जम्मू-कश्मीर को बिना किसी देरी राज्य का दर्जा मिलना चाहिए, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला फिर उठाई मांग
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल होना चाहिए क्योंकि यह वहां के लोगों का अधिकार है। गुरेज़ में राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव में उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अनुच्छेद 370 पर सुनवाई के दौरान इसका जिक्र किया था। उन्होंने यह भी कहा अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो अदालत के माध्यम से राज्य का दर्जा बहाल होना चाहिए।

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को एक बार फिर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा प्रदान किए जाने की अपनी मांग दोहराते हुए कहा कि अब बहुत हो गया है। जम्मू कश्मीर को यथाशीघ्र एक पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए। यह दर्जा बहाल होना जरुरी है।
आज उत्तरी कश्मीर में बांडीपोर जिले में एलओसी के साथ सटे गुरेज सेक्टर में राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव के दौरान पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सर्वाेच्च न्यायालय ने भी केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर को शीघ्र से अतिशीघ्र राज्य का दर्जा प्रदान करने का निर्देश दिया है। लेकिन इसमें भी बहुत समय बीत चुका है।
जब अदालत ने अनुच्छेद 370 मामले में अपना फैसला सुनाया, तो उसमें दो महत्वपूर्ण पहलू थे। एक (विधानसभा) चुनावों से संबंधित था, कि चुनाव एक समय सीमा के भीतर कराए जाने चाहिए। अदालत ने राज्य के दर्जे के बारे में भी बात की, और कहा कि जम्मू-कश्मीर को जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए।
अब, तब से बहुत समय बीत चुका है। हम चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर जल्द से जल्द फिर से एक राज्य बने। गुरेज में आदिवासी महोत्सव के आयोजन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हैं।
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लोगों को आपस में जोड़ते हैं और साथ ही साथ पर्यटन काे भी प्रोत्साहित करते हैं। इसलिए मुझे उम्मीद है कि इस उत्सव के बाद और भी लोग गुरेज आना चाहेंगे। लोगों को एक अवसर मिला, गुजरात और तमिलनाडु से लोग यहां आए, और उन्हें पहली बार एक अलग क्षेत्र की संस्कृति को देखने का भी अवसर मिला।
ऐसे उत्सवों का यही लाभ है कि हमें भारत जैसे विशाल देश की विभिन्न संस्कृतियों और व्यंजनों के बारे में जानने का मौका मिलता है। सीमांत पर्यटन की संभावनाओं का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जब सीमाएं शांत होंगी,वहां सुरक्षा और विश्वास का वातावरण होगा, तो सरकार स्वयं सीमांत पर्यटन को प्रोत्साहित करेगी। हमारे जम्मू कश्मीर में सीमांत पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं।
हम चाहते हैं कि गुरेज, टंगडार, केरन और मच्छल जैसे क्षेत्रों में पर्यटन बढ़े। इसी तरह, जम्मू में भी सीमा पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। यह सीमांत क्षेत्रों में बेरोजगारी को कम करने और लोगों की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने का एक तरीका है। इससे पूर्व उन्होंने महोत्सव में देश के विभिन्न भागों से आए कलाकारों और आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ स्थानीय लोगों को भी संबोधित किया।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरेज घाटी में किशनगंगा नदी में राफ्टिंग को हरी झंडी दिखाई। X पर एक पोस्ट में मुख्यमंत्री कार्यालय ने लिखा, "मुख्यमंत्री ने शानदार गुरेज घाटी में किशनगंगा नदी में राफ्टिंग को हरी झंडी दिखाई। उन्होंने कहा कि प्रकृति के क्रीड़ास्थल के रूप में गुरेज, रोमांच चाहने वालों के लिए एक प्रमुख गंतव्य बनने के लिए तैयार है।
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उन्होंने कहा कि हमारे आदिवासी समुदाय भारत की सांस्कृतिक विविधता की जीवंत आत्मा हैं। इस तरह के उत्सव विभिन्न क्षेत्रों में एकता और आपसी सम्मान के बंधन को मजबूत करते हैं।मुख्यमंत्री ने गुरेज मे किशनगंगा नदी में राफ्टिंग का भी शुभारंभ किया।
उन्होंने कहा कि प्रकृति के क्रीड़ास्थल के रूप में, गुरेज साहसिक गतिविधियों के शौकीनों के लिए एक प्रमुख केंद्र बनने के लिए तैयार है। अपने इस दौरे के दौरान मुख्यमंत्री ने एक जनसभा को भी संबोधित किया और स्थानीय लोगों को उनकी समस्याओं के यथासंभव यथाशीघ्र समाधान का विश्वास दिलाया।
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