Kishtwar Coudburst: डीएनए जांच से होगी शवगृह में पड़े शवों की पहचान, कुछ मृतकों के शरीर के क्षत-विक्षप्त अंग ही मिल रहे
किश्तवाड़ में बादल फटने से हुई त्रासदी में मारे गए लोगों के शवों की पहचान डीएनए जांच से की जा रही है। राजकीय मेडिकल कॉलेज जम्मू में लाए गए 16 शवों में से 3 की पहचान अभी बाकी है। शरीर के अंगों का डीएनए मिलान के लिए भेजा गया है। एक महिला की पहचान अंगूठी से हुई।

रोहित जंडियाल, जागरण, जम्मू। आठ दिन पूर्व किश्तवाड़ जिले के चशोती में बादल् फटने के कारण कई लोगों की जान चली गई। इस घटना में कुछ लोगों के शव इस हाल में हैं कि उनकी पहचान नहीं हो पा रही है। वहीं कुछ मृतकों के शरीर के क्षत-विक्षप्त अंग ही मिल रहे हैं।
इन लोगों की पहचान के लिए डीएनए जांच की जा रही है। इससे जब कोई पहचान के लिए आएगा तो उसका डीएनए लेकर मिलान करने पर ही शव व शरीर का अंग स्वजनों को सौंपा जाएगा।
राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू में आठ दिनों में कुल 16 लोगों के शव लाए गए। इनमें से 13 शवों की पहचान तो हो गई लेकिन तीन शव अभी भी पहचान का इंतजार कर रहे हैं। इनके पास से कुछ भी ऐसा नहीं मिल पाया है जिससे इनकी पहचान हो सके। एक का तो सिर ही नहीं है।
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कई शवों की अभी तक नहीं हो पा रही पहचान
वहीं अपनों को ढूंढ रहे कई लोग भी राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू के शवगृह में पहुंचे, लेकिन किसी ने भी इन शवों की पहचान नहीं की। यह भी आशंका जताई जा रही है कि कहीं इनके परिवार के अन्य सदस्य भी मलबे के ढेर में तो नहीं दब गए हैं या फिर पानी के बहाव में दरिया में तो नहीं बह गए हैं।
इन तमाम आशंकाओं के बावजूद अभी प्रतीक्षा की जा रही है और अंतिम संस्कार के लिए कोई भी योजना नहीं बनाई गई है। वहीं पांच लोगों के शरीर के अंग भी शवगृह में पड़े हुए हैं। इनकी भी किसी ने पहचान नहीं की।
अब डीएनए जांच का सहारा लिया जा रहा
इन शवों की पहचान के लिए अब डीएनए जांच का सहारा लिया जा रहा है। शवगृह में पड़े शरीर के पांच अंगों का डीएनए लेकर फोरेंसिक लेबोरेटरी में भेजा गया है। इसका मकसद यह है कि अगर शरीर के इन अंगों को कोई पहचानता है तो उसके स्वजनों का भी डीएनए लेकर उसका मिलान किया जा। अगर दोनों के डीएनए मिलते हैं तो अंतिम संस्कार के लिए इन्हें स्वजनों को सौंप दिया जाएगा।
तीन में से एक के शरीर पर सिर भी नहीं
वहीं तीन शवों की भी ऐसी ही स्थिति है। तीन में से एक के शरीर पर सिर भी नहीं है। उसके पूरे शरीर पर भी ऐसी कोई चीज नहीं है जिससे उसकी पहचान हो सके। दो महिलाओं के शव भी इसी तरह से शवगृह में पड़े हुए हैं। उनकी पहचान के लिए अब अंतिम विकल्प डीएनए जांच ही बची है। जीएमसी जम्मू के प्रिंसिपल डा. आशुतोष गुप्ता ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि जिन शवों की पहचान नहीं हो पा रही है। उनके डीएनए टेस्ट ही होंगे और इसी के आधार पर उनकी पहचान की जाएगी।
अंगुठी देख कर की पहचान
जम्मू: शवगृह में एक शव की पहचान उसके परिजनों ने उंगुली में पड़ी अंगुठी देखकर की। इस महिला का भी सिर नहीं था। उसकी पहचान नहीं हो पा रही थी। लेकिन जैसे ही अपनों की तलाश कर रहा एक परिवार शवगृह में पहुंचा और उसने महिला की उंगुली में अंगुठी पड़ी देखी तो उससे उसकी पहचान कर ली। इसके बाद उसका शव अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सौंप दिया गया।
क्यों होती है डीएनए जांच
जम्मू: जब किसी शव की हालत ऐसी नहीं रहती कि उसकी पहचान हो सके तो डीएनए जांच ही सबसे सही विकल्प रहता है। इसमें शव से आमतौर पर हड्डी या दांत से सैंपल लिया जाता है। मृतक के डीएनए को उनके परिवार के सदस्यों के डीएनए से मिलाया जाता है। यदि डीएनए पैटर्न मेल खाते हैं, तो शव की पहचान हो जाती है।
एक और घायल का निधन
जीएमसी जम्मू के आइसीयू में भर्ती रजो देवी का भी एक दिन पहले बुधवार रात को निधन हो गया। इसे मिलाकर जीएमसी जम्मू में इलाज करवा रहे दो लोगों की मौत हुई है। कुल 76 घायल इलाज के लिए पहुंचे थे। इनमें से 32 को छुट्टी दे दी गई। अन्य का इलाज जारी है।
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