जमानत की उम्मीद लगाए बैठे फिरोज अहमद डार को लगा बड़ा झटका, हाईकोर्ट ने यह कहकर अर्जी की खारिज
जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट ने फिरोज अहमद डार की जमानत याचिका खारिज कर दी जिस पर श्रीनगर सेंट्रल जेल में आतंकवादी साजिश रचने का आरोप है। डार को पहले हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। हाईकोर्ट ने उसकी मां की बीमारी के आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया क्योंकि उस पर जेल में आतंकी साजिश रचने के गंभीर आरोप हैं।

जेएनएफ, जागरण, जम्मू। जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट ने श्रीनगर सेंट्रल जेल में आतंकवादी साजिश रचने के आरोपित फिरोज अहमद डार की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। फिरोज अहमद डार को हत्या के आरोप में 2013 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
डार ने जमानत अर्जी दायर करते हुए कहा था कि उसकी मां बीमार है, लिहाजा उसे दो माह के लिए जमानत पर रिहा किया जाए लेकिन हाईकोर्ट ने पाया कि याची की मां केवल उस पर आश्रित नहीं है। उसकी देखभाल के लिए पति, दूसरा बेटा व बेटियां भी है, लिहाजा याची को जमानत पर रिहाई नहीं दी जा सकती।
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हाईकोर्ट ने पाया कि याची पर जेल के भीतर रहते हुए आतंकवादी हमलों की साजिश रचने जैसे गंभीर आरोप है। ऐसे गंभीर मामलों में नरमी नहीं बरती जा सकती। इससे पहले कश्मीर के सोपोर निवासी 2024 में एनआइए कोर्ट में जमानत अर्जी दायर की थी जिसे खारिज कर दिया गया था।
जांच एजेंसी के मुताबिक अप्रैल 2019 में डार व कुछ अन्य कैदियों ने सेंट्रल जेल श्रीनगर में राष्ट्र विरोधी नारेबाजी की और बैरेक्स में आग लगा दी।
आरोपितों ने एलपीजी का सिलेंडर इस्तेमाल कर जेल में धमाका करने का प्रयास किया। उन्होंने जेल स्टाफ पर पथराव किया और एक दीवार तोड़कर जेल से भागने का प्रयास भी किया।
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जांच एजेंसी के मुताबिक डार ने जेल के भीतर अपना आतंकी गैंग बना रखा था और उन्होंने एक सोची-समझी साजिश के तहत जेल स्टाफ को मारने का प्रयास किया।
हाईकोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि ऐसे संगीन मामलों में किसी ठोस परिस्थिति में ही जमानत मिल सकती है लेकिन इस केस में ऐसा कोई ठोस आधार नहीं।
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