शिक्षा पर अव्यवस्था भारी... तीन कमरों में चल रहा जिला सांबा का ब्वायज मिडिल स्कूल, एक-एक कमरे में चल रही तीन कक्षाएं
सांबा जिले के केहली मंडी स्थित सरकारी स्कूल में बच्चे असुविधाओं में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। तीन कमरों में कक्षाएं चल रही हैं जिससे बारिश में परेशानी होती है। प्री-प्राइमरी से मिडिल तक के 41 छात्रों के लिए केवल चार शिक्षक हैं। स्कूल 1947 में बना था और 1957 में मिडिल स्कूल बना।

निश्चंत सिंह संब्याल, जागरण, सांबा। जिले में सरकारी स्कूलों के बच्चे असुविधाओं के बीच शिक्षा ग्रहण करने के लिए मजबूर हैं। जिले से कई सांसद, मंत्री और विधायक रह चुके हैं, लेकिन आजतक किसी ने भी स्कूली ढांचे और शिक्षा की ओर ध्यान नहीं दिया है। इसका जीता जागता उदाहरण सांबा कस्बे के साथ लगते केहली मंडी का है।
यहां का ब्वायज मिडिल स्कूल मात्र तीन कमरों में चल रहा है। एक कमरे में दो से तीन कक्षाएं लगाई जा रही हैं। सबसे अधिक समस्या बारिश के दिनों में होती है। इसके अलावा अन्य दिनों में बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं।
स्कूल में प्री प्राइमरी से लेकर मिडिल तक 41 के करीब छात्र पढ़ते है। यहां पर शिक्षकों का भी टोटा है। नौ कक्षाओं के 41 बच्चों के लिए मात्र चार शिक्षक हैं। इसलिए, किसी के अवकाश पर जाने चलते पढ़ाई बाधित होती है। एक शारीरिक शिक्षा शिक्षक (पीटीआइ) भी नियुक्त है। एक कमरे का निर्माण किया गया है, लेकिन अभी तक बिजली की सुविधा नहीं है।
करीब 45 मरले भूमि पर स्कूल का निर्माण वर्ष 1947 में किया गया था और बच्चों की बढ़ती संख्या को देखते हुए वर्ष 1957 में से मिडिल का दर्जा दिया गया। इस दौरान स्कूल भवन का नवनिर्माण किया गया था। खेल मैदान तो है, लेकिन उसकी हालत अच्छी नहीं है। इस कारण प्रतिभा को भी पंख नहीं लग पा रहे हैं।
कमियां
- कमरों की कमी
- एक कमरे में बिजली नहीं
- शिक्षक कम हैं
- एक कमरे में बिजली नहीं
- खेल मैदान सही नहीं
स्कूल में पहली कक्षा के साथ प्री प्राइमरी के बच्चों को बिठाकर पढ़ाया जाता है। स्कूल परिसर में एक कमरे का निर्माण अधूरा है। जैसे ही काम पूरा होगा उसमें कक्षाएं लगाई जाएंगी। कमरों की कमी के लिए अधिकारियों को अवगत कराया गया है। -रेणु गुप्ता, प्रधानाचार्य, ब्वायज मिडिल स्कूल केहली मंडी
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स्कूल में कमरे कम होने से बच्चों को पढ़ाई में काफी दिक्कत आती है। सरकार से आग्रह है कि स्कूल में सभी कक्षाओं के लिए अलग-अलग कमरे होने चाहिए, ताकि बच्चों दिक्कत न हो। आजादी के समय बने स्कूल में जल्द नए कमरों का निर्माण होना चाहिए।
-अश्वनी संब्याल, पूर्व नायब सरपंच, केहली मंडी
कुछ माह पहले उपायुक्त को स्कूल का दौरा करवाया था। अन्य कमरों के लिए भी प्रयास किया जाएगा। लेकिन, सरकार और शिक्षा विभाग को भी इसकी सुध लेनी चाहिए। अगर सुविधाएं ही नहीं होंगी तो बच्चों का भविष्य कैसे निखारा जा सकता है।
-आरती अंताल, पूर्व पार्षद, वार्ड 14 केहली मंडी
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