Kishtwar Cloudburst: मां ने खाना खाने को रोका और खुद बह गई, चिशोटी में हर रोज मलबे में अपनी मां तलाश रहा मनदीप
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में बादल फटने से आई बाढ़ में 22 वर्षीय मनदीप सिंह ने अपनी माँ को खो दिया। मंदीप की माँ तुलसी देवी श्रद्धालुओं को मक्की की रोटी बेचती थी। बाढ़ से पहले तुलसी देवी ने मनदीप को घर भेज दिया था जिससे उसकी जान बच गई। मनदीप अपनी माँ को खोने के गम में डूबा है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, चिशोटी/किश्तवाड़। 22 वर्षीय मनदीप सिंह चिशोटी बुढ़ नाले के पास बार-बार उस जगह जाता है, जहां उसकी मां तुलसी देवी श्रद्धालुओं को मक्की की रोटी और सब्जियां बेच अपना व उसका पेट भरती थी।
वह अपनी पीड़ा भी व्यक्त नहीं कर पाता और रुआंसा हो, हकलाते हुए कहता है कि अब मेेरी बात कौ समझेगा, मैं किससे अपनी बात कहूंगा। वह तो मुझे छोड़कर चली गई। उसने मुझे घर लौटने के लिए कहा था, मैं अगर उसकी बात नहीं मानता तो शायद वह बच जाती है, मैं घर चला गया और बंच गया,लेकिन वह बह गई। बुढ़ नाला कुछ दूरी पर जाकर चिनाब में मिल जाता है।
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चिशोती में 14 अगस्त की दोपहर को बादल फटने के बाद एक विनाशकारी बाढ़ ने जान माल का भारी नुक्सान किया। इस आपदा में अब तक 68 लोगों की मौत हो चुकी है, 100 से ज्यादा घायल हैं और लापता लोगों की संख्या की सही पुष्टि नहीं हो रही है। प्रशासन का दावा है कि लापता लोगों की संख्या 70 के करीब है जबकि कई लोग इसके ज्यादा होने की बात करते हैं।
मां ने बहुत जोर देकर मुझे घर भेजा
न्यूरोलॉजिकल विकार के साथ जन्म लेने के कारण, हकलाने वाले मनदीप सिंह अक्सर अपनी बात सुनाने के लिए अक्सर अपनी मां पर निर्भर रहते थे। मचेल माता की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए उसकी मां तुलसी देवी ने बुढ़ नाला के पास ही दुकान लगाई थी। बाढ़ आने से चंद मिनट पहले तुलसी देवी ने मनदीप सिंह को जबरन घर भेजा। उसे कहा कि वह दुकान पर आने से पहले घर में खाना खाए। मनदीप सिंह ने कहा कि मेरा मन नहीं मान रहा था लेकिन मां ने बहुत जोर दिया,उसने गुस्सा भी किया और मैं घर चला गया था। कुछ देर बाद बाढ़ आ गई, ऊपर से पानी के साथ मलबा आया और दुकान के साथ मेरी मां भी बह गई।
मां की बात नहीं सुनी होती तो वह जिंदा होती
वहीं पास में राहत कार्यों में जुटे पाड्डर अलहोली के निवासी बलराज से मनदीप की पीड़ा का जिक्र करते हुए कहा कि उसकी मां की सलाह ने उसकी जान बचाई और यही उसे पीड़ा देती है। वह कहता है कि अगर मैने मां की बात न सुनी होती तो शायद मैं उसे बचा लेता। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े बलराज उन लोगों में पहले हैं, जो राहत कार्य के लिए गांव में पहुंचे। उन्होंने कई तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों को बचाया।
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आज भी उस पल को याद कर कांप उठते हैं मनदीप
मनदीप उस पल को याद करते हुए कांप उठता है। उसने कहा कि वह मुझे बार बार कह रही थी कि पहले दोपहर का खाना खा लो और फिर वापस आ जाना। काश! मैं रुक जाता। अगर भगवान उसे ले जाना चाहते थे, तो मुझे भी ले जाते। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि तुलसी देवी मलबे में दब गईं और बाढ़ के पानी में बह गई। उसका शव अभी तक नहीं मिला है।
पूरे परिवार का सहारा थी मां
मनदीप के पिता मस्ती राम उस समय कहीं दिहाड़ी पर मजदूरी के लिए गए हुए थे। उसकी बड़ी बहन जो निकटवर्ती हाकू गांव में ब्याही गई है, अपने बच्चों संग बच गई। मनदीप ने कहा कि बेशक हमारा यह घर बच गया लेकिन मेरा सहारा, मेरी मां मुझसे छिन गई है। वह पूरे खानदान का सहारा थी। अब मैं कहा जाऊं। सब कहते हैं कि वह अब नहीं रही, लेकिन मुझे लगता है कि वह यहीं है, यहीं पर तो हमारी दुकान थी। मैं यहां से कहां जाऊं।
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