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    कितने सुरक्षित हैं स्कूल: हर दिन स्कूल नहीं, खतरे की इमारत में दाखिल होते हैं बच्चे, ऊधमपुर के इस स्कूल में खुले में लगती हैं कक्षाएं

    Updated: Fri, 01 Aug 2025 12:08 PM (IST)

    जम्मू कश्मीर के ऊधमपुर जिले में स्थित सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूल दमनोत की इमारत जर्जर हालत में है। पहली से बारहवीं तक के 310 विद्यार्थी जान जोखिम में डालकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। कक्षाओं की कमी के कारण बरामदे और खुले मैदान में कक्षाएं लगती हैं। दो दशक पहले स्कूल को हायर सेकेंडरी में अपग्रेड किया गया था लेकिन नई इमारत का निर्माण अभी तक नहीं हो पाया।

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    2.74 करोड़ रुपये की डीपीआर मंजूरी के लिए अटकी है।

    शेर सिंह, जागरण, ऊधमपुर। दमनोत पहुंचने के लिए जैसे-जैसे सड़कें संकरी और उबड़-खाबड़ होती गईं, वैसे-वैसे मन में यह सोच गहराने लगी कि क्या वाकई यहां एक हायर सेकेंडरी स्कूल संचालित हो रहा है? लेकिन जैसे ही मोंगरी तहसील के इस सुदूर गांव में स्थित सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूल दमनोत की बदहाल इमारत दिखी तो यह समझते देर न लगी कि यहां शिक्षा से पहले बच्चों को हर दिन सुरक्षा के संघर्ष से गुजरना होता है।

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    स्कूल परिसर का जायजा लेने पर साफ नजर आया कि पूरी इमारत जर्जर अवस्था में है। टीन की छतें जगह-जगह से झुकी हुई हैं, दीवारों में दरारें हैं। और कुछ जगह से पानी टपक रहा था। स्थानीय लोगों ने बताया कि जब हवा तेज चलती है तो उन्हें लगता है कि छत उड़ जाएगी। स्कूल में पहली से 12वीं तक की कक्षाओं के 310 विद्यार्थी हैं। कक्षाओं और विद्यार्थियों की संख्या के लिहाज से इमारत में पर्याप्त कैमरे नहीं है।

    मौसम साफ हो तो कक्षाएं बरामदे से लेकर खुले मैदान में, कभी पेड़ों के नीचे तो कभी छायादार दीवारों की ओट में लगा ली जाती हैं। मगर वर्षा में एक कमरे में तीन तीन कक्षाओं के विद्यार्थी को पढ़ना पड़ता है। शिक्षकों के अनुसार ऐसे में पढ़ाना तो दूर बच्चों को कमरे में बैठाना ही चुनौती बन जाता है।

    यह वही स्कूल है, जिसे करीब दो दशक पहले हाई स्कूल से हायर सेकेंडरी में अपग्रेड किया गया था। लेकिन अफसोस तब से लेकर आज तक नई बिल्डिंग सिर्फ कागजों में ही बन पाई है।

    2.74 करोड़ रुपये की डीपीआर बनी, मगर मंजूरी अभी तक लटकी है। शिक्षकों के मुताबिक, कई बार शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन को लिखा गया, मगर जवाब सिर्फ आश्वासन तक ही सीमित रहा। वास्तव में यह शिक्षा विभाग के हर दावे पर सवालिया निशान खड़ा करता है कि क्या सरकारी अभियान सिर्फ पोस्टर तक सीमित रह गए हैं? दमनोत स्कूल की हालत यह बताने के लिए काफी है कि आज भी शिक्षा के मंदिरों में सुधार से पहले सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए।

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    310 छात्रों और स्टाफ के लिए केवल दो शौचालय

    जरूरत अनुसार शौचालय की सुविधा नहीं होने के कारण छात्रों को हर रोज परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दो दशक पहले बनाए गए शौचालय पूरी तरह से बदहाल हो चुके हैं और अब इनको इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसके बाद कुछ वर्ष पहले दो नए शौचालय बनाए गए, लेकिन इनकी भी हालत खराब हो चुकी है। 310 छात्रों और स्टाफ को कम से पांच से 5 से अधिक शौचालयों की जरूरत है, लेकिन यहां पर मात्र दो ही हैं।

    2005 में हाई स्कूल से बना था हायर सेकेंडरी स्कूल दमनोत

    लोगों की मांग के बाद वर्ष 2005 में हाई स्कूल दमनोत को हायर सेकेंडरी स्कूल बनाया गया था। जब हायर सेकेंडरी बना था तो ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। लोगों को लगा कि अब हमारे बच्चों को नई इमारत मिलेगी और बच्चे बिना किसी परेशान के शिक्षा हासिल कर सकेंगे। लेकिन 20 वर्ष बाद भी स्कूल की नई इमारत नहीं बन पाई है। दो दशक में शिक्षा विभाग ने तीन नए कमरों का ही निर्माण किया है। शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते आज भी बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ने को विवश हैं।

    इमारत में हैं सिर्फ सात कमरे

    स्कूल की इमारत में केवल सात कमरे हैं। चार कमरों में कक्षाएं चलाई जाती हैं। एक कमरे को स्टोर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। एक कमरे में कंप्यूटर लैब बनाई गई और एक कमरे में स्टाफ रूम बनाया गया है। चार कमरों में 12 कक्षाएं चलाना शिक्षकों के लिए चुनौती भरा रहता है। इसलिए ज्यादातर कक्षाएं बाहर खुले में ही चलाई जाती हैं।

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    चहारदिवारी नहीं होने से बच्चों की सुरक्षा को लेकर सताती है चिंता

    स्कूल में आज तक चहारदिवारी नहीं की गई है। इसको लेकर बच्चों की सुरक्षा की चिंता स्टाफ को सताती रहती है। स्कूल में कब मवेशी और कुत्ते पहुंच जाएंगे पता नहीं चलता है। छात्रों को भी जहां स्थान मिलता है उसी रास्ते से स्कूल पहुंच जाते हैं, जो सुरक्षा के लिहाज से काफी खतरनाक है। कोई भी असामाजित तत्व बच्चों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हालांकि इस स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए डेस्क की सुविधा पर्याप्त है। बच्चों को बैठने को लेकर कोई चिंता नहीं होती है। इसके साथ स्कूल में बिजली व पानी की भी पर्याप्त सुविधा मौजूद है।

    स्कूल की खस्ताहाल के लिए शिक्षा विभाग जिम्मेदार

    स्कूल को अपग्रेड करने के 20 वर्ष के बाद भी नई इमारत न बनने के लिए पूरी तरह से शिक्षा विभाग जिम्मेदार है। स्कूल के दूर दराज ग्रामीण इलाके में मौजूद होने के कारण शिक्षा विभाग ने कभी इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया। इमारत को लेकर जब भी किसी ने समस्या रखी तो आश्वासन देकर बात को टाल दिया गया। अब भी केवल डीपीआर को मंजूरी मिलने का ही इंतजार है।

    2014 में भूस्खलन की चपेट आ गए थे दो कमरे

    वर्ष 2005 में भी स्कूल में दो नए कमरों का निर्माण किया था। इससे कुछ राहत मिली थी। लेकिन वर्ष 2014 में तेज बारिश के दौरान भूस्खलन होने पर दोनों नए कमरे क्षतिग्रस्त हो गए थे। यह क्षतिग्रस्त ढांचा आज तक वैसा ही खड़ा है न तो इसकी मरम्मत हो पाई है और न ही इसको गिराया गया है। यह ढांचा भी किसी हादसे को न्योता दे रहा है।

    शिक्षा विभाग से हम एक वर्ष से सुन रहे हैं कि नई इमारत के लिए डीपीआर बन चुकी है और मंजूरी का इंतजार है। लेकिन आज तक डीपीआर को मंजूरी नहीं मिली है। जब इसको मंजूरी मिल जाएगी तो फिर टेंडर के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। साफ पता चलता है कि अभी हमारे बच्चों को नई इमारत के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा और शिक्षा विभाग को बच्चों की सुरक्षा की कोई चिंता नहीं है। -प्रभात सिंह, स्थानीय निवासी

    जब हाई स्कूल दमनोत को हायर सेकेंडरी बनाया गया था तो एक उम्मीद जगी थी कि बच्चों को अब सुविधाओं के साथ गुणवत्ता भरी शिक्षा मिलेगी, लेकिन आज यह संभव नहीं हो पाया है। जब बारिश होती है तो छत टपकती है और बच्चे ऐसे हालात में शिक्षा कर रहे हैं। जानकारी के बाद भी प्रशासन और शिक्षा विभाग कुछ नहीं कर पाया है। - चमैल सिंह, स्थानीय निवासी

    जब गर्मी का मौसम आता है तो बैठने के लिए स्थान नहीं होने के कारण कई कक्षाओं को शिक्षक पेड़ के नीचे लगाते हैं। कई वर्ष से हम यही देख रहे हैं। बच्चे पढ़ने में परेशान हो रहे हैं तो शिक्षक पढ़ाने में परेशानियों का सामना कर रहे है। कई सरकारी अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर हालात को देखा है, लेकिन जमीनी स्तर पर किसी ने कुछ नहीं किया है। - गुलशन ठाकुर, स्थानीय निवासी

    जब तक बच्चों को जरूरत अनुसार सुविधाएं नहीं मिलेगी तब तक वह अच्छी तरह से शिक्षा हासिल नहीं कर सकते हैं। हायर सेकेंडरी दमनोत में तो बच्चे कई दशक से सुविधाओं को तरस रहे हैं और सबसे बड़ी समस्या तो नई इमारत का न बनना है। पुरानी इमारत बदहाल और असुरक्षित है और शिक्षा विभाग हमारे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। - रोमेश चंद्र, स्थानीय निवासी

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    अधिकारियों के कोट

    अपने सरंपच के कार्यकाल के दौरान नई इमारत के लिए हर संभव प्रयास किए। इन प्रयासों के चलते ही आज तक केवल दो कमरे बन पाए है। जिले में भी स्कूल अपग्रेड कर हायर सेकेंडरी बनाए गए। उनकी नई इमारतें बन चुकी है। लेकिन हायर सेकेंडरी स्कूल दमनोत को आज तक नई इमारत नसीब नहीं हुई। शिक्षा विभाग और प्रशासन को अब तो इसको गंभीरता से लेकर प्रयास करने चाहिए। हंस राज ठाकुर, पूर्व सरपंच पंचायत दमनोत

    लंबे समय से लोगों की मांग है कि स्कूल की नई इमारत बनाई जाए। समग्र शिक्षा के तहत तीन कमरे बनाए गए थे, लेकिन वह जरूरत को पूरा नहीं करते है। विशेष तौर पर प्रयास करते हुए एक वर्ष पूर्व 8 कमरों वाली नई इमारत की 2.74 करोड़ की डीपीआर मंजूरी के लिए भेजी गई है। उम्मीद है कि उसको जल्द मंजूरी मिलेगी। पिछले कई वर्ष से तो बच्चे जान जोखिम में डाल कर शिक्षा हासिल कर रहे हैं और इससे कोई बड़े हादसे की भी आशंका बनी रहती है। सरकार को इसकी डीपीआर को जल्द मंजूरी देनी चाहिए। जसवीर सिंह, डीडीसी पंचैरी-मोंगरी

    स्कूल में केवल 4 कमरों में 12 कक्षाएं चलाना हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इमारत की हालत खराब होने और नई इमारत बनाने की मांग को कई बार उच्च अधिकारियों के समक्ष रखा गया है और उनकी तरफ से हमें हर बार आश्वासन दिए गए हैं। अब हम सब की उम्मीदें डीपीआर की मंजूरी पर ही टिकी है। अगर डीपीआर को मंजूरी मिल जाती है तो हमारे परेशानी को दूर करने का रास्ता साफ हो जाएगा। भीम सिंह, ईचार्ज प्रिंसिपल, सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूल दमनोत

    नई इमारत का निर्माण कार्य जमीन को लेकर चल रहे विवाद के कारण प्रभावित हुआ है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग इसको लेकर प्रयास कर रहा है। इसको लेकर लगातार योजनाएं बनाई जा रही है। कल्पना जसरोटिया, डिप्टी सीईओ ऊधमपुर