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    बांडीपोरा की गुरेज घाटी जहां कभी गूंजती थी पाक गोलाबारी, सैलानियों से है गुलजार, आंकड़े दर्शाते हैं नए कश्मीर में बदलाव

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 05:00 PM (IST)

    कश्मीर की शांत गुरेज घाटी में पर्यटकों की चहल-पहल बढ़ गई है जिससे स्थानीय लोगों में उत्साह है। भारत-पाकिस्तान युद्धविराम के बाद प्राकृतिक नजारों से भरपूर इस घाटी में शांति लौट आई है जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिला है। इस साल 29479 पर्यटक गुरेज आए हैं जिनमें 3245 बाहरी राज्यों से हैं।

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    पर्यटकों ने स्थानीय लोगों के आतिथ्य और घाटी की सुंदरता की प्रशंसा की।

    डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। उत्तरी कश्मीर के बांडीपोरा जिले की सीमांत गुरेज घाटी, जहां का तनावपूर्ण माहौल स्थानीय लोगों में ही नहीं पर्यटकों के लिए भी दहशत का कारण बनता रहता था। आज वहीं शांत गुरेज घाटी सैलानियों से गुलजार है।

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    बदलने कश्मीर में यह बदलाव लोगों में उत्साह बढ़ाने वाला है। भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौते के बाद से प्राकृतिक नजारों से परिपूर्ण यह घाटी आज एक उल्लेखनीय बदलाव का गवाह बन रही है। आज यहां प्रतीक्षित शांति लौट आई है, जिससे क्षेत्र में पर्यटन और सामाजिक-आर्थिक पुनरुत्थान का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

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    3,245 बाहरी राज्यों से आए पर्यटक

    बांडीपोरा जिला प्रशासन द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़े भी इस बदलाव की गवाही देते हैं। इस साल अभी तक 26,234 स्थानीय और 3,245 बाहरी राज्यों से आए पर्यटकों सहित कुल 29,479 पर्यटक गुरेज आए। अधिकारी ने कहा कि वर्ष 2025 घाटी के लिए एक रिकॉर्ड तोड़ पर्यटन सीजन बन गया है।

    गुरेज के रहने वाले खातिब ने बड़े हर्ष से कहा कि दशकों में पहली बार गुरेज कश्मीर के सबसे जीवंत पर्यटन स्थलों में से एक के रूप में उभरा है। यह अच्छा संकेत है। हमें उम्मीद है कि आने वाले सीजन में पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा। कश्मीर में यह बदलाव न केवल स्थानीय लोगों को बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को भी आकर्षित कर रहा है।

    सीमांत गोलाबारी के कारण अशांत रहता था गुरेज

    आपको बता दें कि कुछ महीने पहले ही भारत-पाकिस्तान के बीच बनी तनाव की स्थिति के बाद नियंत्रण रेखा पर लगातार गोलाबारी के कारण गुरेज निवासियों को भूमिगत बंकरों में रातें बिताने के लिए मजबूर होना पड़ा था। भय के माहौल में दुकानें और बाजार बंद रहे। इसके विपरीत आज स्थिति पूरी तरह बदल गई है। जनजीवन सामान्य हो रहा है और अपनी प्राचीन सुंदरता के साथ यह घाटी अब हजारों पर्यटकों को आकर्षित कर रही है।

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    स्थानीय लोगों के आतिथ्य से खुश हैं पर्यटक

    पर्यटक गुरेज के मनमोहक दृश्यों, बर्फ से ढके पहाड़ों और सांस्कृतिक समृद्धि की प्रशंसा कर रहे हैं। किशनगंगा नदी के किनारे शिविरों और ट्रैकिंग ट्रेल्स ने घाटी को साहसिक उत्साही और शांति चाहने वालों, दोनों के लिए एक केंद्र बना दिया है।

    यहां आने वाले पर्यटकों ने भी स्थानीय लोगों के आतिथ्य की गहरी प्रशंसा की है। गुरुग्राम से आए पर्यटकों के एक समूह ने कहा कि वे स्थानीय लोगों के स्नेह से बहुत खुश हैं। उन्होंने गुरेज टूर को एक अविस्मरणीय अनुभव बताया।

    छिपा हुआ स्वर्ग गुरेज

    बैंगलोर की एक महिला पर्यटक वश्री ने गुरेज को एक "छिपा हुआ स्वर्ग" बताया। उन्होंने प्रकृति से प्यार करने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को इस सुंदरता का आनंद लेने के लिए गुरेज आने का आग्रह किया। एक अन्य पर्यटक ने बर्फ से ढकी चोटियों, हरे-भरे घास के मैदानों और प्राचीन किशनगंगा नदी के लिए घाटी को "कश्मीर में एक दर्शनीय स्थल" बताया।

    पर्यटकों ने भोजन और आवास की बेहतर सुविधाओं की भी सराहना की। कई पर्यटक तो इतने उत्साहित दिखे कि उन्होंने घाटी में दोबारा आने का संकल्प लिया और दूसरों को भी आने के लिए प्रोत्साहित किया है।

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    पर्यटन ने आजीविका कमाने का मौका दिया

    गुरेज निवासी एजाज डार ने कहा कि शांति के इस वातावरण ने लोगों को पर्यटन से अपनी आजीविका कमाने का मौका दिया है। पहले हम डर में रहते थे और अक्सर बंकरों में शरण लेनी पड़ती थी। अब बड़ी संख्या में पर्यटक आ रहे हैं और इसने हमारे लिए नए अवसर खोले हैं। हम बस यही उम्मीद करते हैं कि यह शांति बनी रहे।"

    गुरेज़ के लोग अब आशावादी सोच के साथ आगे देख रहे हैं। उम्मीद करते हैं कि सीमा पर शांति इसी तरह बनी रहेगी, जिससे घाटी अपने निवासियों के लिए एक शांतिपूर्ण घर और पर्यटकों के लिए एक बेहतर गंतव्य के रूप में फल-फूल सकेगी।