जम्मू शहर को अगले स्वच्छ सर्वेक्षण में टॉप-10 में लाने की कवायद, नगर निगम ने अपनाई यह रणनीति
जम्मू नगर निगम (JMC) ने कोट भलवाल में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करना है जिससे स्वच्छ सर्वेक्षण में जम्मू शहर को शीर्ष 10 में स्थान मिल सके। शहर से निकलने वाले लगभग 400 मीट्रिक टन कचरे में से प्लास्टिक को अलग कर बंधुरक्ख और भगवती नगर भेजा जा रहा है।

जागरण संवाददाता, जम्मू। कोट भलवाल में शुरू हुए सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट में कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण अगले स्वच्छ सर्वेक्षण में जम्मू शहर को टाप-10 में जगह दिलाएगा। शहर से जितना कचरा निकलेगा उतना ही इस प्रोजेक्ट के चलते साथ ही निस्तारित हो जाएगा और फिर शहर में कचरा दिखना बंद हो जाएगा।
वह दिन दूर नहीं है, क्योंकि नगर निगम का सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट शहर से करीब 22 किलोमीटर दूर कोट भलवाल के काला गांव में शुरू हो चुका है। हालांकि, अभी बड़ी मशीनरी आना शेष हैं। अगले कुछ महीनों में जब बड़ी मशीनरी लग जाएगी, तो रोजाना करीब 300 मीट्रिक टन कचरा ठिकाने लगना शुरू हो जाएगा।
जम्मू शहर से रोजाना करीब 400 मीट्रिक टन कचरा ही अब निकल रहा है। इसमें से भी प्लास्टिक को अलग करके बंधुरक्ख व भगवती नगर स्थित यूनिट में ठिकाने लगाया जा रहा है। शेष कचरे को कोट भलवाल भेजा जा रहा है।
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आपको बता दें कि तीन दिन पहले आए स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 के नतीजों में जम्मू शहर 206 अंकों की बढ़त के साथ 42वीं रैंकिंग लेने में सफल रहा है। इससे निगम अधिकारियों, कर्मचारियों का उत्साह बढ़ा है और वे अगले वर्ष के नजीतों में टाप-10 का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ने लगे हैं।
बंधुरक्ख में हो रहा प्लास्टिक कचरे का निस्तारण
जम्मू नगर निगम के अधीन 189.43 किलोमीटर क्षेत्र में फैले शहर के 75 वार्डों में से 26 वार्डों के प्लास्टिक कचरे को जमा कर बंधुरक्ख में जम्मू नगर निगम द्वारा लगाए गए यूनिट में वेस्ट टू वेल्थ में बदला जा रहा है। इसमें बनाई गई इनिट को मैटेरियल रिक्वरी फेसेलिटी का नाम दिया गया है।
प्लास्टिक कचरे को छांटने के बाद इसके छोटे-छोटे टुकड़े कर दिए जाते हैं। इतना ही नहीं इसके दाने यानि ग्रेन्यूल्ज बना दिए जाते हैं, जिसके अच्छे दाम मिलते हैं। बता दें कि शहर से हर रोज निकलने वाले कचरे में 20 प्रतिशत के करीब प्लास्टिक कचरा होता है, जो पर्यावरण के लिए घातक है। बंधुरक्ख में करीब 75 कनाल निगम की जमीन है जहां 2.25 करोड़ रुपये की लागत से यह यूनिट बनी है।
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स्रोत पृथीकरण है अनिवार्य
स्वच्छ सर्वेक्षण में टाप-10 में आने के लिए निगम को कचरे का स्रोत पृथीकरण करवाना अनिवार्य करना होगा। फिलहाल, करीब 26 प्रतिशत आबादी ही स्रोत पृथीकरण यानि गीले-सूखे कचरे को अलग-अलग कर निगम कर्मचारियों को सौंप रही है। इसमें अधिकतर भागीदारी दुकानदारों की है। अब निगम जागरुकता कार्यक्रमों के साथ सख्ती बरतने जा रहा है। इससे कचरे का सरल व शीर्घ निस्तारण संभव हो पाएगा।
कोट भलवाल में सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है। वर्षों से जमा करीब सात लाख मीट्रिक टन कचरा कुछेक महीने में ठिकाने लग जाएगा। बड़ी मशीनरी लगने जा रही है। फिर रोजाना 300 मीट्रिक टन कचरा ठिकाने लगेगा। रोजाना ही सारा कचरा ठिकाने लग जाया करेगा। इससे स्वच्छता रैंकिंग में उछाल आएगा और टाप-10 में जरूर होंगे। इस बार 206 अंकों की बढ़त के साथ हम 42वें स्थान पर रहे हैं। -देवांश यादव, नगर निगम आयुक्त एवं सीईओ जेएससीएल
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