Jammu Kashmir: कांग्रेस का स्टेटहुड अभियान नेशनल कांफ्रेंस के लिए पैदा कर सकता है मुश्किलें, जानिए राजनीति का पूरा गणित
जम्मू-कश्मीर में स्टेटहुड एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिस पर कांग्रेस अन्य दलों से आगे निकलने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस ने अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण को भी स्वीकार किया है जिससे नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ उसकी दूरी बढ़ रही है। प्रदेश कांग्रेस ने स्टेटहुड की मांग को लेकर राजभवन का घेराव करने का एलान किया है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, नवीन नवाज। जम्मू कश्मीर में स्टेटहुड एक मुद्दा है और प्रत्येक राजनीतिक दल के एजेंडे में है। यह कब बहाल होगा, यह केंद्र सरकार ही जाने। फिलहाल, कांग्रेस इस मुद्दे पर अन्य राजनीतिक दलों से बढ़त लेती नजर आ रही है। इससे किसी को नुकसान पहुंचे या न पहुंचे, उसकी साझेदारी से नेशनल कान्फ्रेंस को घाटा हो सकता है।
सिर्फ यही नहीं, कांग्रेस ने सीधे शब्दों में अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण की वैधता को भी एलानिया स्वीकार किया है। कांग्रेस का यह व्यवहार कहीं न कहीं नेशनल कान्फ्रेंस के साथ उसकी बढ़ती दूरियों की पुष्टि करता है, जिससे दोनों दलों के नेता सार्वजनिक तौर पर इंकार करते हैं। इसका असर आगामी पंचायत और नगर निकाय चुनावों में नजर आएगा।
प्रदेश कांग्रेस ने 21 जुलाई को संसद का घेराव करने से पहले 19 और 20 जुलाई को श्रीनगर व जम्मू में राजभवन का घेराव करने का एलान किया है ताकि वह स्टेटहुड की मांग को और गति दे सके। इससे प्रदेश में विशेषकर कश्मीर घाटी में नेशनल कान्फ्रेंस को किसी हद तक नुक्सान होगा और राज्य के दर्जे की बहाली के मुद्दे पर उसके स्टैंड की गंभीरता पर सवाल भी उठेंगे।
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पीडीपी और पीपुल्स कान्फ्रेंस व अन्य दल खुलकर कहते हैं कि नेशनल कान्फ्रेंस ने राज्य के दर्जे के मुद्दे पर केंद्र सकार से समझौता कर लिया है,इसलिए वह कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। इन सभी के बीच, प्रदेश कांग्रेस ने पूरे प्रदेश में हमारी रियासत-हमारा हक अभियान चलाया और मल्लिकाजुन खरगे द्वारा राज्य के दर्जे की बहाली के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखने के बाद प्रदेश कांग्रेस राज्य के दर्जे की बहाली, अगर जल्द होती है तो श्रेय लेगी, जो नेशनल कान्फ्रेंस नहीं चाहेगी।
प्रदेश कांग्रेस प्रमख तारिक हमीद करा ने जम्मू में नेशनल कान्फ्रेंस या मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का नाम लिए बगैर कहा है कि हमने इस मामले पर बंद कमरेां में या मीडिया में बात करने के बजाय जमीनी स्तर पर काम किया है। हम राज्य के दर्जे की मांग को लेकर लोगों के बीच गए हैं और हमारे नेता का पत्र लिखना बताता है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर पूरी इमानदारी के साथ प्रयास कर रही है।
उन्होंने अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण को भी वैध बताया और कहा कि अब अगर कुछ वैध है, जो प्राप्त किया जा सकता है, वह राज्य का दर्जा है। हमें इसके लिए ही प्रयास करना चाहिए। कश्मीर मामलों के जानकार बिलाल बशीर ने कहा कि तारिक हमीद करा ने जिस तरह से अनुच्छेद 370 का उल्लेख किया है, उससे नेशनल कान्फ्रेंस की स्थिति कमजोर होती है। कांग्रेस उसकी भागीदार है।
पीडीपी व पीपुल्स कान्फ्रेंस जैसे दल नेशनल कान्फ्रेंस से सवाल करेंगे कि वह किस मुंह से राज्य के विशेष दर्जे की बहाली की मांग करती हे जबकि उसके सहयोगी विशेष दर्जे की समाप्ति को अब वैध मान रहे हैं। तारिक हमीद करा ने जो कहा है, वह सोच समझकर ही कहा होगा।
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नेशनल कान्फ्रेंस के एक वरिष्ठ नेता इमरान नबी डार ने कहा कि हमारा कांग्रेस की राजनीति से कोई सरोकार नहीं है। अगर तारिक करा अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण को अगर वैध मानते हैं तो फिर कुछ वर्ष पहले तक वह किसी डयूल करंसी की क्यों बात करते रहे हैं।
अगर कांग्रेस आज जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे की समाप्ति को वैध मानती है तो वह इसे देश के अन्य राज्यो की वोट बैंक की नीति के कारण मान रही है। राज्य के दर्जे की बहाली के लिए हम लगातार हर मंच पर आवाज उठा रहे हैं और यहां प्रत्येक नागरिक जानता है कि नेशनल कान्फ्रेंस के लिए कुर्सी से ज्यादा जम्मू कश्मीर का विकास, जम्मू कश्मीर के लोगों का हक जरुरी है। मुख्यमंत्री ने हर मंच पर, कटरा में रेल के उद्घाटन के समय भी अपने संबोधन में प्रधानमंत्री से राज्य के दर्जे की बहाली के बात कही थी।
जम्मू कश्मीर मामलों के जानकार संत कुमार शर्मा ने कहा कि बेशक जम्मू कश्मीर मे कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस का गठजोड़ है,लेकिन यह गठजोड़ किसी भी तरह से गठजोड़ नहीं है। कांग्रेस ने खुदको सरकार से बाहर रखा है, या नेशनल कान्फ्रेंस ने उसे सरकार में शामिल नहीं किया है, यह रहस्य है।
उमर अब्दुल्ला भी कई मौकों पर कांग्रेस की नीतियों पर अप्रसन्नता जता चुके हैं, चाहे दिल्ली में विधानसभा चुनाव रहे हों या देश में संसदीय चुनाव। वह कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन की निष्क्रियता और उसकी अव्यावहारिक नीतियों पर खुलकर बोलते हैं। तारिक हमीद करा जैसे नेता का अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण को अदालत के निर्णयानुसार वैध बताना, प्रदेश में नेशनल कान्फ्रेंस-कांग्रेस के बीच की दूरी को दिखाता है।
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इसके अलावा जिस तरह से कांग्रेस ने राज्य के दर्जे की बहाली पर अभियान चलाया है, वह एक तरह से नेशनल कान्फ्रेंस की सियासी जमीन को उससे छीनने के प्रयास जैसा ही है। अगर अब राज्य का दर्जा मिलता है तो कांग्रेस कहेगी कि यह उसकी कोशिश का नतीजा है, अगर नहीं मिलता है तो वह कहेगी उसने तो जमीन पर उतरकर काम किया है।
लेकिन उसकी सहयोगी नेशनल कान्फ्रेंस का असहयाेग रहा। मतलब यह कि कांग्रेस का यह अभियान नेशनल कान्फ्रेंस के लिए घाटे का सौदा है,जिसका राजनीतिक लाभ सिर्फ कांग्रेस को होगा और वह भी कुछेग खास इलाकों में।
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