य अंतिम चरण में हैं और अब इन्हें जल्द पूरा करने की तैयारी है। चिनाब पर इस समय किश्तवाड़ जिला में 1000 मेगावाट की क्षमता वाली पकल डुल, 624 मेगावाट की कीरू, 540 मेगावाट की कवार, 850 मेगावाट की रत्ले और रामबन जिला में 1856 मेगावाट क्षमता वाली सावलाकोट पन बिजली परियोजना पर काम चल रहा है।
इनमें से तीन परियोजनाएं एक वर्ष तैयार होने की उम्मीद है। इसके अलावा किश्तवाड़ में ही 800 मेगावाट वाली भूरसर और 930 मेगावाट क्षमता वाली किरथेई-2 परियोजना बनाने का मसौदा तैयार हो चुका है।
उधर, कश्मीर में झेलम की नीलम नदी पर किश्नगंगा और उरी-2 परियोजना का काम भी जारी है। यह परियोजनाएं सिरे चढ़ती हैं तो जम्मू-कश्मीर में बिजली उत्पादन वर्तमान की 3200 मेगावाट की क्षमता से बढ़कर लगभग तीन गुणा अर्थात दस हजार मेगावाट से अधिक हो जाएगा।
पाकिस्तान को लगेगा झटका
तात्कालिक असर जम्मू-कश्मीर की पनबिजली परियोजनाएं पूरी क्षमता से कार्य कर रहीं पाकिस्तान की चिनाब परस्थापित परियोजनाओं को लगा झटका रणनीति पानी रोकने से पहले सिल्ट हटाकर बैराज को खाली किया गया ताकि क्षमता बढ़ सके क्षमता के मुताबिक हुआ बिजली उत्पादन, पहले 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान की ओर छोड़ना पड़ता था
पाकिस्तान की पनबिजली व सिंचाई योजनाएं प्रभावित जम्मू-कश्मीर स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर के अनुसार चिनाब में पानी कम होने से पाकिस्तान की दो पनबिजली परियोजनाओं के साथ सिंचाई योजनाएं भी प्रभावित हुई। लाहौर से लगभग 35 किलोमीटर दूर 13.2 मेगावाट की क्षमता वाला लघु प्रोजेक्ट चिचोनकी मालियां हाइड्रोपावर प्लांट (सीएमएचपीपी) चिनाब में पानी का स्तर गिरने से कई घंटे ठप रहा।
इसी तरह की स्थिति नंदीपुर हाइड्रोपावर प्लांट (एनएचपीसी) की भी रही। इसके अलावा मराला हेडवकर्स और मराला रावी लिंक कनाल में भी पानी का स्तर गिरने की वजह से पाकिस्तान के किसानों को खेतों की सिंचाई की चिंता सताने लगी।
क्षमता के मुताबिक हो रहा बिजली उत्पादन
जम्मू-कश्मीर के लोग काफी समय से चाहते थे कि भारत सरकार पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को समाप्त कर दे। पानी रोकने का लाभ यह रहा कि किश्तवाड़ में चिनाब पर बनी 390 मेगावाट क्षमता वाली दुलहस्ती में इस समय 300 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन हो रहा है।
इसी तरह जिला रामबन में 900 मेगावाट क्षमता वाली बगलिहार-1 और बगलिहार-2 में भी 700 मेगावाट तक बिजली उत्पन्न की जा रही है। 690 मेगावाट क्षमता वाली जिला रियासी में स्थापित सलाल पनबिजली परियोजना में 600 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है। सामान्य तौर पर इस मौसम में बिजली उत्पादन गिर जाता था।
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ऐसे में अतिरिक्त बिजली खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी जम्मू-कश्मीर की पनबिजली परियोजनाओं में बिजली उत्पादन बेहतर होने से प्रदेश के लोगों को कटौती से राहत मिलेगी। अधिकारियों का कहना है कि जम्मू में 1100 मेगावाट जबकि कश्मीर में 1500 मेगावाट सप्लाई की जा रही है।
अगर उत्पादन क्षमता इसी तरह रहती है तो बहुत जरूरत पड़ने पर ही अतिरिक्त बिजली खरीदने की जरूरत पड़ेगी। जम्मू-कश्मीर लोड डिस्पेच सेंटर सर्दियों में बिजली मंत्रालय से अतिरिक्त बिजली पाने के लिए बैंकिंग प्रक्रिया भी शुरू करेगा। इस प्रक्रिया के तहत 300 से 500 मेगावाट बिजली पावर ट्रेडिंग कंपनी को दी जाएगी, ताकि जरूरत पड़ने पर उतनी ही बिजली सर्दियों में वापस ली जा सके।
भूसहर बांध बना तो पूरी तरह हो जाएगा पानी पर नियंत्रण
किश्तवाड़ के भूसहर में ऊंचाई पर चिनाब पर पनबिजली परियोजना के प्रस्ताव को मंजूरी मिल चुकी है। यह परियोजना 800 मेगावाट की होगी पर अभी तक मिली रिपोर्ट के अनुसार यहां अतिरिक्त जल भंडारण संभव होगा।
एक बार यह परियोजना सिरे चढ़ जाती है तो चिनाब के जलप्रवाह को पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकेगा। इसी तरह कश्मीर में झेलन की सहायक नदी किशनगंगा पर बनने वाली जलवि्युत परियोजना से झेलम के जलप्रवाह को नियंत्रित किया जा सकेगा।
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