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    समाज की सबसे बड़ी चिंता का किया समाधान, आज भी जारी रखे हैं संघर्ष, निजी स्कूलों की मनमानियों के खिलाफ कपूर ने उठाई आवाज

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 06:19 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में निजी स्कूलों की मनमानी फीस और अन्य खर्चों से परेशान अभिभावकों के लिए अमित कपूर उम्मीद की किरण बनकर आए। उन्होंने इस मुद्दे को उठाया और मामला हाईकोर्ट तक पहुंचाया। कोर्ट ने फीस निर्धारण के लिए कमेटी का गठन किया जिससे अभिभावकों को राहत मिली। 2013 में कमेटी का गठन हुआ जो स्कूलों की सुविधाओं के आधार पर फीस तय करती है।

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    अमित कपूर का संघर्ष अभी भी जारी है।

    जागरण संवाददाता, जम्मू। जम्मू-कश्मीर का हर अभिभावक अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की कामना के साथ उन्हें निजी स्कूलों में दाखिला तो दिला देता था लेकिन इन स्कूलों की मनमानियों से परेशान हो जाता था। प्रदेश के कुछ प्रमुख निजी स्कूलों ने शिक्षा को व्यवसाय बना लिया था और कभी दाखिला फीस, कभी वार्षिक शुल्क, कभी पिकनिक, कभी पुस्तकों तो कभी वर्दी बेच कर अभिभावकों को ठगा जाता था।

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    हर अभिभाव परेशान था लेकिन वे स्कूल प्रबंधन के खिलाफ आवाज उठाने का संकोच करते थे क्योंकि उन्हें डर सताता था कि कहीं उनके बच्चे की पढ़ाई प्रभावित न हो। उस समय इस अंधेरे में अमित कपूर नामक युवक उम्मीद की एक किरण बनकर सामने आया। समाज सेवा के विभिन्न कार्यों में सक्रिय रहने वाले अमित कपूर ने जब अभिभावकों की इस परेशानी को देखा तो उन्होंने इन निजी स्कूलों पर नकेल कसने का जिम्मा उठा लिया।

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    मामला जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट तक पहुंच गया

    फिर क्या था, पहले तो अमित कपूर अकेले ही इन स्कूलों की मनमानियों के खिलाफ आवाज उठाने लगे और फिर धीरे-धीरे कुछ अन्य लोग भी उनके साथ जुड़ते गए। जनहित के इस मुद्दे को हवा मिलने लगी और जम्मू से उठी यह आवाज पूरे प्रदेश में गूंजने लगी। करीब डेढ़ दशक पूर्व अमित कपूर ने निजी स्कूलों की मासिक फीस व सालाना शुल्क पर नकेल कसने की आवाज उठाई और मामला जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट तक पहुंच गया।

    कोर्ट ने एक उच्च स्तरीय कमेटी का किया गठन

    कुछ साल तक हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई हुई और आखिरकार लोगों की इस आवाज की जीत हुई और हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों की फीस तय करने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जो अब हर साल स्कूलों की ओर से उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं व स्कूल के मूलभूत ढांचे के आधार पर फीस निर्धारित करती है।

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    वर्ष 2013 में हुआ कमेटी का गठन

    जम्मू-कश्मीर में चल रहे निजी स्कूलों की फीस निर्धारित करने के लिए वर्ष 2013 में फीस फिक्सेशन कमेटी का गठन हुआ और सेवानिवृत्त जज बिलाल नाजकी कमेटी के पहले चेयरमैन बने। जस्टिस नाजकी ने 2014 में अपने पद से त्यागपत्र दे दिया जिसके चलते कुछ समय के लिए कमेटी की गतिविधियां ठप रही। उसके बाद 21 अप्रैल 2015 को कमेटी का पुनर्गठन किया गया। तब से यह कमेटी हर साल स्कूलों की ओर से पेश किए जाने वाले फीस वृद्धि के प्रस्तावों की समीक्षा करती है और उसके बाद फीस वृद्धि तय करती है जिसे स्कूलों को पालन करना पड़ता है। मौजूदा समय में जस्टिस सुनील हाली कमेटी के चेयरमैन है।

    यह संघर्ष आज भी जारी है और आगे भी जारी रहेगा। पहले तो स्कूल वाले बच्चों को वर्दियां और कापी-किताबें खरीदने के लिए भी विवश करते थे लेकिन अब इसमें अभिभावकों को कुछ राहत मिली है। शुरूआत में इन निजी स्कूलों ने उन पर दबाव बनाने का काफी प्रयास किया लेकिन चूंकि यह मुद्दा हर आदमी से जुड़ा था और लोगों के समर्थन के साथ वह डटे रहे। अमित कहते हैं कि अभी भी शिक्षा ढांचे में कई खामियां है, जिसके लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा।

    अमित कपूर 

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